काम नहीं करेगा GPS! बत्ती गुल होने का भी खतरा... सूर्य से 21 लाख किमी/घंटा की रफ्तार से आया सौर तूफ़ान

सूर्य से 21 लाख किमी/घंटा की रफ्तार से आया शक्तिशाली सौर तूफ़ान (Solar Storm) धरती की चुंबकीय ढाल से टकराया, जिससे भारी भू-चुंबकीय गतिविधि पैदा हुई. Cannibal CME के कारण तूफ़ान और भी तीव्र हुआ. इसके असर से ऑरोरा कम अक्षांश में भी दिखाई दे सकती है, जबकि पावर ग्रिड, GPS और सैटेलाइट संचार पर खतरा है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि Solar Cycle 25 के चरम के दौरान ऐसी घटनाएँ और आम हो सकती हैं। नासा और NOAA सतर्क हैं.;

( Image Source:  Sora AI )
Edited By :  प्रवीण सिंह
Updated On : 2 Sept 2025 12:29 PM IST

धरती के ऊपर से गुज़रते हुए एक शक्तिशाली सौर तूफ़ान (Solar Storm) ने वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष मौसम विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है. यह तूफ़ान सूर्य से 21 लाख किमी/घंटा की रफ्तार से निकले सौर पवन (Solar Wind) के रूप में पृथ्वी की चुंबकीय ढाल (Magnetosphere) से टकराया. जिसके बाद धरती में भारी भू-चुंबकीय गतिविधि (Geomagnetic Activity) देखने को मिली, और वैश्विक स्तर पर पावर ग्रिड और सैटेलाइट ऑपरेशंस के लिए अलर्ट जारी किया गया.

सौर तूफ़ान मूलतः सूर्य से निकलने वाली हाई एनर्जी कणों की धाराओं यानी सोलर स्‍ट्रीम्‍स और चुंबकीय तूफ़ानों का मिश्रण होता है. सूर्य की सतह पर समय-समय पर Solar Flare और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) होते रहते हैं. CME के दौरान सूर्य से भारी मात्रा में प्लाज़्मा और चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी की दिशा में निकलते हैं. जब ये कण धरती की चुंबकीय ढाल से टकराते हैं, तो भू-चुंबकीय तूफ़ान (Geomagnetic Storms) पैदा होते हैं. ये तूफ़ान उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के अलावा मॉडरेट लैटिट्यूड्स वाले इलाकों में भी ऑरोरा (Aurora Borealis और Aurora Australis) उत्पन्न कर सकते हैं और पावर ग्रिड जैसे सिस्‍टम्‍स को प्रभावित कर सकते हैं.

कैसे हुआ यह सौर तूफ़ान?

वैज्ञानिकों के अनुसार यह घटना 30 अगस्त को शुरू हुई, जब सूर्य के सक्रिय क्षेत्र AR 4199 ने M2.7 श्रेणी का Long-Duration Solar Flare छोड़ा. इसके बाद एक के बाद एक कई CME (Coronal Mass Ejection) फटे. इनमें से तेज़ CME ने धीरे-धीरे निकलने वाली CME को पीछे छोड़ दिया और दोनों का मिलन हुआ. इस तरह का “Cannibal CME” (जहां एक CME दूसरी को निगल लेता है) बनकर पृथ्वी की दिशा में आया.

विशेषज्ञों का कहना है कि Cannibal CME इसलिए खतरनाक माने जाते हैं क्योंकि इसमें चुंबकीय क्षेत्र और प्लाज़्मा का घनत्व अधिक होता है, जिससे इसका प्रभाव धरती पर और भी तीव्र होता है.

पृथ्वी पर प्रभाव

सौर तूफ़ान के धरती पर पहुंचते ही सौर पवन की रफ्तार अचानक बढ़कर 600 किमी प्रति सेकंड से अधिक हो गई और ग्रह के मैग्‍नेटिक फील्‍ड पर भारी दबाव पड़ा. इससे भू-चुंबकीय तूफ़ान की चेतावनी बढ़ गई. चेतावनी के अनुसार, यह तूफ़ान G1 (Minor) से लेकर G3 (Strong) श्रेणी तक पहुंच सकता है.

इसके असर से उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में ऑरोरा का नज़ारा आम से कहीं ज्यादा चमकदार देखा जा सकता है. साथ ही, पावर ग्रिड ऑपरेटरों ने उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों में वोल्टेज में उतार-चढ़ाव के लिए सतर्कता बढ़ा दी है.

तकनीकी और संचार पर असर

भू-चुंबकीय तूफ़ान का असर केवल ऑरोरा तक सीमित नहीं रहता. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे High-Frequency Radio Disruptions, GPS Accuracy में गड़बड़ी, सैटेलाइट की गति में बदलाव और ड्रैग बढ़ना जैसी तकनीकी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. इसलिए नासा और NOAA जैसे एजेंसियां लगातार निगरानी कर रही हैं.

भविष्य की संभावनाएं

सौर चक्र 25 (Solar Cycle 25) अपने चरम पर पहुंचने के करीब है. विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में इस तरह की तीव्र सौर घटनाएं (Severe Solar Events) अधिक सामान्य हो सकती हैं. इससे न केवल तकनीकी और संचार प्रणालियां प्रभावित होंगी, बल्कि अंतरिक्ष यात्री और उपग्रह भी जोखिम में रहेंगे.

मानवता के लिए चेतावनी

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के सौर तूफ़ान से हमें यह याद रखना चाहिए कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र ही हमारी सुरक्षा की पहली पंक्ति है. इसके कमजोर पड़ने या अत्यधिक दबाव में आने से तकनीकी अवसंरचना पर गंभीर असर पड़ सकता है. इसके अलावा, पृथ्वी पर रहने वाले लोग भी उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों में ऑरोरा का आनंद ले सकते हैं, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से यह चेतावनी भी है कि सौर तूफ़ान गंभीर प्राकृतिक घटनाओं में शामिल हैं.

सूर्य से 21 लाख किमी/घंटा की रफ्तार से आने वाले इस Cannibal CME ने हमें याद दिलाया कि अंतरिक्ष में प्राकृतिक घटनाओं का पृथ्वी पर प्रभाव कितना व्यापक और अप्रत्याशित हो सकता है. भू-चुंबकीय तूफ़ान से उत्पन्न ऑरोरा का अद्भुत दृश्य तो देखने लायक होगा, लेकिन पावर ग्रिड, सैटेलाइट और संचार प्रणालियों के लिए यह गंभीर चुनौती भी बन सकता है. वैज्ञानिक लगातार निगरानी कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां सतर्क हैं, लेकिन आम लोगों के लिए यह चेतावनी भी है कि प्रकृति की शक्तियां कभी-कभी तकनीकी साधनों से परे होती हैं.

Full View

Similar News