धान नहीं बिक रही, बेटी की शादी कैसे करूं? बेबस किसान ने सरकारी ऑफिस के बाहर अपने ही फसल में लगा दी आग

उत्तराखंड के उधम सिंह नगर में एक परेशान किसान ने सरकारी धान केंद्र के बाहर अपनी ही फसल पर आग लगा दी. दरअसल जिले में कई हफ्तों से सरकारी धान खरीद केंद्र बंद पड़े हैं. ऐसे में किसान अपनी मेहनत की फसल लेकर रोज केंद्रों के चक्कर काट रहे हैं. इसी बीच, बेटी की शादी और बैंक के कर्ज का बोझ किसान ने यह कदम उठाया.;

( Image Source:  AI SORA )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 11 Nov 2025 4:50 PM IST

उधमसिंह नगर जिले के किसान इन दिनों गहरी परेशानी में हैं. धान का सीजन खत्म होने को है, लेकिन सरकारी क्रय केंद्रों पर खरीद पूरी तरह ठप पड़ी है. ऐसे में किसानों की मेहनत का पसीना सूखने लगा है. किच्छा के किसान चंद्रपाल की कहानी इस व्यवस्था की सच्ची तस्वीर दिखाती है.

यहां एक किसान ने सरकारी खरीद केंद्र के बाहर अपने ही धान के ढेर में आग लगा दी. वजह फसल बिक नहीं रही थी और सिर पर बेटी की शादी की जिम्मेदारी थी. हताश और परेशान किसान के इस कदम ने सिस्टम की सुस्ती और सरकारी उदासीनता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. गनीमत रही कि मौके पर मौजूद अन्य किसानों ने तुरंत आग बुझाकर बड़ी अनहोनी को टाल दिया.

नहीं बिक रहा धान

ग्राम दरऊ निवासी किसान चंद्रपाल की बेटी की शादी महज 15 दिन बाद होनी है. बरेली के बहेड़ी इलाके में रिश्ता तय हुआ है. शादी की तैयारियां उसी पैसों से होनी थीं, जो धान बेचकर आने थे. लेकिन किस्मत और व्यवस्था दोनों ने उनसे मुंह मोड़ लिया. लगभग एक महीने पहले उन्होंने 60 कुंतल धान दरऊ क्रय केंद्र पर जमा किया था. लेकिन केंद्र प्रभारी ने लिमिट पूरी होने का हवाला देकर तौल से इनकार कर दिया.

धान के ढेर पर लगाई आग

हर दिन चंद्रपाल उम्मीद के साथ केंद्र पर जाते थे कि शायद आज उनका धान बिक जाए, मगर हर बार खाली हाथ लौटना पड़ता. बैंक का कर्ज और बेटी की शादी का खर्च दोनों का बोझ उन्हें भीतर से तोड़ चुका था. जब हालात असहनीय हो गए, तो उन्होंने अपने ही धान के ढेर में आग लगा दी. शुक्र है कि पास मौजूद किसानों ने समय रहते आग बुझा दी और चंद्रपाल को रोक लिया.

क्या यही है किसानों की हालत का अंत?

इन दिनों ऊधमसिंह नगर जिले के किसानों की सबसे बड़ी मुश्किल धान खरीद का ठप होना बन गई है. पूरे जिले में सरकारी खरीद बंद है, जबकि कुमाऊं मंडल के 296 क्रय केंद्रों में से सबसे ज्यादा 254 केंद्र यहीं स्थापित किए गए हैं. दरऊ क्रय केंद्र की स्थिति देखें तो अक्टूबर में खुलने के बाद वहां मुश्किल से नौ दिन ही धान की तौल हो पाई है. इसके बाद से खरीद पूरी तरह ठप पड़ी है. नतीजा यह है कि लगभग 49 किसानों का करीब चार हजार कुंतल धान एक महीने से खुले आसमान के नीचे सड़ने के कगार पर पड़ा है.

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