क्या रूस ने सैनिकों के बदले नॉर्थ कोरिया को दी परमाणु पनडुब्‍बी? जानें किन देशों के लिए बन सकता है मुसीबत

उत्तर कोरिया ने अपनी पहली परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी पेश की, जिससे अमेरिका और दक्षिण कोरिया में चिंता बढ़ गई है. यह पनडुब्बी परमाणु हथियार ले जाने और पानी के अंदर से मिसाइल दागने में सक्षम हो सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि रूस से तकनीकी सहायता मिली हो सकती है. यह वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है.;

Curated By :  नवनीत कुमार
Updated On : 9 March 2025 2:25 PM IST

उत्तर कोरिया ने पहली बार अपनी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी की झलक दुनिया को दिखाई है, जिससे अमेरिका और दक्षिण कोरिया में चिंता बढ़ गई है. उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया ने शनिवार को इसकी तस्वीरें जारी कीं, जिसमें इसे 'रणनीतिक निर्देशित मिसाइल पनडुब्बी' बताया गया है.

इस खुलासे के बाद विशेषज्ञों का मानना है कि किम जोंग उन की यह नई पनडुब्बी अमेरिका और दक्षिण कोरिया के लिए गंभीर खतरा बन सकती है. तस्वीरों में किम को शिपयार्ड का निरीक्षण करते हुए देखा गया, जहां युद्धपोत बनाए जा रहे हैं. इस पनडुब्बी की तस्वीर आने के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या इसके लिए रूस ने सहायता की या उसने खुद इसे तैयार किया है.

परमाणु ऊर्जा से होगी लैस

एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस पनडुब्बी को परमाणु हथियार ले जाने और लॉन्च करने के लिए डिजाइन किया गया है. उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने 2021 में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी के निर्माण की कसम खाई थी, ताकि अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य गठजोड़ का मुकाबला किया जा सके. उन्होंने उस समय अत्याधुनिक हथियारों की एक लंबी सूची प्रस्तुत की थी, जिसमें ठोस ईंधन वाली इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें, हाइपरसोनिक हथियार, जासूसी उपग्रह और मल्टी-वारहेड मिसाइलें शामिल थीं. तभी से नॉर्थ कोरिया लगातार इन हथियारों को विकसित करने के लिए परीक्षण कर रहा है.

भारी प्रतिबंध के बाद कैसे मिली तकनीक?

नॉर्थ कोरिया की इस परमाणु पनडुब्बी को लेकर विशेषज्ञों ने कई सवाल उठाए हैं. सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारी प्रतिबंधों के बावजूद उत्तर कोरिया ने यह तकनीक और संसाधन कैसे हासिल किए? एनालिस्ट का मानना है कि उत्तर कोरिया ने रूस को यूक्रेन युद्ध के लिए हथियारों और सैनिकों की आपूर्ति की होगी, जिसके बदले में उसे पनडुब्बी के परमाणु रिएक्टर से संबंधित तकनीकी सहायता मिली हो सकती है. कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि उत्तर कोरिया आने वाले एक या दो साल में इस पनडुब्बी को लॉन्च कर अपनी क्षमता का परीक्षण कर सकता है.

सभी देशों की सुरक्षा पर पड़ेगा असर

उत्तर कोरिया की इस नई परमाणु पनडुब्बी के खुलासे से वैश्विक सुरक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. अमेरिका और दक्षिण कोरिया पहले ही उत्तर कोरिया की सैन्य गतिविधियों पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं. अगर उत्तर कोरिया अपनी परमाणु पनडुब्बी को तैनात करने में सफल हो जाता है, तो यह पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है. इससे अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान को अपनी रक्षा रणनीतियों को दोबारा तैयार करने की जरूरत पड़ सकती है. अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि उत्तर कोरिया इस पनडुब्बी का परीक्षण कब और कैसे करता है.

पनडुब्बी की क्या है खासियत?

कोरिया की न्यूज एजेंसी (KCNA) ने बताया कि किम जोंग उन को इस पनडुब्बी के निर्माण के बारे में जानकारी दी गई. हालांकि, डिटेल के बारे में नहीं बताया गया है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, यह 6000 से 70000 टन वर्ग की पनडुब्बी हो सकती है, जिसमें लगभग 10 मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं. इसका मतलब यह है कि उत्तर कोरिया अब पानी के नीचे से मिसाइल दागने की क्षमता हासिल करने के करीब पहुंच रहा है, जिससे उसके हमलों का पता लगाना और उन्हें रोकना कठिन हो सकता है. साथ ही इसकी खासियत है कि यह साइलेंट होगा तो दूसरे देश इसे ट्रैक नहीं कर पाएंगे.

किम के पास कितनी है पनडुब्बियां?

उत्तर कोरिया का पनडुब्बी बेड़ा दुनिया के सबसे बड़े बेड़ों में से एक है, जिसमें अनुमानित 70 से 90 डीजल-संचालित पनडुब्बियां शामिल हैं. हालांकि, इनमें से अधिकांश पुरानी तकनीक पर आधारित हैं और केवल टॉरपीडो और माइंस लॉन्च करने में सक्षम हैं. 2023 में उत्तर कोरिया ने अपनी पहली सामरिक परमाणु हमले की पनडुब्बी लॉन्च करने की घोषणा की थी, लेकिन विदेशी विशेषज्ञों ने इस दावे पर संदेह जताया था. माना जा रहा है कि यह वही डीजल-संचालित पनडुब्बी हो सकती है, जिसकी घोषणा उत्तर कोरिया ने 2019 में की थी.

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