लालू परिवार का संग्राम, जो बन गया बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा इमोशनल-पॉलिटिकल ड्रामा

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Edited By :  प्रवीण सिंह
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14 नवंबर, पटना का राबड़ी निवास. एक ठंडी और तनावपूर्ण शाम. टीवी पर चुनाव के नतीजे आ रहे थे. RJD को सिर्फ़ 25 सीटें मिलीं. कमरा लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, मीसा भारती, संजय यादव, रमीज़ से भरा हुआ था... और एक कोने में चुपचाप बैठी रोहिणी आचार्य, वो बेटी जिसने कभी अपने पिता की जान बचाने के लिए अपनी किडनी डोनेट की थी. इसके बाद जो हुआ उसने बिहार की पॉलिटिक्स को हिलाकर रख दिया: रोहिणी अचानक खड़ी हुईं और चिल्लाईं, “हम गलत फ़ैसलों की वजह से हारे... और सब जानते हैं कि कौन ज़िम्मेदार है!” इस एक वाक्य ने धमाका कर दिया: बहस, गाली-गलौज, आरोप, यहां तक कि यह दावा भी कि किसी ने उन पर चप्पल उठाई. कुछ ही घंटों में, रोहिणी ने अपना बैग पैक किया और घर छोड़ दिया.


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