ब्रिटेन में दो भारतीय नागरिकों से वापस लिया गया सम्मान, एक पोस्ट की वजह से हुई कार्रवाई
ब्रिटेन में भारतीय समुदाय के दो नागरिकों का सम्मान छीन लिया गया है. इन दोनों का नाम पीयर रामी रेंजर और हिंदू काउंसिल यूके प्रबंध न्यासी अनिल भनोट है. दोनों को बकिंघम पैलेस को अपना सम्मान लौटाना होगा और भविष्य में कहीं पर भी इस अवॉर्ड के बारे में बात भी नहीं कर सकेंगे. वहीं रेंजर और भनोट ने इस फैसले की आलोचना की है और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है.;
Two Indians Award Snatched in Britain: ब्रिटेन से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. यहां पर भारतीय समुदाय के दो नागरिकों का सम्मान छीन लिया गया है. इन दोनों का नाम पीयर रामी रेंजर और हिंदू काउंसिल यूके प्रबंध न्यासी अनिल भनोट है. इन्हें कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अनिल भनोट को ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर का सम्मान मिला था. इसकी घोषणा लंदन गजट में की गई. दोनों को बकिंघम पैलेस को अपना सम्मान लौटाना होगा और भविष्य में कहीं पर भी इस अवॉर्ड के बारे में बात भी नहीं कर सकेंगे.
क्यों वापस लिया सम्मान?
रिपोर्ट के मुताबिक पीयर रामी रेंजर और अनिल भनोट से सम्मान वापस लेने की सिफारिश ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने किंग से की थी. जहां भनोट पर 2021 में बांग्लादेशी हिंदुओं पर हिंसा के खिलाफ ट्वीट करने के बाद यह एक्शन लिया गया है. वहीं रेंजर के खिलाफ सिख फॉर जस्टिस ने शिकायत की थी. वहीं रेंजर और भनोट ने इस फैसले की आलोचना की है और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है.
अनिल भनोट का बयान
भनोट को यह सम्मान सामुदायिक एकजुटता के लिए मिला था. TOI के अनुसार भनोट से कमेटी ने जनवरी में संपर्क किया था. तब उन्हें लगा था कि सब ठीक होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. भनोट पर इस्लामोफोबिया का आरोप है. साल 2021 में उनके द्वारा किए गए एक पोस्ट पर यह कार्रवाई की गई है. जिसमें बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के बारे में पोस्ट की गई थी. जब समिति ने भनोट से पूछा तो उन्होंने मना किया कि मैंने इस्लामोफोबिया जैसा कुछ नहीं कहा है.
रेंजर को क्यों मिला था सम्मान?
पीयर रामी रेंजर को साल 2016 में ब्रिटिश व्यवसाय और सामुदायिक सेवा के लिए सीबीआई से सम्मानित किया गया था. रेंजर ने कहा कि मुझे सीबीई की चिंता नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि बोलने की स्वतंत्रता तो कम कर दिया है. वह लोग गलत लोगों को पुरस्कार कर रहे हैं. वह फैसले की समीक्षा और यूरोपीय मानवाधिकार कोर्ट में अपील करने की योजना बने रहे हैं. उनके खिलाफ शिकायतों में अमेरिका स्थित संगठन सिख्स फॉर जस्टिस की शिकायत भी शामिल है, जो भारत में प्रतिबंधित है. बता दें कि उनका एक बयान पीएम मोदी का बचाव करने और बीबीसी डॉक्यूमेंट्री, India: 'The Modi Question' को चुनौती देने के बारे में थी.