Boss ने महिला को Office में गले लगाकर किया kiss, कोर्ट ने नहीं माना सेक्सुअल हैरेसमेंट! समझें पूरा मामला
चीन के क़िंगदाओ में एक सीनियर मैनेजर 'लिन' को ऑफिस में महिला सहकर्मी को किस करने पर कंपनी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए नौकरी से निकाल दिया था. हालांकि, महिला ने कोर्ट में गवाही दी कि सब कुछ सहमति से था और कोई उत्पीड़न नहीं हुआ.;
पूर्वी चीन के एक चौंकाने वाले मामले में एक सीनियर मैनेजर को पहले ऑफिस में महिला सहकर्मी को किस करने पर नौकरी से निकाला गया, लेकिन बाद में अदालत ने उसे फिर से बहाल करने का आदेश दे दिया. यह मामला भले ही 2017 में निपटा दिया गया था, लेकिन इसकी जानकारी 22 मई 2025 को पहली बार सार्वजनिक हुई जब शंघाई ट्रेड यूनियन ने इसे श्रम कानूनों के जनजागरूकता अभियान के तहत साझा किया.
मामले को समझें
मामला है क़िंगदाओ शहर का, जहां एक विदेशी शिपिंग कंपनी में प्रोडक्शन सुपरवाइज़र के तौर पर काम करने वाले 'लिन' नामक अधिकारी पर आरोप था कि उन्होंने अपनी जूनियर महिला सहकर्मी ‘शी’ को ऑफिस की सीढ़ियों पर गले लगाकर किस किया. कंपनी ने इस घटना को ‘सेक्सुअल हैरेसमेंट’ मानते हुए लिन को मई 2015 में नौकरी से बर्खास्त कर दिया. सीसीटीवी फुटेज में दोनों के बीच का यह व्यवहार रिकॉर्ड हो गया था.
क्या लगा आरोप?
कंपनी का आरोप था कि लिन ने अपने पद का दुरुपयोग कर शी को अनुचित तरक्की भी दी. हालांकि, लिन ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कोर्ट में केस ठोक दिया और नौकरी बहाल करने की मांग की. पहली अदालत ने माना कि लिन का व्यवहार कंपनी की आचार संहिता के खिलाफ था, इसलिए उसे निकालना उचित था. लेकिन अपील कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया. कोर्ट ने कहा कि "नैतिकता की अपेक्षा" केवल एक मार्गदर्शक सिद्धांत है, कोई कानूनी बाध्यता नहीं, और कंपनी यह साबित नहीं कर पाई कि लिन ने निजी लाभ उठाया.
अपील के दौरान महिला कर्मचारी शी ने भी गवाही दी कि वह लिन के साथ किसी जबरदस्ती या उत्पीड़न का शिकार नहीं हुई थीं, और दोनों के रिश्ते आपसी सहमति पर आधारित थे. आखिरकार, 2017 में उच्च न्यायालय ने कंपनी को आदेश दिया कि लिन को फिर से नौकरी पर रखा जाए और उसे 11.3 लाख युआन (करीब 1.3 करोड़ रुपये) का मुआवजा भी दिया जाए.
ये मामला अब चीन के सोशल मीडिया पर गरम बहस का मुद्दा बना हुआ है. कुछ लोग इसे 'कानूनी अधिकारों की जीत' मान रहे हैं, वहीं कुछ का सवाल है कि "क्या सार्वजनिक मर्यादा और शिष्टाचार को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया गया?'