DGP की नियुक्ति के लिए यूपी सरकार क्यों लाई नया नियम? सुप्रीम कोर्ट के दो फैसले न बन जाएं रोड़ा
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने हाल ही में कैबिनेट बैठक के दौरान डीजीपी की नियुक्ति के लिए नए नियम लागू किए. इस नियम को UP सरकार द्वारा जारी आदेश के बाद लाया गया है. लेकिन क्या सरकार द्वारा जारी नियम में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया जा रहा है या नहीं?;
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में (DGP) के लिए नए नियम को लागू किया है. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने 8 राज्यों के लिए लिया गया है. जिसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है. उन्हें नोटिस जारी करने के बाद लिया है. इस नए फैसले के बाद सरकार अपनी पसंदीदा अधिकारी को डीजीपी के पद पर नियुक्त कर सकती है.
दरअसल इससे पहले UPSC पर निर्भर रहने की जरूरत पड़ती थी. अधिकारियों की नियुक्ति के लिए पैनल को नाम का प्रस्ताव भी भेजना पड़ता था. तीन पैनल के सदस्य इन नामों पर मुहर लगाता था. वहीं इस नियम के बाद सरकार UPSC पर निर्भर नहीं होगी.
क्या हैं नए नियम?
वहीं सेलेक्शन कमिटी की अध्यक्षता हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज द्वारा की जाएगी. इस कमिटी में UP के चीफ सेक्रेटरी भी शामिल होंगे. इनके अलावा यूपीएससी से एक नामित सदस्य, उत्तर प्रदेश पब्लकि सर्विस कमिशन के चेयरमैन या उनके द्वारा नामित व्यक्ति, अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, गृह विभाग का प्रतिनिधि और एक रिटायर्ड डीजीपी भी इस कमिटी का हिस्सा होंगे.
क्यों लाए गए नए नियम?
सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद सरकार द्वारा नियम पर फैसला लिया गया है. अदालत में अस्थायी पुलिस बल की नियुक्ति के लिए कई याचिकाएं दर्ज थी. इस पर राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया गया था. दायर हुई याचिका के अनुसार कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकारें प्रकाश सिंह केस में SC के निर्देशों को नहीं मान रही हैं. वो नियम जिनका मकसद पुलिस कार्यों में किसी भी राजनीतिक हस्तक्षेप को रोकना था. बता दें कि इन निर्देशों को जारी करते समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये केवल तब तक लागू होंगे जब तक राज्य अपना स्वयं का प्रासंगिक कानून नहीं बनाते हैं.
सुप्रीम कोर्ट का क्या था आदेश?
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रकाश सिंह के मामले पर सुनवाई की और निर्देश जारी करते हुए कहा कि राज्यों को अस्थायी रुप से नियुक्त नहीं करना चाहिए. अदालत ने ये भी कहा था कि राज्यों को यह भी ध्यान रखना चाहिए की किसी आईपीएस अधिकारी को तब तक डीजीपी के पद पर नियुक्त नहीं करना चाहिए जब तक उनकी सेवा में दो साल का समय न हो. इसी निर्देश को अब नए रूप देकर 6 महीने के लिए जारी करते हुए पेश किया गया है.
नियुक्ति की क्या है प्रक्रिया?
राज्य सरकारों को उम्मीदवारों के नाम की लिस्ट तैयार करके उन्हें UPSC को सौंपनी होती हैं. इस लिस्ट में वरिष्ठ और राज्य के सबसे योग्य अधिकारियों के नाम शामिल होते हैं. इसके बाद अधिकारी के सर्विस रिकॉर्ड, अनुभव के आधार पर लिस्ट पर जांच की जाती है. इसके बाद UPSC की ओर से राज्य सरकार को तीन अधिकारियों को शॉर्टलिस्ट की गई लिस्ट दी जाती है. इसमें तीन अधिकारियों के नाम दर्ज होते हैं. इसी नाम में से एक अधिकारी के नाम पर सरकार मुहर लगाते हुए उस पद पर नियुक्त करती है.