बिहार की मोकेमा विधानसभा सीट से जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह ने जेल में रहते हुए भी 28 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से बड़ी जीत दर्ज की है. लेकिन अब असली सवाल शुरू होते हैं—क्या वह जेल से ही शपथ ले पाएंगे? क्या उन्हें विधानसभा सत्र में भाग लेने की अनुमति मिलेगी? भारतीय संविधान के अनुच्छेद 188 के तहत शपथ की प्रक्रिया क्या कहती है? कितने दिनों तक चुना गया विधायक बिना शपथ के रह सकता है? क्या उन्हें परोल या कस्टडी में विधानसभा लाया जा सकता है? और 59 दिनों तक सदन से अनुपस्थित रहने का नियम उनके लिए कितना चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है? यह स्थिति पहले भी इंजनियर राशिद और अमृतपाल सिंह जैसे निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ देखने को मिली है. आनंद सिंह की जीत एक राजनीतिक सनसनी है, लेकिन अब उनकी असली कानूनी परीक्षा शुरू होने वाली है—सदन तक पहुंचने का रास्ता कितना आसान होगा, यह आने वाला समय बताएगा.