रूसी तेल नहीं, भारत की विदेश नीति से परेशान है अमेरिका, ये क्‍या बोल रहे मार्को रुबियो?

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने से रोकने वाले सबसे बड़े विरोधाभासों में से एक भारत द्वारा अपने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को अमेरिकी वस्तुओं के लिए खोलने का कड़ा विरोध करना है. मार्को रुबियो का कहना है कि भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने से अमेरिकी राष्ट्रपति निराश हैं, लेकिन भारत के साथ नाराजगी के और भी कारण हैं.;

( Image Source:  Secretary Marco Rubio / @SecRubio )
By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 1 Aug 2025 12:38 PM IST

अमेरिका सीनेटर मार्को रुबियो ने इंडिया और रूस के रिश्तों की गहराई पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि भारत का सिर्फ रूसी तेल खरीदना ही अमेरिका की नाराजगी की वजह नहीं है बल्कि इसके पीछे और भी कई राजनीतिक कारण हैं, जो अमेरिका की विदेश नीति पर असर डालते हैं. अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो ने एक बयान में कहा है कि भारत द्वारा रूस से तेल खरीदना केवल सतही मुद्दा है. असली चिंता भारत की राजनीतिक दिशा और रूस के साथ गहरे संबंधों को लेकर है. क्या अमेरिका-भारत रिश्तों में दरार की शुरुआत हो रही है?

फिलहाल, अपने कृषि क्षेत्र को खोलने के भारत के विरोध ने अमेरिका को नाराज कर दिया है.अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने गुरुवार को कहा कि भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने से यूक्रेन में मास्को के युद्ध प्रयासों को बढ़ावा मिल रहा है. यह वाशिंगटन के साथ नई दिल्ली के संबंधों में "निश्चित रूप से नाराजगी का कारण" है.

रूस से ही तेल की खरीद क्यों?

फॉक्स रेडियो के साथ एक साक्षात्कार में रुबियो ने दावा किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति इस बात से निराश हैं कि भारत इतने सारे अन्य तेल विक्रेता उपलब्ध होने और यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध प्रयासों को वित्तपोषित करने में मदद करने के बावजूद रूस से तेल खरीदना जारी रखे हुए है. रुबियो ने ये भी कहा, "भारत की ऊर्जा जरूरतें बहुत ज्यादा हैं. इसमें तेल, कोयला, गैस और अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए जरूरी चीजें खरीदने की क्षमता शामिल है. जैसा कि हर देश करता है.

डेयरी क्षेत्र को खोलने से भारत का इनकार

भारत इसे रूस से खरीदता है, क्योंकि रूसी तेल प्रतिबंधित है और सस्ता है. कई मामलों में प्रतिबंधों के कारण वे इसे वैश्विक कीमत से कम पर बेच रहा है. अमेरिका भारत के कृषि बाजार, खासतौर पर जीएम फसलों जैसे डेयरी और मक्का, सोयाबीन, सेब, बादाम और इथेनॉल जैसे उत्पादों तक ज्यादा पहुंच बनाने पर जोर दे रहा है. वे इन संवेदनशील क्षेत्रों में टैरिफ में कटौती पर जोर दे रहे हैं.

इस बारे में भारत सरकार का कहना है कि देश में सस्ते सब्सिडी वाले अमेरिकी कृषि उत्पादों की अनुमति देने से लाखों छोटे किसानों की आय को नुकसान होगा.भारत ने अमेरिका से कहा है कि डेयरी, चावल, गेहूं और मक्का व सोयाबीन जैसी आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों पर शुल्क कम करना अभी संभव नहीं है. इस तरह के कदम से 70 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण लोगों को नुकसान हो सकता है, जिनमें लगभग 8 करोड़ छोटे डेयरी किसान शामिल हैं.

इन क्षेत्रों में अमेरिका चाहता है ढील

इसके अलावा, अमेरिका इथेनॉल, सेब, बादाम, ऑटो, चिकित्सा उपकरण, दवाइयां और यहां तक कि मादक पेय पदार्थ तक अपनी पहुंच सुनिश्चित करना चाहता है. वह यह भी चाहता है कि भारत अपनी गैर-शुल्क बाधाओं को कम करे, सीमा शुल्क नियमों को सरल बनाए, और डेटा भंडारण, पेटेंट और डिजिटल व्यापार से संबंधित कानूनों में ढील दे.

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