नंदा देवी राजजात यात्रा: क्या मां नंदा का देव रथ जन्म ले चुका है? जानें वायरल ‘चौसिंग्या खाडू ’की सच्चाई

नंदा देवी को उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र की लोक देवी माना जाता है. उन्हें पार्वती (शिव की पत्नी) का ही रूप माना जाता है. उत्तराखंड में उन्हें बेटी, बहन और रानी के रूप में पूजा जाता है. अगले साल राजजात यात्रा होनी है, जिसे लेकर कहा जा रहा है कि देवी का रथ चौसिंग्या खाडू ने जन्म ले लिया है.;

( Image Source:  x-@alokntyl )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 13 July 2025 4:01 PM IST

नंदा देवी राजजात यात्रा उत्तराखंड की एक अत्यंत पवित्र, प्राचीन और आस्था से जुड़ी शक्ति यात्रा है, जिसे अक्सर "हिमालय की कुंभ यात्रा" भी कहा जाता है. यह यात्रा मां नंदा देवी (हिमालय की देवी और उत्तराखंड की लोक देवी) को उनके ससुराल विदा करने की परंपरा के रूप में देखी जाती है.

यह यात्रा हर 12 साल में एक बार आयोजित होती है. यह एक लगभग 280 किमी लंबी कठिन पैदल यात्रा है, जो 21 दिनों में पूरी होती है. इसमें श्रद्धालु गांवों, बुग्यालों (घास के मैदानों), ग्लेशियरों और पर्वतीय क्षेत्रों से होकर गुजरते हैं. यह धार्मिक यात्रा 2026 में होने वाली है. लेकिन यात्रा से एक साल पहले ही इंटरनेट पर एक पोस्ट ने सनसनी फैला दी है, क्या “चौसिंग्या खाडू” जन्म ले चुका है?

क्या सच में जन्मा है चौसिंग्या खाडू?

वायरल पोस्ट के मुताबिक  कर्णप्रयाग के कांसुवा गांव में एक चार सींगों वाला मेंढ़ा (चौसिंग्या खाडू) पैदा हुआ है.  दावा किया जा रहा है कि यही खाडू 2026 की यात्रा में मां नंदा देवी की अगुवाई करेगा. बता दें कि चौसिंग्या खाडू (चार सींगों वाला मेंढ़ा) इस यात्रा की अगुवाई करता है. इसे देवी का वाहन या देवदूत माना जाता है. यात्रा के अंत में इस खाडू को अकेले कैलाश की ओर भेज दिया जाता है. इसे प्रतीकात्मक रूप से देवी की विदाई माना जाता है.

क्या कहती है परंपरा? 

नंदा देवी राजजात यात्रा की मान्यता के अनुसार  यात्रा का पंचांग जारी होने के बाद जन्मा खाडू ही यात्रा के लिए मान्य होता है.  इसे देवी का देव रथ माना जाता है. ग्रामीण इसकी सूचना राजवंशियों को देते हैं. पूजा-पाठ और अनुमति के बाद ही यह यात्रा में शामिल होता है. 

आयोजन समिति नाराज़

इंटरनेट पर बिना पुष्टि के फैलाई गई पोस्ट से नंदादेवी राजजात यात्रा नाराज़ है. उन्होंने सरकार से डॉक्युमेंटेशन और जागरूकता के लिए सहयोग मांगा .साथ ही यात्रा के मुख्य पड़ावों पर सुविधाओं की मांग भी दोहराई गई.

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