कौन हैं सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क जो बने संभल के खलनायक? जानें कैसे ली दादा की जगह

सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा कि मुस्लिम समाज के लोगों को टारगेट किया जा रहा है. आजादी के बाद ऐसा नहीं हुआ. जुमे की नमाज हमें नहीं पढ़नी दी गई, ये लोग जय श्री राम के नारे लगाते हुए पहुंचे थे. देश की छवि ख़राब करने का काम किया गया और 'प्लेसस और वरशिप एक्ट' का मजाक बनाया गया. अब सपा भी उनके बचाव में उतर गई है.;

Curated By :  नवनीत कुमार
Updated On : 25 Nov 2024 3:57 PM IST

संभल में हुई हिंसा मामले में दो थानों में 7 मुकदमे दर्ज हुए हैं. इसमें संभल से सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क को भी आरोपी बनाया गया है. साथ ही सपा विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे नवाब सुहैल इकबाल पर भी केस दर्ज हुआ है. सांसद पर दंगाईयों को भड़काने का आरोप लगा है.

इसपर सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा कि मुस्लिम समाज के लोगों को टारगेट किया जा रहा है. आजादी के बाद ऐसा नहीं हुआ. जुमे की नमाज हमें नहीं पढ़नी दी गई, ये लोग जय श्री राम के नारे लगाते हुए पहुंचे थे. देश की छवि ख़राब करने का काम किया गया और 'प्लेसस और वरशिप एक्ट' का मजाक बनाया गया. अब सपा भी उनके बचाव में उतर गई है.

संभल हिंसा को लेकर सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, "मैं संभल की आवाम से शांति की अपील करता हूं. हालात को जानकर बहुत दुखी हूं. जो भी जान माल का नुक़सान हुआ है यकीनन उसकी भरपाई नहीं की जा सकती. अभी ये फ़ैसला आख़िरी फ़ैसला नहीं है. उम्मीद करता हूं इस देश की बड़ी अदालतों से और पार्लियामेंट से जो इंसाफ़ करेंगी."

इसके बाद उन्होंने लिखा, "अल्लाह की अदालत से कोई नहीं बच पाएगा. मैं कल रात ही बंगलौर में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कि मीटिंग में आया था. जैसे ही हालात की खबर मिली वापिस आ रहा हूं. कल को पार्लियामेंट में पुलिस ने जो बर्बरता की है उसके खिलाफ आवाज़ उठाऊंगा. और जल्द ही अपने लोगों के बीच में आऊंगा."

कौन हैं जियाउर्रहमान बर्क?

36 साल के जियाउर्रहमान बर्क संभल के पूर्व सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क के पोते हैं. उन्होंने ग्रेजुएशन तक की शिक्षा प्राप्त की है और उनके पास 1 करोड़ की संपत्ति है. हालांकि, उनपर छह आपराधिक मामले भी दर्ज हैं. इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके दादा डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने भी परमेश्वर लाल सैनी को हराया था. भाजपा ने इस बार भी सैनी पर दांव लगाया, लेकिन उन्हें दोबारा हार का सामना करना पड़ा.

2017 में पहली बार बने विधायक

जियाउर्रहमान ने 26 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा था. 2017 में वह पहली बार विधायक बने. अपने दादा की बीमारी और निधन के बाद उन्होंने उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया. इस बार उनकी जीत में मुस्लिम समुदाय की अहम भूमिका रही. संभल की लगभग 50% मुस्लिम आबादी ने एकजुट होकर बर्क को समर्थन दिया, जिससे वे लोकसभा चुनाव में विजयी हुए.

दादा की विरासत का मिला फायदा

2019 में जियाउर्रहमान ने अपने दादा शफीकुर्रहमान बर्क के लिए चुनाव प्रचार किया था. उनके निधन के बाद जियाउर्रहमान को जनता का भरपूर समर्थन मिला. प्रचार के दौरान उन्होंने हर सभा की शुरुआत अपने दादा के लिखे शेरों से की, जो लोगों के दिलों को छू गए. इस भावनात्मक जुड़ाव और उनकी दादा से मिली सीख ने उनकी जीत में बड़ी भूमिका निभाई. जनता ने उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें रिकॉर्ड मतों से संसद में भेज दिया.

परमेश्वर लाल सैनी को 1.21 लाख वोटों से हराया

संभल सीट पर जियाउर्रहमान बर्क ने शानदार जीत दर्ज दर्ज की थी. उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी परमेश्वर लाल सैनी को 1,21,494 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. जियाउर्रहमान बर्क को कुल 5,71,161 वोट मिले थे. यह उनका पहला लोकसभा चुनाव था, जिसमें जीत हासिल कर 18वीं लोकसभा के सदस्य बने थे.

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