यूक्रेन-रूस वॉर को फंड कर रहा भारत... पुतिन से तेल खरीदने को लेकर दी चेतावनी, ट्रंप के करीबी के दावों में कितनी सच्चाई?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टॉप सलाहकार स्टीफन मिलर ने भारत पर यूक्रेन युद्ध को फंड करने का आरोप लगाया है. रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर टैरिफ और संभावित जुर्माने की चेतावनी दी गई है. भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा नीति में कोई बदलाव नहीं करेगा, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में तनाव गहरा सकता है.;

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Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 4 Aug 2025 6:58 AM IST

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी टीम लगातार भारत के खिलाफ तीखे बयान दे रहे हैं. अब उनके शीर्ष सलाहकार स्टीफन मिलर ने भारत पर रूस-यूक्रेन युद्ध को फंड करने का आरोप लगाया है. मिलर का यह बयान भारत और अमेरिका के बीच हिंद-प्रशांत सहयोग के बावजूद रिश्तों में बढ़ती तल्खी का संकेत देता है.

फॉक्स न्यूज के एक शो में स्टीफन मिलर ने कहा कि भारत रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीद कर यूक्रेन युद्ध की अप्रत्यक्ष रूप से फंडिंग कर रहा है. उन्होंने दावा किया कि तेल खरीद के मामले में भारत अब लगभग चीन के बराबर है. यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने हाल ही में भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाया है.

अमेरिकी नीतियों में भारत को लेकर दोहरापन?

एक तरफ अमेरिका भारत को रणनीतिक साझेदार कहता है, वहीं दूसरी ओर पाबंदियों की धमकियां दी जा रही हैं. ट्रंप ने संकेत दिया है कि अगर रूस से ऊर्जा आयात जारी रहा, तो भारत पर और भी कड़े शुल्क लगाए जा सकते हैं. यह अमेरिका की दोहरी नीति को उजागर करता है, जिसमें वह अपने हितों के अनुसार साझेदारों पर दबाव बनाता है.

ऊर्जा नीति पर नहीं होगा कोई समझौता

भारत सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि उसकी ऊर्जा नीति उसकी रणनीतिक स्वायत्तता और आर्थिक सुरक्षा से जुड़ी हुई है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने साफ कहा है कि वह रूस से तेल खरीद जारी रखेगा. यह भारत के आत्मनिर्भर विदेश नीति दृष्टिकोण का हिस्सा है, जिसमें वह बाहरी दबाव के बजाय अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है.

सजा देने की रणनीति पर उठे सवाल

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत पर जुर्माना लगाना उसकी संप्रभुता का सीधा उल्लंघन होगा. अमेरिका जैसे देश द्वारा तय करना कि भारत को किससे तेल खरीदना चाहिए, एकतरफा और तानाशाही सोच को दर्शाता है. अगर ऐसा होता है, तो यह भारत-अमेरिका संबंधों को लंबे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है.

मोदी से दोस्ती, लेकिन बयानबाज़ी जारी

स्टीफन मिलर ने भले ही ट्रंप-मोदी रिश्तों को ‘मजबूत और शानदार’ कहा हो, लेकिन लगातार हो रही बयानबाज़ी रिश्तों में तनाव बढ़ा रही है. ट्रंप का यह रवैया बताता है कि दोस्ती की बात एक तरफ और रणनीतिक दबाव दूसरी तरफ—यानी रिश्ता अब ‘शर्तों पर आधारित’ होता जा रहा है.

यूक्रेन युद्ध से उपजा अमेरिकी असंतुलन

डोनाल्ड ट्रंप ने पहले दावा किया था कि वे यूक्रेन युद्ध को 24 घंटे में खत्म करवा सकते हैं. लेकिन युद्ध जारी रहने से अब ट्रंप खीझ में भारत और चीन पर आरोप लगाने लगे हैं. यह बयानबाजी चुनावी माहौल में अमेरिकी जनता का ध्यान भटकाने की एक रणनीति भी हो सकती है.

भारत की ओर से जवाब का इंतज़ार

अब तक भारत की ओर से स्टीफन मिलर के बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन कूटनीतिक संकेत यही हैं कि भारत अपनी विदेश नीति को स्वतंत्र रूप से संचालित करता रहेगा. अगर ट्रंप दोबारा सत्ता में आते हैं, तो भारत को रणनीतिक धैर्य और मजबूती के साथ जवाब देना होगा.

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