सेना या सरकार... पाकिस्तान में परमाणु बमों का असली मालिक कौन? जानें क्या है नेशनल कमांड अथॉरिटी
भारत-पाक तनाव के बीच पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) चर्चा में है, जो परमाणु हथियारों की नीति और नियंत्रण से जुड़ी सबसे उच्च संस्था है. 'ऑपरेशन सिंदूर' के जवाब में भारत की कार्रवाई से बौखलाए पाकिस्तान ने NCA की बैठक बुलाई. इस संस्था की रणनीतिक गतिविधियां अब क्षेत्रीय स्थिरता और संभावित परमाणु नीति के निर्णयों पर निर्णायक असर डाल सकती है.

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है. पाकिस्तान द्वारा भारतीय शहरों को निशाना बनाने की कोशिशें भारतीय सेना ने पूरी तरह विफल कर दी हैं. इसके जवाब में भारत ने तीखा पलटवार करते हुए पाकिस्तान के कई एयरबेसों को निशाना बनाया, जिससे वहां भारी तबाही हुई है और पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को बड़ा झटका लगा है.
इस तीव्र टकराव के माहौल में पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) की भूमिका और उसकी रणनीतिक क्षमता पर नजर डालना बेहद जरूरी हो गया है. यह वही संस्था है जो पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की नीतियों और संचालन से जुड़ी सभी अहम जिम्मेदारियों को निभाती है. मौजूदा हालात में NCA की गतिविधियां और उसके फैसले भारत-पाक तनाव को किस दिशा में मोड़ते हैं, यह आने वाले दिनों में महत्वपूर्ण साबित होगा.
क्या है पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी?
पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) देश की सबसे उच्च सैन्य और नागरिक संस्था है, जो परमाणु हथियारों के नियंत्रण और संचालन की जिम्मेदारी निभाती है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पाकिस्तान के सामरिक हथियारों का प्रयोग नियंत्रित, सुरक्षित और केंद्रीकृत तरीके से हो. हाल ही में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा बुलाई गई NCA की बैठक भारत के साथ बढ़ते तनाव और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जवाब में रणनीतिक फैसलों की ओर इशारा करती है.
सेना तथा सरकार के बीच नहीं है गठजोड़
हालांकि, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इस बात का खंडन किया कि शनिवार सुबह भारत के खिलाफ हुई सैन्य कार्रवाई के बाद NCA की कोई बैठक निर्धारित थी. लेकिन इससे पहले पाक सेना की ओर से बयान आया था कि प्रधानमंत्री ने बैठक बुलाई है. यह विरोधाभासी बयान इस बात को दर्शाते हैं कि पाकिस्तान में परमाणु और सामरिक निर्णयों को लेकर पारदर्शिता का अभाव है और सेना तथा सरकार के बीच समन्वय संदेह के घेरे में है.
कब हुई थी NCA की स्थापना?
NCA की स्थापना फरवरी 2000 में की गई थी, जिसका मुख्यालय इस्लामाबाद में है। यह संस्था न केवल परमाणु हथियारों की नीति बनाती है, बल्कि इन हथियारों की तैनाती, उनके संचालन और सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम भी करती है. इस संस्था का नेतृत्व पाकिस्तान के प्रधानमंत्री करते हैं, लेकिन इसकी असली कमान सेना के हाथ में मानी जाती है, जैसा कि हालिया घटनाक्रमों से स्पष्ट होता है.
क्या-क्या है जिम्मेदारी?
NCA की प्रमुख जिम्मेदारियों में परमाणु नीति का निर्धारण, रणनीतिक हथियारों का नियंत्रण, मिसाइल प्रणालियों की निगरानी और हथियारों की तैनाती से जुड़ी रणनीतियों पर निर्णय लेना शामिल है. यह संस्था रणनीतिक बलों के लिए संचालन सिद्धांत तय करती है और यह सुनिश्चित करती है कि कोई हथियार गलत हाथों में न जाएं. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अक्सर यह चिंता व्यक्त की जाती है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार आतंकवादियों के लिए सुलभ हो सकते हैं.
कौन-कौन होते हैं सदस्य?
NCA के सदस्य पाक प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और तीनों सेनाओं के प्रमुख होते हैं. लेकिन असली तस्वीर इससे इतर है. इस संस्था पर वास्तविक नियंत्रण सेना का है, और इसके निर्णय अक्सर सैन्य हितों से प्रेरित होते हैं. हाल ही में सेना के एक जनरल द्वारा दिया गया जिहादी मानसिकता वाला बयान इस बात की पुष्टि करता है कि पाकिस्तान की परमाणु रणनीति कितनी अस्थिर और खतरनाक हाथों में है.
ऑपरेशन सिंदूर से है संबंध
9 मई 2025 को बुलाई गई बैठक का सीधा संबंध भारत द्वारा 7 और 8 मई को किए गए हमलों से है. भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों और लाहौर में HQ-9 वायु रक्षा प्रणाली को ध्वस्त कर दिया था. इसके जवाब में पाकिस्तान ने फतेह-1 और फतेह-2 मिसाइलें दागीं, जिन्हें भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया. यह परिदृश्य परमाणु नीति और जवाबी कार्रवाई के दृष्टिकोण से अत्यंत गंभीर है.