छोटा है घर तो नहीं पाल सकते पिटबुल-रोटवीलर जैसे खूंखार कुत्ते! उत्तराखंड नगर निगम ने लागू किए सख्त बायलॉज

अगर कोई व्यक्ति पांच या उससे ज्यादा कुत्ते पालता है, तो उसके लिए अपना निजी कुत्ता आश्रय स्थल (शेल्टर) बनाना जरूरी होगा. इसके लिए उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड से अनुमति लेनी पड़ेगी, नगर निगम को जानकारी देनी पड़ेगी और हर साल 1000 रुपये का लाइसेंस शुल्क देना होगा.;

( Image Source:  Create By AI Sora )
Edited By :  रूपाली राय
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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पिछले कुछ समय से कुत्तों के हमले की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं. इससे लोगों में डर का माहौल है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए. इन घटनाओं को देखते हुए देहरादून नगर निगम ने पालतू कुत्तों और आवारा कुत्तों दोनों के लिए नए और सख्त नियम बना दिए हैं. ये नियम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए तैयार किए गए हैं.  इसका मुख्य उद्देश्य शहर के लोगों की सुरक्षा को मजबूत करना है और साथ ही कुत्तों को पालने वालों में जिम्मेदारी की भावना जगाना है.

अब देहरादून में अगर कोई कुत्ता पालना चाहता है, तो नगर निगम से लाइसेंस लेना जरूरी हो गया है. खास तौर पर तीन महीने या उससे ज्यादा उम्र के हर पालतू कुत्ते का पंजीकरण कराना अनिवार्य है. यह पंजीकरण एक साल के लिए वैध रहेगा और हर साल इसे नवीनीकृत कराना पड़ेगा. अगर कोई बिना पंजीकरण के कुत्ता पालेगा, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी, जैसे जुर्माना या अन्य सजा. साथ ही, कुत्ते को रेबीज का टीका लगवाना भी जरूरी है. अगर लाइसेंस की वैधता के दौरान टीके की समय सीमा खत्म हो जाती है, तो लाइसेंस अपने आप रद्द हो जाएगा. 

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खतरनाक नस्ल के कुत्तों पर कानूनी सख्ती 

नगर निगम ने खासकर खूंखार और आक्रामक नस्ल के कुत्तों पर ज्यादा सख्ती दिखाई है. जैसे पिटबुल, रोटवीलर, डोगो अर्जेंटीनो, अमेरिकन बुलडॉग और ऐसी ही अन्य खतरनाक नस्लों के लिए हर साल 2000 रुपये का लाइसेंस शुल्क रखा गया है. इन कुत्तों को पालने के लिए घर में कम से कम 300 वर्ग गज का जगह होना जरूरी है, ताकि वे आसपास के लोगों को खतरा न पैदा करें. इसके अलावा, ऐसे कुत्ते जब एक साल के हो जाएं, तो उनकी नसबंदी करानी अनिवार्य होगी. नसबंदी का प्रमाण पत्र नगर निगम में जमा करना पड़ेगा. इन नस्लों की ब्रीडिंग यानी नई पीढ़ी पैदा करने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है. अगर किसी के पास पहले से ऐसे कुत्ते हैं, तो उन्हें तीन महीने के अंदर कुत्ते की खरीद का प्रमाण और नसबंदी का सर्टिफिकेट जमा करना होगा, वरना कार्रवाई होगी. 

कुत्ता ज्यादा भौंके तो आएगा नोटिस 

नए नियमों में पालतू कुत्तों को बाहर घुमाने के लिए भी सख्त निर्देश हैं. सार्वजनिक जगहों पर कुत्ते को पट्टे (लीश) में बांधकर, मुंह पर मुंहबंद (मजल) लगाकर और मालिक की निगरानी में ही ले जाना होगा. अगर कुत्ता खुले में शौच करेगा, तो मालिक पर चालान काटा जाएगा. अगर कुत्ता किसी को काट ले, तो घायल व्यक्ति की हालत की गंभीरता के अनुसार जुर्माना लगेगा. गंभीर मामलों में मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है और कुत्ता जब्त भी किया जा सकता है. अगर कुत्ता बहुत ज्यादा भौंके और इससे शिकायत आए, तो नोटिस जारी किया जाएगा और चालान भी काटा जा सकता है. 

आवारा कुत्तों पर भी लागू होंगे नियम 

अगर कोई व्यक्ति पांच या उससे ज्यादा कुत्ते पालता है, तो उसके लिए अपना निजी कुत्ता आश्रय स्थल (शेल्टर) बनाना जरूरी होगा. इसके लिए उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड से अनुमति लेनी पड़ेगी, नगर निगम को जानकारी देनी पड़ेगी और हर साल 1000 रुपये का लाइसेंस शुल्क देना होगा. अगर यह शेल्टर किसी आवासीय इलाके के पास है, तो पड़ोसियों से कोई आपत्ति न होने का प्रमाण पत्र भी जमा करना होगा. आवारा कुत्तों के लिए भी अच्छे इंतजाम किए गए हैं. नगर निगम कॉलोनियों और रेजिडेंट वेलफेयर सोसायटी के साथ मिलकर खास फीडिंग प्वाइंट बनाएगा, जहां आवारा कुत्तों को नियंत्रित तरीके से खाना खिलाया जा सके. लेकिन स्कूलों, धार्मिक स्थलों, भीड़भाड़ वाली जगहों या कॉलोनियों के प्रवेश-निकास द्वारों पर कुत्तों को खाना खिलाना पूरी तरह प्रतिबंधित है. अगर कोई ऐसा करता पाया गया, तो उस पर कार्रवाई होगी. 

बड़ा जागरूकता अभियान

इन सभी नियमों को अच्छी तरह लागू करने के लिए नगर निगम जल्द ही एक बड़ा जागरूकता अभियान चलाएगा. इसमें लोगों को बताएगा कि कुत्तों को जिम्मेदारी से कैसे पालें और शहर को सुरक्षित कैसे रखें. ये नए नियम शहरवासियों की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी हैं और उम्मीद है कि इससे कुत्तों के हमलों की घटनाएं कम होंगी. अगर आप देहरादून में रहते हैं और कुत्ता पालते हैं, तो जल्द से जल्द इन नियमों का पालन शुरू कर दें, ताकि किसी तरह की परेशानी न हो. 

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