नौकरी के लिए परीक्षा होगी, लेकिन मौका VVIP के रिश्तेदारों को मिलेगा... यह घोटाला नहीं तो क्या है?

UP Jobs Scam: नौकरी के लिए परीक्षा होगी, लेकिन मौका VVIP के रिश्तेदारों को मिलेगा... यह घोटाला नहीं तो क्या है? जी हां... सही सुना आपने... यह हम नहीं, बल्कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है.. आखिर पूरा मामला क्या है, आइए जानते हैं...;

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Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 15 Nov 2024 5:08 PM IST

UP Jobs Scam: उत्तर प्रदेश से एक ऐसी खबर सामने आ रही है, जो काफी चौंकाने वाली है. यूपी में 186 पदों पर नियुक्तियों में जो खेल हुआ है, उसे हाईकोर्ट ने 'शॉकिंग' और 'घोटाला' करार दिया है. यही नहीं, अदालत ने इस मामले की सीबीआई जांच कराने को भी कहा है. आखिर यह पूरा मामला क्या है, आइए इसके बारे में विस्तार से आपको बताते हैं...

'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा हुआ है. इसमें बताया गया है कि 2020-21 में यूपी विधानसभा और विधान परिषद में प्रशासनिक पदों को भरने के लिए भर्ती निकाली गई थी, जिसमें 2.5 लाख लोगों ने आवेदन किया था. इस भर्ती के जरिए नौकरी पाने वाले लोगों की जब पड़ताल की गई तो पता चला कि पांचवां हिस्सा उन उम्मीदवारों को मिला है, जो अधिकारियों के रिश्तेदार हैं. ये वही अधिकारी हैं, जिनकी निगरानी में परीक्षा आयोजित की गई थी.

इन वीवीआईपी के रिश्तेदारों को मिली नौकरी

रिपोर्ट में बताया गया है कि नौकरी पाने वाले लोगों में तत्कालीन यूपी विधानसभा अध्यक्ष के पीआरओ और उनके भाई, एक मंत्री का भतीजा, विधान परिषद सचिवालय प्रभारी का पुत्र, विधानसभा सचिवालय प्रभारी के चार रिश्तेदार, संसदीय कार्य विभाग प्रभारी के पुत्र और पुत्री, एक उप लोकायुक्त का पुत्र और दो मुख्यमंत्रियों के पूर्व विशेष कार्य अधिकारी का पुत्र शामिल है.

रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें पांच लोग दो निजी फर्मों टीएसआर डाटा प्रोसेसिंग और राभव के मालिकों के रिश्तेदार हैं. इन सभी को तीन साल पहले यूपी विधानमंडल को चलाने वाले दो सचिवालयों में नियुक्त किया गया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 18 सितंबर को याचिका पर की सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो जजों की पीठ ने 18 सितंबर 2023 को तीन असफल उम्मीदवारों सुशील कुमार, अजय त्रिपाठी और अमरीश कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए भर्ती की सीबीआई से जांच कराने का आदेश दिया. पीठ ने कहा कि यह भर्ती किसी घोटाले से कम नहीं है, जहां एक बाहरी एजेंसी के जरिए सैकड़ों भर्तियां अवैध और गैरकानूनी तरीके से की गई.

6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

रिपोर्ट में कहा गया है कि हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ विधान परिषद ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने सीबीआई जांच पर रोक लगा दी. मामले में अगली सुनवाई की तारीख 6 जनवरी 2025 निर्धारित की गई है. ये भर्तियां 15 आरओ, 27 एआरओ और जूनियर पदों से संबंधित है. आरओ का वेतन बैंड 47600-151000 रुपये है, जबकि एआरओ का वेतनबैंड 44000-142400 रुपये है.

भर्ती के लिए कब जारी हुआ था विज्ञापन?

यूपी विधानसभा सचिवालय के लिए दिसंबर 2020 में 87 पदों के लिए विज्ञापन जारी हुआ था. प्रारंभिक परीक्षा 24 जनवरी 2021, मुख्य परीक्षा 27 फरवरी 2021 और टाइपिंग टेस्ट 14 मार्च 2021 को हुआ था. नतीजे 26 मार्च 2021 को घोषित किए गए. वहीं, यूपी विधान परिषद सचिवालय के लिए 17 और 27 सितंबर 2020 को 97 पदों के लिए विज्ञापन जारी हुआ था. प्रारंभिक परीक्षा 22 नवंबर 2020 को हुई थी, लेकिन गोरखपुर में 29 नवंबर को पुन: परीक्षा का आयोजन किया गया. मुख्य परीक्षा 27 और 30 दिसंबर 2020 को हुई थी. नतीजे 11 मार्च 2021 को घोषित किए गए.

संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव के बेटे और बेटी को मिली नौकरी

जिन लोगों को नौकरी मिली हैं, उनमें संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव जयप्रकाश सिंह के बेटे और बेटी भी शामिल हैं. इस बारे में जब सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि उनके बेटे और बेटी का चयन उनकी योग्यता के आधार पर हुआ है.

विधानसभा के प्रमुख सचिव के चार रिश्तेदारों को मिली नौकरी

विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे के चार रिश्तेदार भी नौकरी पाने में सफल रहे. इस पर उनका कहना है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है. इसलिए अब इस पर चर्चा करना उचित नहीं होगा. विधान परिषद के प्रमुख सचिव डॉ राजेश सिंह के बेटे का चयन भी आरओ के रूप में रूप हुआ. उन्होंने भी मामले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह के भतीजे का चयन भी विधानपरिषद में एआरओ के पद पर हुआ है. वे 2017 से लेकर 2019 तक राज्य मंत्री और फिर 2019 से लेकर 2022 तक कैबिनेट मंत्री रहे. उनके एक रिश्तेदार का कहना है कि चयन प्रक्रिया में उनका कोई हाथ नहीं है.

यूपी विधि आयोग के पूर्व प्रमुख सचिव और डिप्टी लोकायुक्त दिनेश कुमार सिंह के बेटे का चयन विधानसभा सचिवालय में आरओ के रूप में रूप में हुआ है.उन्होंने इस नियुक्ति में खुद के शामिल होने से इनकार किया है. अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के पूर्व ओएसडी अजय कुमार सिंह के बेटे का चयन विधानसभा सचिवालय में आरओ के पद पर हुआ है. अखिलेश के करीबी जैनेंद्र सिंह याद उर्फ नीटू के भतीजे का चयन आरओ (विधानसभा) के पद पर हुआ है.

भर्ती फर्मों के मालिकों के रिश्तेदारों का भी हुआ चयन

दो भर्ती फर्मों के मालिकों के रिश्तेदारों का चयन भी भर्ती प्रक्रिया के जरिए हुआ है. इसमें राभव के मालिक राम प्रवेश यादव की पत्नी, टीएसआर डाटा प्रोसेसिंग के निदेशक राम बीर सिंह के भतीजे, भतीजी और बहनोई और टीएसआर डाटा प्रोसेसिंग के निदेशक सत्यपाल सिंह के भाई शामिल हैं. राम प्रवेश यादव की पत्नी का चयन आरओ (परिषद), रामबीर सिंह के भतीजे, भतीजी और बहनोई का चयन आरओ (विधानसभा) और सत्यपाल सिंह के भाई का चयन एआरओ (विधानसभा) के रूप में हुआ है.

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