ढाका की सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी, पुलिस ने दागे आंसू गैस के गोले; क्या है हिज्ब उत तहरीर, जिसने निकाला खिलाफत मार्च?
बांग्लादेश में प्रतिबंधित इस्लामी समूह हिज्ब उत-तहरीर ने शुक्रवार की नमाज के बाद ढाका में एक रैली निकाली, जिसका नाम 'मार्च फॉर खिलाफत' रखा गया. इस मार्च में हजारों लोग शामिल हुए. जब पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तो उनकी पुलिस के साथ झड़प शुरू हो गई. पुलिस ने भीड़ तो तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे. वहीं, प्रदर्शनकारियों ने ईंट-पत्थर से पुलिस पर हमला किया. आइए, आपको हिज्ब उत तहरीर के बारे में बताते हैं...;
Bangladesh News In Hindi: प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हिज्ब उत-तहरीर ने शुक्रवार को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में प्रशासन के आदेशों की अवहेलना करते हुए 'खिलाफत के लिए मार्च' आयोजित किया. इससे जुमे की नमाज़ के बाद एक मस्जिद के पास पुलिस के साथ झड़प हो गई. हजारों की संख्या में लोगों ने इस रैली में भाग लिया. यह रैली राजधानी के बायतुल मुक़र्रम राष्ट्रीय मस्जिद के उत्तर द्वार से शुरू हुई.
जब पुलिस ने खिलाफत मार्च को रोकने का प्रयास किया तो पालतन से विजय नगर की ओर बढ़ते समय तनाव बढ़ गया. पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले और साउंड ग्रेनेड का इस्तेमाल किया, जिससे प्रदर्शनकारी अस्थायी रूप से पीछे हट गए. हालांकि, वे बाद में फिर से इकट्ठा होकर मार्च जारी रखने का प्रयास करने लगे. स्थिति बिगड़ने पर, पुलिस ने फिर से आंसू गैस का उपयोग किया, जबकि प्रदर्शनकारियों ने ईंट और पत्थर फेंककर जवाबी हमला किया. इस टकराव में कई हिज्ब उत-तहरीर सदस्यों को गिरफ्तार किया गया.
क्या है हिज्ब उत तहरीर?
हिज्ब उत तहरीर वैश्विक स्तर पर इस्लामी राज्य और खिलाफत की स्थापना का प्रयास करने के लिए जाना जाता है. भारत ने इसे 'आतंकवादी संगठन' घोषित किया है. बांग्लादेश में यह समूह प्रतिबंधित है. इसकी सभी गतिविधियां और प्रदर्शन अवैध घोषित किए गए हैं.
पिछले साल भारत ने हिज्ब उत-तहरीर को घोषित किया आतंकी संगठन
पिछले वर्ष भारत ने हिज्ब उत-तहरीर को आतंकवादी संगठन घोषित किया था. उसने कहा था कि यह समूह आतंकवादी गतिविधियों के लिए युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और धन जुटाने जैसे विभिन्न कृत्यों में शामिल है, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए गंभीर खतरा है. यह संगठन वैश्विक स्तर पर भारत सहित इस्लामी राज्य और खिलाफत की स्थापना के लिए लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को जिहाद और आतंकवादी गतिविधियों के माध्यम से उखाड़ फेंकने का प्रयास करता है, जो देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है.
बता दें कि खिलाफत मार्च ऐसे समय में हुआ है, जब अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और सांस्कृतिक, धार्मिक, और कूटनीतिक संपत्तियों पर हालिया हमलों को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. खासकर पिछले साल पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पीएम पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद.
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले बढ़े
जनवरी में जारी एक संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि बांग्लादेश की हिंदू, अहमदिया मुस्लिम, और आदिवासी समुदायों के सदस्यों को भेदभाव विरोधी प्रदर्शनों और उसके बाद मानवाधिकार हनन का सामना करना पड़ा. हालांकि अधिकारियों ने इन हमलों के संबंध में 100 गिरफ्तारियां की हैं, लेकिन कई अपराधी अब भी बिना सजा के घूम रहे हैं.