हम खाना खा रहे थे तभी... होटल बहने लगा, जान बचाने को जंगलों में छिपे हैं लोग; धराली हादसे में बचे लोगों ने सुनाई आपबीती

उत्तरकाशी के धराली गांव में आई आपदा ने तबाही मचा दी है. मेला देखने आए पर्यटक, कामगार और सेना के जवानों समेत 50 से ज्यादा लोग लापता हैं. नेपाल से आए मज़दूर वीर सिंह के 25 साथी औरत-बच्चों समेत गायब हैं. रेस्क्यू जारी है लेकिन रास्ते टूटे होने के कारण बचाव में दिक्कत हो रही है. जंगलों में छिपे लोग मदद का इंतज़ार कर रहे हैं.;

( Image Source:  ANI )
Curated By :  नवनीत कुमार
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उत्तरकाशी के धराली गांव में आई आपदा ने लोगों की ज़िंदगी ही बदल दी है. जगह-जगह मलबा, टूटी सड़कें और डर का माहौल फैला है. नेपाल से मज़दूरी करने आए वीर सिंह की कहानी इस तबाही की गहराई को और ज़्यादा दिखाती है. वीर सिंह ने बताया कि उनके साथ काम करने वाले 25 मज़दूर, जिनमें औरतें और बच्चे भी थे, लापता हैं. उनका कहना है, “सब कुछ अचानक हुआ. हमारे कैंप के लोग वहीं काम कर रहे थे. पानी आया और सब बह गए.”

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, वीर सिंह का कैंप आर्मी कैंप के पास था. उनके साथी सड़क बनाने का काम कर रहे थे. “जब से हादसा हुआ है, तबसे किसी का पता नहीं. ना फोन लग रहा है, ना कोई आदमी मिल पा रहा है,” वीर सिंह ने बताया. उन्होंने कहा कि वो धराली पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन रास्ता ही टूटा पड़ा है. “मन में डर बैठा है... सब लोग वहीं मलबे के नीचे तो नहीं चले गए?”

होटल और मेला बना था मौत का जाल

धराली में मेला लगने वाला था, सब लोग तैयारी में लगे थे. एक होटल कर्मचारी ने बताया, “हम खाना खा रहे थे तभी जोर की आवाज आई. देखते ही देखते होटल और आसपास की जगह बहने लगी. होटल में रुकी एक महिला को नीचे बुलाया, लेकिन वो मानी नहीं और पानी के साथ बह गई.” तबाही इतनी तेज़ थी कि कोई समझ ही नहीं पाया कि हुआ क्या.

5 अगस्त से फंसे हैं लेकिन...: मुंबई की गरिमा

उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना के बाद कई यात्री अब भी फंसे हुए हैं. मुंबई की गरिमा ने बताया कि वे 5 अगस्त से यहां फंसी हुई हैं, लेकिन उन्हें किसी तरह की कठिनाई नहीं हो रही है. उन्होंने कहा, "सरकार की ओर से की गई व्यवस्था बहुत अच्छी है. खाना, पानी और मेडिकल सुविधाएं समय पर मिल रही हैं." गरिमा ने आगे बताया, "हमें बताया गया है कि यहां से 30-40 से ज्यादा लोगों को आज रेस्क्यू किया जाएगा. हम खुश हैं कि आज हमें यहां से निकाला जाएगा." राहत और बचाव में जुटी एजेंसियों के प्रयासों से यात्रियों को राहत मिल रही है और धीरे-धीरे सभी को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.

हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू, जंगलों में छिपे लोग

जलगांव के पर्यटक रूपेश मेहरा ने बताया कि वो और उनके साथी एक होटल में फंसे थे. “चारों ओर पानी था. कोई रास्ता नहीं दिख रहा था. हेलिकॉप्टर आया और हमें बाहर निकाला गया.” उन्होंने प्रशासन की तत्परता की तारीफ की लेकिन कहा कि जो लोग बच नहीं पाए, उनकी तलाश अभी भी बाकी है. कई लोग जान बचाने के लिए जंगलों में छिपे हैं. कई ऐसे हैं जिनकी कोई खबर नहीं.

सेना के जवान भी लापता, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

अब तक 150 लोगों को बचाया जा चुका है लेकिन करीब 50 लोग अब भी लापता हैं. हर्षिल कैंप के 11 आर्मी जवान भी इस लिस्ट में हैं. प्रशासन, NDRF और SDRF की टीमें लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही हैं, लेकिन खराब मौसम और टूटे रास्ते काम में रुकावट डाल रहे हैं. कुछ जगहों पर लैंडस्लाइड इतना भारी है कि मशीनें भी नहीं पहुंच पा रही हैं.

28 पर्यटकों का कोई सुराग नहीं

इस आपदा में केरल से आए 28 पर्यटक, जिनमें ज्यादातर परिवार थे, अब भी गायब हैं. एक रिश्तेदार ने बताया, “आखिरी बार बेटे से एक दिन पहले बात हुई थी. उसके बाद फोन बंद आ रहा है.” उन्होंने उम्मीद जताई कि शायद नेटवर्क न हो या बैटरी खत्म हो गई हो. ये ग्रुप उत्तरकाशी से गंगोत्री जा रहा था, और उसी रास्ते में भूस्खलन हुआ.

ट्रैवल एजेंसी भी कुछ नहीं बता पा रही

हरिद्वार की एक ट्रैवल एजेंसी ने इस ग्रुप का 10 दिन का उत्तराखंड टूर प्लान किया था. लेकिन अब वो एजेंसी भी कोई अपडेट नहीं दे पा रही. परिवारवालों की चिंता बढ़ती जा रही है. “अगर ये लोग पहाड़ी इलाकों में फंसे हैं तो कम से कम सैटेलाइट से लोकेशन पता करनी चाहिए,” एक परिजन ने कहा.

सोलापुर के चार युवक भी लापता

महाराष्ट्र के सोलापुर से आए चार युवक विट्ठल पुजारी, समर्थ दशारा, धनराज बांगले और मल्हार धोत्रे भी तबाही के बाद से लापता हैं. मंगलवार दोपहर तक उन्होंने अपने परिवार से बात की थी और बताया था कि वो गंगोत्री के पास हैं. लेकिन उसके बाद से कोई संपर्क नहीं हो पाया. परिजन लगातार कॉल कर रहे हैं लेकिन सभी फोन बंद हैं. अब सबकी निगाहें प्रशासन और राहत दल पर टिकी हैं.

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