सावधान! आग से होने वाला वायु प्रदूषण हर साल ले रहा 15 लाख से ज्‍यादा लोगों की जान

हाल ही में हुए एक अध्ययन में बताया गया कि आग से होने वाले वायु प्रदूषण से हर साल 15 लाख से अधिक मौतें होती हैं, जिनमें से अधिकांश मौतें विकासशील देशों में होती हैं. आने वाले सालों में मृतकों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हो सकती है. स्टडी में खुलासा हुआ कि 2000 से 2019 के बीच आग से संबंधित वायु प्रदूषण के कारण प्रति वर्ष लगभग 450,000 मौतें हृदय रोग से हुईं.;

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Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 28 Nov 2024 11:04 AM IST

Air Pollution: दुनिया भर में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जंगलों में अपने आप आग लग जाती है और उससे निकलने वाला धुआं मनुष्य की सेहत के लिए बेहद खतरनाक है. इससे सांस संबंधी कई बीमारी हो जाती है. अब एक स्टडी में खुलासा हुआ कि वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में हर साल 1.5 मिलियन से अधिक लोगों की मौत हो जाती है.

NDTV में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में हुए एक अध्ययन में बताया गया कि आग से होने वाले वायु प्रदूषण से हर साल 15 लाख से अधिक मौतें होती हैं, जिनमें से अधिकांश मौतें विकासशील देशों में होती हैं. आने वाले सालों में मृतकों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हो सकती है.

क्यों बढ़ रही आग की घटनाएं?

द लैंसेट जर्नल में वायु प्रदूषण को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की गई. जिसमें बताया गया कि जलवायु परिवर्तन के कारण जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही है. आने वाले वर्षों में मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है. शोधकर्ताओं की अंतर्राष्ट्रीय टीम ने "लैंडस्केप फायर" पर मौजूदा आंकड़ों का अध्ययन किया, जिसमें प्राकृतिक रूप से भड़कने वाली जंगली आग और कृषि भूमि पर नियंत्रित रूप से जलाकर लगाई जाने वाली आग दोनों शामिल हैं. स्टडी में खुलासा हुआ कि 2000 से 2019 के बीच आग से संबंधित वायु प्रदूषण के कारण प्रति वर्ष लगभग 450,000 मौतें हृदय रोग से हुईं.

सांस संबंधी बीमारियों का खतरा

रिपोर्ट में वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली बीमारियों के बारे में भी जानकारी दी गई. जिसमें कहा गया कि आग से हवा में फैले धुएं व कणों की वजह से सांस संबंधी बीमारियों से 220,000 से अधिक लोगों ने अपनी जान गवा दी हैं. दुनिया भर में सभी कारणों से कुल 1.53 मिलियन वार्षिक मौतें हुई हैं. इनमें से 90 प्रतिशत से अधिक मौतें और विकासशील और विकसित देशों में हुईं, जिनमें से लगभग 40 प्रतिशत मौतें अकेले उप-सहारा अफ्रीका में हुईं.

इन देशों में हुई सबसे ज्यादा मौतें

आग से निकले वाले धुएं की वजह से सबसे अधिक मृत्यु दर वाले देश चीन, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, भारत, इंडोनेशिया और नाइजीरिया थे. भारत में पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ रहा है. स्टडी करने वाले लेखकों में से एक लैंसेट ने कहा कि अमीर और गरीब देशों के बीच असमानता "जलवायु अन्याय" को उजागर करती है, जिसमें वैश्विक तापमान में सबसे कम योगदान देने वाले देश इससे सबसे अधिक पीड़ित होते हैं. इस समस्या से बचने के लिए क्षेत्र से दूर चले जाना, एयर प्यूरीफायर और मास्क का उपयोग करना या घर के अंदर रहना जैसे तरीकों को अपना कर बचाव कर सकते हैं.

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