सोने का अकूत भंडार, 590 करोड़ टन खनिज; अगर बलूचिस्तान अलग हुआ तो पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा पाकिस्तान!

बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, लेकिन इसकी जनसंख्या अपेक्षाकृत कम है. बलूचिस्तान ईरान और अफगानिस्तान की सीमाओं से लगा हुआ है, जिससे यह पाकिस्तान के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. यहां 590 करोड़ टन खनिज और सोने का अकूत भंडार पाया जाता है. अगर यह क्षेत्र पाकिस्तान से अलग होगा तो पाकिस्तान का अस्तित्व ही लगभग खत्म हो जाएगा. पढ़ें, यह खास रिपोर्ट...;

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By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 12 March 2025 4:04 PM IST

Balochistan Importance For Pakistan: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के लिए बलूचिस्तान प्रांत सबसे बड़ा सिरदर्द बन गया है. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने 11 मार्च को एक ट्रेन को हाईजैक कर 500 यात्रियों के बंधक बना लिया. बलूचिस्तान में पिछले साल आतंकी हमलों में 2526 लोगों ने अपनी जान गंवाई. यह 2023 की तुलना में 90 फीसदी अधिक है. मरने वालों में 700 पुलिसकर्मी और 900 से ज्यादा आम लोग शामिल हैं.

पाकिस्तान की सरकार बलूचिस्तान से बलूचों को खदेड़ने के लिए कई बार सैन्य कार्रवाई की है. इसकी वजह यह है कि बलूचिस्तान सबसे अमीर प्रांतों में से एक है. यहां जमीन के अंदर  कई टन सोना होने का अनुमान है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि अगर बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होता है तो क्या होगा. आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं...सोने का अकूत भंडार, 590 करोड़ टन खनिज, अगर बलूचिस्तान अलग हुआ तो पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा पाकिस्तान!

प्राकृतिक संसाधनों का होगा नुकसान

बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, लेकिन इसकी जनसंख्या अपेक्षाकृत कम है. बलूचिस्तान पाकिस्तान के सबसे समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों वाला क्षेत्र है. यहां से निकलने वाले गैस, खनिज, तांबा, सोना और कोयला पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को संबल देते हैं. अगर बलूचिस्तान अलग होता है, तो पाकिस्तान को इन संसाधनों का बड़ा नुकसान होगा. वहीं, ग्वादर बंदरगाह, जो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का सबसे अहम हिस्सा है, पाकिस्तान के हाथ से निकल जाएगा, जिससे चीन के साथ उसके व्यापारिक और सामरिक संबंधों पर भी असर पड़ेगा.

बता दें कि बलूचिस्तान 3 लाख 47 हजार 190 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. देश का 44 फीसदी हिस्सा इसी में स्थित है, जबकि कुल आबादी में से केवल 3.6 फीसदी यानी 1.49 करोड़ लोग ही यहां रहते हैं. यहां सोने और तांबे की खदानें भी हैं, जिसकी कीमत 174.42 लाख करोड़ बताई जा रही है. पाकिस्तान चीन को ये खदानें देने की योजना बना रहा है. अगर बलूचिस्तान अलग होता है तो उसे बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा.

ऊर्जा संकट का करना पड़ेगा सामना

पाकिस्तान में इस्तेमाल होने वाली प्राकृतिक गैस का एक बड़ा हिस्सा बलूचिस्तान से आता है. अगर यह क्षेत्र अलग हो जाता है, तो पाकिस्तान को बाहरी स्रोतों से महंगी ऊर्जा खरीदनी पड़ेगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. पहले ही पाकिस्तान ऊर्जा संकट से जूझ रहा है. बलूचिस्तान के अलग होने से यह समस्या और गंभीर हो जाएगी.

ग्वादर बंदरगाह पर नियंत्रण खत्म होने से प्रभावित होगा व्यापार 

बलूचिस्तान पाकिस्तान को ईरान और अफगानिस्तान की सीमाओं से जोड़ता है. अगर यह क्षेत्र अलग हो जाता है, तो पाकिस्तान का रणनीतिक महत्व कमजोर हो जाएगा. ग्वादर बंदरगाह पर पाकिस्तान का नियंत्रण खत्म होने से उसकी समुद्री शक्ति घट जाएगी, और उसका व्यापार प्रभावित होगा. अगर भारत, ईरान या अमेरिका बलूचिस्तान को समर्थन देते हैं, तो यह पाकिस्तान के लिए और भी बड़ी चुनौती बन जाएगी. बलूचिस्तान के चगाई जिले में ही 1998 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पहला परमाणु परीक्षण किया था.

अलगाववादी आंदोलनों को मिलेगा बल

अगर बलूचिस्तान अलग हो जाता है, तो पाकिस्तान में अलगाववादी आंदोलनों को बल मिलेगा. सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और गिलगित-बाल्टिस्तान में भी आजादी की मांग जोर पकड़ सकती है, जिससे पाकिस्तान के अंदर गृहयुद्ध जैसे हालात बन सकते हैं. सेना को और अधिक संसाधन खर्च करने पड़ सकते हैं.

अंतरराष्ट्रीय छवि पर पड़ेगा बुरा असर

अगर बलूचिस्तान अलग होता है, तो यह पाकिस्तान की राष्ट्रीय एकता और संप्रभुता की बड़ी हार होगी. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की छवि कमजोर होगी. कई देश इसे असफल राष्ट्र (Failed State) के रूप में देखने लगेंगे. भारत के लिए यह एक रणनीतिक जीत होगी, क्योंकि इससे पाकिस्तान की क्षेत्रीय ताकत कम हो जाएगी.

Full View

कुल मिलाकर, अगर बलूचिस्तान अलग होता है, तो पाकिस्तान को गंभीर आर्थिक, ऊर्जा, सुरक्षा और कूटनीतिक संकटों का सामना करना पड़ेगा. इसकी अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर है, और बलूचिस्तान के अलग होने से यह और गिर सकती है. वास्तव में, यह पाकिस्तान के लिए अस्तित्व का संकट (Existential Crisis) बन सकता है, जिससे देश को संभलना मुश्किल हो जाएगा. अगर कहा जाए कि पाकिस्तान कंकड़ पत्थर खाने के लिए मजबूर होगा जाएगा तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. 

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