एक सिगरेट और एक सवाल ने बदल दी ज़िंदगी, सुनिए Manoj Kumar की अनकही Story

The Journey of Manoj Kumar: From Partition Pain to 'Bharat Kumar' | Partition | Patriotic Cinema |

साल था 1947. देश आज़ाद हुआ, लेकिन एक कड़वे बंटवारे की कीमत पर. पाकिस्तान के ऐबटाबाद में एक 10 साल का बच्चा अपनी मां की सूनी गोद और पिता की नम आंखों के बीच बैठा था. नाम था हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी. बंटवारे की आग में उसका बचपन जल रहा था. उजड़ा हुआ घर, दंगों में खोया चाचा और अस्पताल में तड़पकर मरा मासूम भाई कुक्कू. ये सब घटना उसकी आंखों के सामने हुआ था. दिल्ली के शरणार्थी कैंप की लड़खड़ाती ज़िंदगियों में उस बच्चे की आंखों में बस एक ही सवाल था, “क्या मुझे भी कभी पहचान मिलेगी?” लेकिन यही दर्द, उसके लिए आग बन गया.


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