'वाइट पीपल गो बैक टू यूरोप', कनाडा पर खालिस्तानी समर्थकों का दावा: क्या खालिस्तान है अगला आतंकी खतरा?

By :  अमन बिरेंद्र जायसवाल
Updated On : 14 Nov 2024 1:47 PM IST

हाल ही में कनाडा के सरे, ब्रिटिश कोलंबिया की सड़कों पर खालिस्तान समर्थकों की एक रैली में "कनाडा हमारा है" और "सफेद लोग यूरोप वापस जाएं" जैसे विवादास्पद नारे लगे. ये बयान कनाडा के बहु-सांस्कृतिक समाज के लिए चुनौतीपूर्ण हैं और कई लोगों के बीच इस आशंका को बढ़ा रहे हैं कि खालिस्तान आंदोलन कहीं आतंकवाद की ओर तो नहीं बढ़ रहा.

कनाडा हमेशा से एक ऐसा देश रहा है, जहां दुनिया के हर कोने से आए लोग शांति से रहते हैं. लेकिन खालिस्तान समर्थकों की बढ़ती गतिविधियों ने यहां की फिज़ा में हलचल मचा दी है. यह कहना कि "कनाडा पर उनका हक है" उनके इरादों की गंभीरता दिखाता है और उनके आक्रामक रवैये को भी. यह बात कनाडा के उन सभी लोगों के लिए चिंता का कारण है जो वहां शांति से रहना चाहते हैं.

सिख समुदाय के एक हिस्से ने खालिस्तान के सपोर्ट में कई बार खुलकर प्रदर्शन किए हैं. वे मानते हैं कि कनाडा में उन्हें ज्यादा अधिकार मिलने चाहिए, पर अब यह आंदोलन धीरे-धीरे हिंसक और सांप्रदायिक रूप लेता जा रहा है.

क्या खालिस्तान आतंकवाद का अगला चेहरा बन सकता है?

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब हम देखते हैं तो कई धार्मिक और विचारधारात्मक समूहों ने अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए आतंकवादी संगठन का रूप ले लिया. मिडिल ईस्ट के कई संगठन, जैसे कि ईरान, इराक, अफगानिस्तान में सक्रिय समूहों ने अपने धर्म के नाम पर आतंकवाद को फैलाया है. अब सवाल यह उठता है कि क्या खालिस्तान भी ऐसा ही कोई संगठन बनने की राह पर है?

खालिस्तान समर्थक बीते कुछ समय में हिंसक गतिविधियों में शामिल होते दिखाई दिए हैं. 1980 के दशक में, खालिस्तान के लिए हुए सशस्त्र संघर्ष ने भारत में भारी तबाही मचाई थी। अब कनाडा जैसे शांतिप्रिय देश में इसी तरह की गतिविधियों का फैलाव एक खतरे का संकेत दे रहा है.

खालिस्तानी समर्थकों की हिंसक घटनाएं और बढ़ते खतरे

खालिस्तानी समर्थकों की हिंसक गतिविधियों का इतिहास बहुत पुराना है. 1980 के दशक में खालिस्तान के लिए चलाए गए सशस्त्र आंदोलन में हजारों निर्दोषों की जान गई थी. अब, कनाडा जैसे शांतिपूर्ण देश में इस तरह की गतिविधियों का फैलाव कहीं यह संकेत तो नहीं दे रहा कि खालिस्तान का यह आंदोलन फिर से एक आतंकवादी संगठन की तरह विकसित हो रहा है?

खालिस्तानी समर्थकों पर काबू पाएगी कनाडा सरकार

अब कनाडा सरकार के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि वह कैसे इन खालिस्तानी समर्थकों पर काबू पाएगी. अगर ये गतिविधियां वक्त रहते नहीं रोकी गईं, तो इसका असर कनाडा के अलावा भारत और अन्य देशों पर भी पड़ेगा. भारत पहले भी खालिस्तानी आतंकवाद का सामना कर चुका है, और यह मुद्दा उसके लिए भी बड़ा सिरदर्द बन सकता है.

खालिस्तानी समर्थकों का बढ़ता प्रभाव कनाडा और अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा है. यदि इन गतिविधियों को समय रहते रोका नहीं गया, तो खालिस्तान आंदोलन आतंकवादी संगठन का रूप ले सकता है, जो अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए एक गंभीर खतरा साबित हो सकता है.

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