मोबाइल की गुलामी से आजादी! जापान के इस शहर ने 2 घंटे तक स्क्रीन टाइम की दी परमिशन, जानें क्यों उठाया गया ऐसा कदम

जापान के टोयोआके शहर ने मोबाइल और डिजिटल डिवाइस के उपयोग पर नया नियम लागू किया है. इस नियम के तहत रोजाना स्क्रीन टाइम केवल 2 घंटे तक सीमित होगा. प्राथमिक स्कूल और किशोरों के लिए रात 9 और 10 बजे के बाद मोबाइल और टैबलेट का उपयोग बंद करने की सलाह दी गई है. इस कदम का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य, नींद और पारिवारिक रिश्तों को सुधारना है. विशेषज्ञों का कहना है कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम बच्चों और युवाओं के लिए हानिकारक हो सकता है. इस नियम का पालन वैकल्पिक है, लेकिन परिवारों और समाज में डिजिटल संतुलन बनाने में मदद करेगा.;

( Image Source:  sora ai )
Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 2 Oct 2025 11:43 AM IST

आज अगर आप अपने आसपास नजर डालें, तो हर कोई अपने हाथ में मोबाइल लिए दिखाई देगा. सुबह उठते ही फोन चेक करना, रात सोने से पहले स्क्रीन घूरना ये सब हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है. सोशल मीडिया, गेमिंग, शॉपिंग या काम हर चीज अब मोबाइल पर हो रही है. क्या यह हमारी सेहत और रिश्तों पर असर डाल रहा है?

जापान के टोयोआके शहर ने इस पर बड़ा कदम उठाया है. यहां लोगों को सलाह दी गई है कि रोजाना सिर्फ दो घंटे ही मोबाइल का इस्तेमाल करें. आइए जानते हैं कि यह नियम आखिर क्यों बनाया गया और इसके पीछे की सोच क्या है.

ये नया मोबाइल नियम आखिर है क्या?

टोयोआके शहर में अब मोबाइल फोन, टैबलेट या कंप्यूटर का इस्तेमाल केवल रोजाना दो घंटे तक करने की सलाह दी गई है. प्राथमिक स्कूल के बच्चों को रात 9 बजे और किशोरों और व्यस्कों को रात 10 बजे के बाद स्क्रीन से दूरी बनाने के लिए कहा गया है. यह नियम ज़बरदस्ती नहीं है. इसका पालन करना वैकल्पिक है, लेकिन इसे अपनाना स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद माना जा रहा है.

क्या बच्चों की सेहत और नींद खतरे में है?

जापान में इस नियम को बनाने की मुख्य वजह बच्चों और युवाओं की सेहत है. अधिक स्क्रीन टाइम से आंखें थकती हैं, नींद में कमी होती है और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है. साथ ही मोबाइल के कारण पारिवारिक बातचीत कम हो रही है और रिश्तों में दूरी बढ़ रही है.

क्या मोबाइल कम करने से फर्क पड़ेगा?

अगर लोग रोजाना मोबाइल का इस्तेमाल कम करें, तो न केवल उनकी सेहत में सुधार होगा, बल्कि मानसिक और शारीरिक परेशानियों से भी बचाव होगा. यह नियम लोगों को एक अच्छी आदत अपनाने और जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है.

क्या केवल पढ़ाई और काम ही मोबाइल का कारण हैं?

आज पढ़ाई, शॉपिंग, गेमिंग और मनोरंजन तक मोबाइल पर शिफ्ट हो गया है. इसी वजह से टोयोआके शहर ने स्क्रीन टाइम कम करने का कानून बनाया है. अब काम और पढ़ाई के अलावा स्क्रीन टाइम केवल दो घंटे ही होगा.

यह नियम क्यों सिर्फ सलाह है, जुर्माना क्यों नहीं?

टोयोआके के मेयर मासाफुमी कोउकी का कहना है कि यह कानून सिर्फ स्वास्थ्य उपाय है, इसका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है. नियम का उल्लंघन करने पर कोई जुर्माना नहीं है. इसका मकसद केवल यह देखना है कि लोग अपनी दिनचर्या और नींद के बारे में सोचें.

क्या परिवार और समाज को भी फायदा होगा?

इस नियम के जरिए परिवारों के बीच बातचीत बढ़ेगी और मोबाइल पर समय कम होने से लोग एक-दूसरे के साथ अधिक समय बिता पाएंगे. हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि परिवार में नगरपालिका का दखल सही नहीं है, लेकिन कई लोग इसे पारिवारिक रिश्तों को मजबूत बनाने का अवसर मान रहे हैं.

क्या दुनिया भर में ऐसा बदलाव आ रहा है?

जापान से पहले ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन किया था और दक्षिण कोरिया ने स्कूलों में डिजिटल उपकरणों पर प्रतिबंध लगाया. ऐसा कदम धीरे-धीरे दुनिया के कई देशों में अपनाया जा रहा है, ताकि युवा और बच्चे डिजिटल दुनिया के दबाव से सुरक्षित रहें.

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