UP: आखिर डेढ़ साल से यह टाइगर लोगों को क्यों बना रहा था निशाना? पटाखों और हॉर्न के शोर ने बताई वजह

यूपी के पीलीभीत में करीब डेढ़ साल से डर का माहौल अब समाप्त हो गया है. बीते दिन सोमवार को सुबह- सुबह एक बाघ को रेस्क्यू कर लिया गया है. जानकारी के मुताबिक बता दें कि उसे किसी प्रकार की चोट नहीं आई लेकिन वह बाघ को बहरा बताया जा रहा है जिसके बाद वहां को लोगों का कहना है कि शायद यह इसलिए लोगों को अपना शिकार बनाता था.;

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Edited By :  सागर द्विवेदी
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UP News: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में करीबन डेढ़ साल से दहशत का पर्याय बना एक बाघ वन विभाग की गिरफ्त में आ गया है. इस बाघ को सोमवार सुबह रेस्क्यू किया गया था. तब से लगातार इसे निगरानी में रखा जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, यह बाघ आवाज पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है जबकि इसे किसी तरह की कोई चोट नहीं लगी है. अधिकारियों को जब इस बात का अनुमान हुआ कि वह सुन नहीं पा रहा है तो उन्होंने पटाखों और वाहनों के हॉर्न जैसे तेज आवाजों के कारण पता लगाने की कोशिश की लेकिन उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया.

विभाग के वन अधिकारी मनीष सिंह ने बताया कि यह पहली बार है जब हमने किसी टाइगर को सुनने में परेशानी में पकड़ा हो. आगे कहा कि इस टाइगर के 14x14 सेमी आकार के पैरों के निशान बताते हैं कि यह 10 लोगों की जान ले चुका है. आखिरी बार 9 सितंबर को माला वन रेंज के एक गांव के पास उसने एक शख्‍स पर हमला कर मार डाला था. टाइगर स्वस्थ दिख रहा था और उसे कोई चोट नहीं दिख रही थी.

बाघ तेज आवाज में भी नहीं दिया कोई रिएक्शन

पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. दक्ष गंगवार ने पुष्टि की है कि टाइगर शारिरिक रुप से एकदम ठीक है जिसमें उसके दांत भी शामिल है इसके साथ कहा जा रहा है कि जानवर संदिग्ध लंबे समय तक तेज आवाजों के संपर्क में रहने के कारण हुआ है मनीष सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्य वन्यजीव वार्डन संजय श्रीवास्तव को आगे मेडिकल परीक्षणों के लिए एक रिपोर्ट दे दी गई है. 

अधिकारयों ने बताई पूरी कहानी

बीते 9 सितंबर को एक अलग घटना में अन्य नर बाघ ने शारदा सागर बांध के पास एक किसान को घायल कर दिया और नगरिया खुर्द कलां गाव में गुस गया. उप विभागीय वन अधिकारी (SDFO) रमेश चौहान ने कहा कि बाघ गांव के पास घनी झाड़ियों में छिपा हुआ है जिसके वहां होने से आस- पास के लोगों को चिंता है.

चौहान ने आगे कहा कि हमारी प्राथमिकता बाघ को सुरक्षित रूप से जंगल में वापस लाना है जो करीब 3 से 5 किलोमीटर दूर है. गांव के सरपंच ने बताया कि बाघ के गन्ने को खेत हो होकर गुजर रहा है. जिसमें निवासियों ने बच्चों को सुरक्षा के लिए घर से बाहर नहीं निकाला है. उप- विभागीय मजिस्टेट देवेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि राजस्व कर्मचारी स्थिति की निगरानी में वन अधिकारियों के साथ शामिल हो गए है और ग्रामीणों को सतर्क रहने और उन क्षेत्रों से अपने परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के लिए सलाह दी है.

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