कौन हैं सैयद सालार मसूद गाजी, जिन पर भड़क गए संभल ASP श्रीशचंद्र- नेजा मेला पर बवाल क्यूं?

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में इस साल नेजा मेला नहीं लगेगा. एडिशनल एसपी श्रीशचंद्र ने इसे मंजूरी देने से इनकार कर दिया और कहा कि भारत को लूटने वालों की याद में कोई मेला नहीं होना चाहिए. उनका बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिससे इस फैसले को लेकर बहस तेज हो गई है.;

Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 18 March 2025 7:14 AM IST

यूपी के संभल में इस बार नेजा मेला नहीं लगेगा! जब कमेटी मेंबर्स एडिशनल एसपी श्रीशचंद्र से इजाजत मांगने पहुंचे तो उन्होंने सीधा मना कर दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने कड़ा मैसेज देते हुए कहा कि भारत को लूटने वालों की याद में मेला क्यों? अब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से वायरल हो रहा है. क्लिप में एडिशनल एसपी को यह कहते सुना जा सकता है कि आप लोग सालार गाजी की याद में मेला लगाना चाहते हैं? यह बिल्कुल नहीं होगा! वो एक लुटेरा था, महमूद गजनवी का सेनापति था, जिसने सोमनाथ मंदिर लूटा और देशभर में कत्लेआम मचाया. ऐसे किसी भी लुटेरे की याद में मेले की परमिशन नहीं मिलेगी.

एडिशनल एसपी ने सख्त लहजे में चेतावनी भी दे दी, "अगर किसी ने जबरदस्ती मेला लगाने की कोशिश की, तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा." इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस छिड़ गई है. कुछ लोग सरकार के स्टैंड का सपोर्ट कर रहे हैं, तो कुछ इतिहास और परंपरा का हवाला देकर मेले की मांग कर रहे हैं. आइए जानते हैं कि कौन हैं एसएसपी श्रीशचंद्र और कौन था सालार गाजी...

क्या है नेजा मेला?

संभल में हर साल सैयद सालार मसूद गाजी की याद में नेजा मेला आयोजित किया जाता है. यह मेला होली के बाद मनाया जाता है और इसमें दूर-दूर से लोग शिरकत करते हैं. इस साल 18 मार्च को मेले के झंडे गाड़ने की योजना थी, जबकि मेले का आयोजन 25, 26 और 27 मार्च को किया जाना था. लेकिन प्रशासन ने इस आयोजन पर रोक लगा दी है, जिससे यह मेला इस बार नहीं लगेगा.

ये भी पढ़ें :हिंसा के लिए बदनाम हुए बहराइच का गौरवशाली रहा है अतीत! राजा सुहेलदेव ने तुर्क सेना को चटाई थी धूल 

पृथ्वीराज चौहान से हुआ था युद्ध

संभल में आयोजित होने वाले नेजा मेले की ऐतिहासिक जड़ें सदियों पुरानी मानी जाती हैं. कथित तौर पर, संभल वर्ष 1015 के आसपास पृथ्वीराज चौहान की राजधानी थी. कहा जाता है कि 1030 के करीब पृथ्वीराज चौहान के बेटे की नजर शेख पचासे मियां की बेटी पर पड़ी. लेकिन वह इस विवाह के लिए इच्छुक नहीं थीं, इसलिए उन्होंने सैयद सालार मसूद गाजी को इसकी सूचना भेजी. इसे सुनकर सैयद सालार मसूद गाजी अपनी सेना के साथ संभल पहुंचे और पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ युद्ध छेड़ा.

इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की हार हुई और सैयद सालार मसूद गाजी के कई साथी भी मारे गए. इतिहासकारों की अलग-अलग राय होने के बावजूद, मेला कमेटी का दावा है कि युद्ध के दौरान जान गंवाने वाले गाजी के सैनिकों की मजारें संभल और उसके आसपास बनाई गईं. इन मजारों की स्मृति में ही हर साल नेजा मेले का आयोजन किया जाता है.

सैयद सालार मसूद गाजी कौन था?

सैयद सालार मसूद गाजी, जिसे गाजी मियां भी कहा जाता है. वह महमूद गजनवी का भांजा और सेनापति था. महमूद गजनवी को दुनिया के सबसे क्रूर शासकों में गिना जाता है, जिसने 1026 ईस्वी में गुजरात के सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, उसे लूटा और शिवलिंग को खंडित किया. इस हमले के दौरान 20 मिलियन दीनार की लूट की गई थी. सैयद सालार मसूद गाजी अपने मामा की ही तरह भारत पर हमले करने और लूटपाट मचाने में आगे बढ़ता रहा. वह जहां भी गया, धर्मांतरण, कत्लेआम और विनाश करता चला गया.

कैसे मिली सैयद सालार को मात?

1033 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के बहराइच तक पहुंचने के बाद सैयद सालार मसूद गाजी का सामना श्रावस्ती के महाराजा सुहेलदेव राजभर से हुआ. उसने उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में राजाओं को ललकारा और लूटपाट की कोशिश की. लेकिन महाराजा सुहेलदेव ने 21 राजाओं के साथ मिलकर एक विशाल सेना तैयार की और उसे करारी शिकस्त दी. इस भीषण युद्ध में सैयद सालार मसूद गाजी मारा गया और उसकी सेना पूरी तरह से तहस-नहस हो गई.

बहराइच में कब्र और विवाद

सैयद सालार मसूद गाजी की मौत के बाद उसकी सेना ने बहराइच में उसे दफना दिया, जहां बाद में दिल्ली के सुल्तानों के शासनकाल में उसकी कब्र को दरगाह का रूप दिया गया. समय के साथ यहां मेला लगने लगा, जिसे लेकर कई बार विवाद भी हुआ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनाव के दौरान सैयद सालार मसूद गाजी को सोमनाथ मंदिर के हमले का सबसे बड़ा दोषी बताया था. उन्होंने यह भी कहा था कि जो हाल बहराइच में उसका हुआ, वही हश्र आतंकवाद, भ्रष्टाचार और माफियावाद फैलाने वालों का भी होगा.

कौन हैं एएसपी श्रीशचंद्र?

एएसपी श्रीशचंद्र उत्तर प्रदेश पीपीएस (Provincial Police Service) के 2004 बैच के अधिकारी हैं. वह फतेहपुर जिले के रहने वाले हैं और उनका जन्म 14 जुलाई 1977 को हुआ था. उनके पिता का नाम सुखराम सोनकर है. अपनी सेवा के दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है. 23 अगस्त 2022 को उन्हें संभल जिले में एएसपी के रूप में तैनात किया गया, तब से वह यहां अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

श्रीशचंद्र की शिक्षा भी काफी प्रभावशाली है. उन्होंने हिंदी विषय में एमफिल और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है. उनकी प्रशासनिक दक्षता के कारण उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक (DGP) ओपी सिंह का पीआरओ भी बनाया गया था. इससे पहले वह प्रयागराज में एएसपी के पद पर भी सेवाएं दे चुके हैं. संभल में तैनाती के दौरान एएसपी श्रीशचंद्र कई बार चर्चा में रहे हैं. हाल ही में होली के मौके पर उनके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिनमें वह पुलिसकर्मियों और स्थानीय लोगों के साथ होली खेलते नजर आए.

Similar News