फियर इन वॉशिंगटन: मिलिट्री बेस पर रहने को क्यों मजबूर हो रहे ट्रंप कैबिनेट के मंत्री?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में काम कर चुके कई शीर्ष अधिकारी अब अपने घरों को छोड़कर सैन्य बेस (Military Bases) में रहने चले गए हैं. यह कदम उन्होंने राजनीतिक हिंसा और बढ़ते विरोध प्रदर्शनों से बचने के लिए उठाया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस समय सात से अधिक वरिष्ठ अधिकारी मिलिट्री इंस्टॉलेशन्स पर रह रहे हैं, जहां उन्हें विशेष सुरक्षा प्रदान की जा रही है.;
अमेरिका की राजनीति में बढ़ती ध्रुवीकरण और हिंसा ने अब एक नया मोड़ ले लिया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के कई वरिष्ठ सदस्य अब अपने घरों से निकलकर मिलिट्री बेस पर रहने को मजबूर हैं. वजह - लगातार बढ़ते विरोध प्रदर्शन, धमकियां, और कुछ मामलों में राजनीतिक हत्याएं.
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन के कई शीर्ष अधिकारी, जिनमें व्हाइट हाउस के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ स्टीफन मिलर, होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम, विदेश मंत्री मार्को रुबियो, रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और आर्मी सेक्रेटरी डैन ड्रिस्कॉल शामिल हैं, अब वाशिंगटन डी.सी. के अलग-अलग मिलिट्री बेसों पर रह रहे हैं. यह कदम सुरक्षा कारणों से उठाया गया है, ताकि वे आम लोगों से दूर और संभावित हमलों से सुरक्षित रह सकें.
“आई एम वॉचिंग यू”: मिलर परिवार पर हमले और धमकियां
यह कदम तब चर्चा में आया जब कंजर्वेटिव एक्टिविस्ट चार्ली किर्क की हत्या के अगले ही दिन स्टीफन मिलर की पत्नी केटी मिलर को उनके घर के बाहर धमकी दी गई. उन्होंने Fox News पर बताया, “सुबह जब मैं पोर्च पर आई, तो एक महिला चिल्लाई - ‘आई एम वॉचिंग यू!’ यानी ‘मैं तुम्हें देख रही हूं.’”
इसके बाद उनके घर और पूरे मोहल्ले में फ्लायर्स बांटे गए जिनमें लिखा था - “स्टीफन मिलर एक नाजी हैं, युद्ध अपराधी हैं,” और उनके घर का पता भी सार्वजनिक कर दिया गया. इस घटना को लेकर परिवार में डर और गुस्सा दोनों है. केटी ने कहा, “जिन लोगों ने हमारा पता और फोटो सार्वजनिक किया, वे शायद हत्यारे न हों, लेकिन वे वही नफरत भड़काने वाले हैं जिसने हमारे दोस्त चार्ली को मार डाला.” मिलर दंपति के तीन छोटे बच्चे हैं - सभी पांच साल से कम उम्र के. अब वे अरलिंगटन (वर्जीनिया) छोड़कर जॉइंट बेस अनाकोस्टिया-बॉलिंग में रहने लगे हैं.
ट्रंप के मंत्री अब रह रहे हैं “जनरल्स रो” पर
मार्को रुबियो और पीट हेगसेथ जैसे ट्रंप प्रशासन के शीर्ष अधिकारी अब वाशिंगटन के पास फोर्ट मैकनेयर के “जनरल्स रो” में रह रहे हैं - यह इलाका आमतौर पर सैन्य जनरलों और रक्षा अधिकारियों के लिए आरक्षित होता है. क्रिस्टी नोएम, जो पहले नेवी यार्ड अपार्टमेंट में रहती थीं, अब उसी बेस पर रह रही हैं जहां कोस्ट गार्ड कमांडेंट का आधिकारिक निवास है. डैन ड्रिस्कॉल, जो आर्मी सेक्रेटरी हैं, अब जॉइंट बेस मायेर-हेंडरसन हॉल में रह रहे हैं. इन अधिकारियों के अचानक सैन्य आवासों में शिफ्ट होने से अब उन घरों की कमी हो रही है जो आमतौर पर सीनियर मिलिट्री ऑफिसर्स को दिए जाते हैं.
जब तुलसी गबार्ड को जगह नहीं मिली
दिलचस्प बात यह है कि जब नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड ने भी फोर्ट मैकनेयर में शिफ्ट होने की अनुमति मांगी, तो उन्हें मना कर दिया गया. कारण बताया गया - “स्पेस शॉर्टेज.” न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि कुछ अधिकारियों के बीच अब यह एक तरह का स्टेटस सिंबल (Status Symbol) बन गया है - कौन किस बेस में रह रहा है और किसके पास बड़ा घर है.
राजनीतिक हिंसा का नया दौर
द अटलांटिक की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ कि इतने ज्यादा राजनीतिक अधिकारी एक साथ सैन्य बेसों में शरण लें. रिपोर्ट में लिखा गया: “यह देश के बढ़ते ध्रुवीकरण का भयावह संकेत है - जिसके लिए ट्रंप प्रशासन खुद भी जिम्मेदार है. इतने ऊंचे पदों पर बैठे लोगों को आम जनता से अलग-थलग रहना पड़ रहा है, यह लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है.”
दूसरी ओर, द वॉशिंगटन स्टैंड ने लिखा, “जब देश की एक आबादी का हिस्सा यह मानने लगे कि वैध रूप से चुने गए अधिकारी ‘जनता के दुश्मन’ हैं - और उन्हें परेशान या खत्म करना ठीक है - तो यह अमेरिका की बुनियादी अवधारणा के लिए सबसे बड़ा खतरा है.”
चार्ली किर्क की हत्या और बढ़ती नफरत
चार्ली किर्क, जो एक प्रमुख दक्षिणपंथी कार्यकर्ता थे, उनकी हत्या के बाद से ही यह माहौल और खतरनाक हो गया है. उनके करीबी स्टीफन मिलर और अन्य ट्रंप समर्थक नेताओं के खिलाफ सोशल मीडिया और ग्राउंड स्तर पर हिंसक बयानबाजी तेज हो गई. कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि ट्रंप की बयानबाजी और नीतियों ने भी इस विभाजन को और गहरा किया है. 2020 के चुनावों के बाद से लेकर अब तक, ट्रंप समर्थकों और विरोधियों के बीच की खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है.
“लोगतंत्र से डरने वाले मंत्री” या “डराने वाला लोकतंत्र”?
इस पूरे घटनाक्रम ने अमेरिका में एक नई बहस छेड़ दी है - क्या अब अमेरिका के मंत्री जनता के बीच सुरक्षित नहीं हैं? कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन की नीतियों और बयानबाजी ने जनता के बीच घृणा और भय का माहौल पैदा किया, वहीं अन्य का मानना है कि अति-उग्र विरोध ने लोकतांत्रिक संवाद की सीमाएं तोड़ दी हैं. राजनीतिक विश्लेषक जॉर्ज कूपर का कहना है, “जब लोकतंत्र इतना असुरक्षित हो जाए कि मंत्री तक जनता से छिपने लगें, तब समझिए कि देश एक खतरनाक मोड़ पर है.”