Cloud Burst या कुछ और, उत्तरकाशी के धराली गांव में कैसे आई भीषण तबाही? चंद सेकंड में गायब हो गया आधे से ज्यादा गांव
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में अचानक हुए भूस्खलन और मलबे के सैलाब ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई. शुरुआत में इसे बादल फटने की घटना माना गया, लेकिन मौसम विभाग (IMD) ने उस वक्त क्षेत्र में कोई भी क्लाउड बर्स्ट दर्ज नहीं किया. विशेषज्ञों का मानना है कि ऊंचाई पर अत्यधिक वर्षा या जलवायु परिवर्तन इसका कारण हो सकते हैं. इस घटना ने हिमालयी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के चलते बढ़ते खतरे और मौसमी निगरानी की सीमाओं को उजागर किया है.;
Uttarkashi mudslide Dharali village disaster : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को आई अचानक कीचड़ और मलबे की बाढ़ ने वैज्ञानिकों और मौसम विशेषज्ञों को चौंका दिया है. समुद्र तल से करीब 2,745 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस गांव में कुछ ही सेकंडों में कीचड़ और पानी की तेज़ धारा ने बड़ी तबाही मचा दी.
वीडियो फुटेज में देखा गया कि ऊपर की ओर से भारी मात्रा में मलबा और पानी गांव की ओर तेजी से बहता हुआ आया, जिसने कई हिस्सों को अपनी चपेट में ले लिया. अब तक 5-6 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है. वहीं, हर्षिल में सेना के 11 जवान लापता हैं.
"धराली में आईटीबीपी की पांच टीमें कर रहीं काम"
आईटीबीपी के प्रवक्ता कमलेश कमल ने बताया, "धराली में आईटीबीपी की पांच टीमें हैं, जिनमें 130 जवान हैं. 100 से ज़्यादा जवान रास्ते में हैं. वे जल्द ही वहां पहुंच जाएंगे... हमने आज सुबह एक शव बरामद किया है और 100 से ज़्यादा लोगों को बचा लिया गया है." उन्होंने आगे कहा, "कल हमें जानकारी मिली कि किन्नौर जाने वाले रास्ते में एक लकड़ी का मैक्सी-शिफ्ट पुल बह गया था. हमें शुरुआती चरण में पता चला कि लगभग 100 लोग फंसे हुए थे. आज सुबह तक 413 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है."
आईटीबीपी के प्रवक्ता ने बताया कि सुबह से अब तक 57 लोगों को बचाया जा चुका है. जानकारी यह है कि वहां 100 और लोग फंसे हुए हैं. शाम तक उन्हें भी बचा लिया जाएगा. हमें जानकारी मिली है कि वहां एक व्यक्ति की जान चली गई है."
क्लाउड बर्स्ट नहीं था कारण?
शुरुआती जांच में उत्तराखंड सरकार ने इसे क्लाउड बर्स्ट का नतीजा बताया था- एक ऐसी घटना जिसमें बहुत कम समय में 100 मिमी से ज्यादा बारिश होती है. क्लाउड बर्स्ट पहाड़ी इलाकों में अक्सर फ्लैश फ्लड और लैंडस्लाइड जैसी घटनाओं की वजह बनते हैं, लेकिन IMD (भारतीय मौसम विभाग) की रिपोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया. विभाग के मुताबिक, घटना के समय धराली और उसके आसपास किसी भी वेदर स्टेशन ने क्लाउडबर्स्ट जैसी कोई गतिविधि दर्ज नहीं की.
तो आखिर वजह क्या थी?
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसा संभव है कि भारी वर्षा की घटना गांव से काफी ऊपर, 3,000 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर हुई हो, जहां मौसम विभाग की निगरानी नहीं पहुंच पाती. वहां से आया पानी और मलबा नीचे ढलानों की तरफ बहते हुए धाराली गांव तक पहुंच गया हो.
क्लाउड बर्स्ट आमतौर पर ऊंचाई पर क्यों नहीं होते?
हिमालय जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में क्लाउड बर्स्ट की घटनाएं अधिकतर 1,000 से 2,500 मीटर की ऊंचाई पर होती हैं. 3,000 मीटर से ऊपर, वातावरण अधिक ठंडा और शुष्क होता है, जिससे भारी वर्षा की संभावना कम हो जाती है. ‘ओरोग्राफिक इफेक्ट’ नामक भौगोलिक प्रक्रिया इसमें बड़ी भूमिका निभाती है. इसमें जब नमी वाली हवा पहाड़ों से टकराकर ऊपर उठती है, तो वह ठंडी होकर संकुचित होती है और भारी बारिश का कारण बनती है, लेकिन यह प्रभाव ऊंचाई बढ़ने पर कम हो जाता है.
क्या यह जलवायु परिवर्तन का नतीजा था?
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा के पैटर्न को तेजी से बदल रहा है. बढ़ते तापमान के कारण ऊंचे इलाकों में बर्फबारी की जगह बारिश होने लगी है, जिससे भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं बढ़ रही हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, ग्लोबल टेंपरेचर में हर 1°C बढ़ोतरी पर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में औसतन 15% ज्यादा बारिश दर्ज की जाती है. यह ट्रेंड हिमालय, आल्प्स और अमेरिका के पर्वतीय क्षेत्रों में पहले से देखा जा रहा है.
ग्लेशियर पिघलने से बढ़ा नया खतरा
तेजी से पिघलते ग्लेशियर ‘ग्लेशियर झील विस्फोट बाढ़’ (GLOF) जैसी विनाशकारी घटनाओं का कारण बन रहे हैं. जब ये झीलें टूटती हैं तो नीचे की बस्तियों में अचानक बाढ़ आ जाती है. इसके अलावा, अलग-अलग क्षेत्रों में मौसमी बदलावों और वायुप्रवाह की दिशा में बदलाव जैसी असमानताएं भी देखी जा रही हैं, जिससे कुछ जगहों पर अत्यधिक वर्षा हो रही है और कुछ जगहों पर सूखा.