न पैसे, न एंबुलेंस; भाई के शव को टैक्सी की छत पर बांधकर 195KM दूर ले गई बहन

गरीबी किसी के साथ क्या न कर दे. हाल में उत्तराखंड का एक मामला सामने आया है, जहां पर एक बहन ने अपने छोटे भाई के शव को अस्पताल से अपने घर लाने के लिए टैक्सी की छत पर बांध दिया. जब यह घटना मीडिया में आई, तो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तुरंत इसका संज्ञान लिया और मामले की जांच का आदेश दिया.;

( Image Source:  Social Media- X- Ajit Singh Rathi )
Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 9 Dec 2024 10:16 AM IST

उत्तराखंड का एक मामला अब सुर्खियों में है, जिसमें एक बहन ने अपने छोटे भाई के शव को अस्पताल से अपने घर लाने के लिए टैक्सी की छत पर बांध दिया. यह घटना न केवल भावनात्मक रूप से है, बल्कि यह दिखाती है कि आर्थिक मुश्किलें किस हद तक किसी के जीवन को प्रभावित कर सकती हैं. इस घटना के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले का संज्ञान लिया है और इसकी जांच के आदेश दिए हैं.

पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग गांव की निवासी शिवानी अपने छोटे भाई अभिषेक के साथ रहती थी. दोनों भाई-बहन एक साथ काम करते थे और परिवार की जिम्मेदारियों को निभाते थे. शुक्रवार का दिन उनके लिए सामान्य दिन की तरह शुरू हुआ, लेकिन शाम होते-होते उनके जीवन में एक ऐसी घटना घटी, जिसे वे कभी न भूल पाएंगे. अभिषेक, जो काम से जल्दी घर वापस आया, सिरदर्द की शिकायत करने लगा. इसके बाद, जब उसकी तबियत बिगड़ी, तो उसे तुरंत हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. लेकिन दुर्भाग्यवश, डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. अब बहन को यह शव घर लाने के लिए एक रास्ता चाहिए था, लेकिन आर्थिक कठिनाई के चलते वह एंबुलेंस का खर्च वहन नहीं कर पा रही थी.

एंबुलेंस का खर्च न होने पर टैक्सी की छत पर बहन लाई शव

चिकित्सा कॉलेज के बाहर खड़े एंबुलेंस चालकों ने शिवानी से 10 से 12 हजार रुपये की मांग की, जो उसके लिए देना संभव नहीं था. अंततः शिवानी ने एक टैक्सी चालक को बुलाया और उसके साथ अपने भाई का शव 195 किलोमीटर दूर अपने घर ले जाने का फैसला लिया. इस प्रक्रिया में, शव को टैक्सी की छत पर बांधकर यात्रा की गई. यह घटना न केवल एक दुखद परिस्थिति थी, बल्कि यह समाज के सामने यह सवाल भी खड़ा करती है कि क्यों गरीब लोगों को मेडिकल सेवा और परिवहन के खर्चों के मामले में इतनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

जब यह घटना मीडिया में आई, तो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तुरंत इसका संज्ञान लिया और मामले की जांच का आदेश दिया. उन्होंने साफ कहा कि इस तरह की घटनाओं को किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा, और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का बयान

इस घटना पर सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल, डॉक्टर अरुण जोशी ने कहा कि यह घटना अस्पताल के बाहर हुई है और यदि शिवानी उनसे मदद मांगती, तो वह जरूर मदद करते. उन्होंने यह भी बताया कि अस्पताल के बाहर खड़े निजी एंबुलेंस चालक अक्सर मरीजों के रिश्तेदारों से मनमाना किराया वसूलते हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय है.

भाई-बहन की कहानी

शिवानी और अभिषेक दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे. अभिषेक ने सिर्फ दो महीने पहले नौकरी शुरू की थी, जबकि शिवानी ने सात महीने पहले काम करना शुरू किया था. वे दोनों एक साथ काम पर जाते थे, लेकिन उस दिन अभिषेक सिरदर्द की शिकायत के कारण जल्दी घर लौट आया था. यह एक सामान्य दिन था, लेकिन अचानक आई मुसीबत ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया.

Similar News