क्या है 'भूटान वाला' टैक्स, जो लगने जा रहा है नैनीताल में? बिना चुकाए नहीं होगी एंट्री, कितना देना होगा आपको Tax
घूमना हर किसी को पसंद होता है, खासकर जब बात पहाड़ियों और वादियों की खूबसूरती में खो जाने की हो. लेकिन अगर आप इन दिनों नैनीताल घूमने की योजना बना रहे हैं, तो अब आपको अतिरिक्त खर्च के लिए तैयार रहना होगा. नैनीताल आने वाले हर पर्यटक वाहन पर इको टैक्स लगाने का फैसला लिया गया है. इस टैक्स को चुकाए बिना शहर में प्रवेश संभव नहीं होगा.;
घूमना हर किसी को पसंद होता है, खासकर जब बात पहाड़ियों और वादियों की खूबसूरती में खो जाने की हो. लेकिन अगर आप इन दिनों नैनीताल घूमने की योजना बना रहे हैं, तो अब आपको अतिरिक्त खर्च के लिए तैयार रहना होगा. नैनीताल आने वाले हर पर्यटक वाहन पर इको टैक्स लगाने का फैसला लिया गया है. इस टैक्स को चुकाए बिना शहर में प्रवेश संभव नहीं होगा.
क्या है नया इको टैक्स?
नैनीताल पालिका बोर्ड ने इस टैक्स को मंजूरी दे दी है, जो लेक ब्रिज चुंगी और कालाढूंगी रोड (बारापत्थर) से आने वाले सभी वाहनों पर लागू होगा. पर्यटकों को 120 रुपये का इको टैक्स देना होगा. इस टैक्स से मिलने वाली राशि शहर के पर्यावरण संरक्षण के लिए खर्च की जाएगी.
पर्यटन बढ़ा, लेकिन पर्यावरण पर संकट
हर साल 12 से 15 लाख पर्यटक नैनीताल पहुंचते हैं। इससे वाहनों की संख्या बढ़ने के साथ प्रदूषण भी बढ़ता है। साथ ही, बाजारों और जंगलों में प्लास्टिक-कचरे की समस्या गंभीर होती जा रही है. इको टैक्स को पर्यावरण बचाने का जरूरी कदम बताया जा रहा है, लेकिन इस फैसले से स्थानीय लोगों में नाराजगी भी देखी जा रही है.
स्थानीय लोग क्यों कर रहे हैं विरोध?
ग्रामीणों का कहना है कि वे पहले ही सीवर और सफाई टैक्स चुका रहे हैं, तो फिर उन पर अतिरिक्त इको टैक्स क्यों लगाया जा रहा है? हाईकोर्ट ने पहले चुंगी व्यवस्था खत्म कर दी थी, लेकिन अब इको टैक्स के नाम पर इसे दोबारा लागू करने की कोशिश की जा रही है. स्थानीय लोगों की मांग है कि मसूरी की तर्ज पर टैक्स की दरें कम की जाएं, ताकि यह ज्यादा बोझ न बने.
क्या यह फैसला सही है?
पालिका प्रशासन का कहना है कि यह टैक्स नैनीताल की सुंदरता और पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी है. लेकिन यदि इको टैक्स बहुत अधिक होगा, तो इसका विरोध भी बढ़ सकता है. संतुलित टैक्स दरें तय करना ही इस विवाद का समाधान हो सकता है.