क्या आप भी कहीं भी नाई वाले से बनवाते हैं दाढ़ी, तो हो जाएं सावधान! हो सकता है हेपेटाइटिस, इस गांव में मिले 95 केस
क्या आप भी किसी भी नाई वाले से दाढ़ी बनवा लेते हैं और बाल कटवाते हैं, तो आपको सावधान होने की जरूरत है, क्योंकि नाई वाले की छोटी सी गलती के चलते आप हेपेटाइटिस बी का शिकार हो सकते हैं. यूपी के एक गांव में इस बीमारी के 95 केस मिले हैं;
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के सोनसरी गांव में एक गंभीर बीमारी फैल रही है. पिछले महीने से गांव में अचानक हेपेटाइटिस बी और सी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी. अब तक कम से कम 95 लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं. यह सब तब शुरू हुआ जब कुछ गांव के लोग अपनी दूसरी बीमारियों की जांच के लिए बेहटा ब्लॉक के तंबौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गए.
वहां कुछ लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए, जिससे अधिकारियों ने गहराई से जांच करने का फैसला किया. डॉ. सुरेश कुमार मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने गांव में एक मेडिकल कैंप लगाया और कई लोगों के खून की जांच करवाई, जिसमें और भी संक्रमित लोग मिले.
नाई की दुकान नहीं, लेकिन नाइयों की भीड़
स्वास्थ्य अधिकारियों की जांच में पता चला कि सोनसरी गांव में कोई नाई की दुकान नहीं है. लेकिन हर बुधवार, शुक्रवार और रविवार को पड़ोसी गांवों से नाई आते हैं और गांव के लगभग हर पुरुष अपनी शेविंग और बाल कटवाने के लिए उनके पास जाता है.
कैसे पता चला संक्रमण का पता?
पहली बार इंफेक्शन की खबर पिछले महीने तब मिली, जब सोनसरी के कुछ लोग अपनी दूसरी बीमारियों की जांच के लिए नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तंबौर गए. वहां उनके ब्लड टेस्ट के नतीजे देखकर सभी हैरान रह गए. सीतापुर के डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि कोरोना वायरस के कई मामले मिलने के बाद हमने इस नए खतरे को समझने के लिए गांव में मेडिकल कैंप लगाया. इन कैंपों में करीब 400 लोगों के खून के नमूने लिए गए, जिनमें से 95 से ज्यादा लोगों को हेपेटाइटिस बी और सी बीमारी पाई गई
गंदे उस्तरों से फैलता वायरस
स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि इस प्रकोप का सबसे बड़ा कारण नाइयों द्वारा बिना कीटाणुनाशक उपकरणों का इस्तेमाल है. गांव में रेज़र और ब्लेड शेयर किए जाते हैं, जिससे रक्त जनित वायरस तेजी से फैल रहे हैं.
गांव में जागरूकता और उपचार की पहल
गांव में स्वास्थ्य विभाग ने बीमार लोगों की पहचान करने और उनका इलाज करने के लिए पूरी मेहनत शुरू कर दी है. जो लोग गांव से बाहर काम करते हैं, उनकी एक लिस्ट भी बनाई जा रही है ताकि उनकी जानकारी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों को दी जा सके और बीमारी फैलने से रोकी जा सके. डॉ. कुमार ने बताया कि बीमार लोगों के खून के सैंपल बीमारी की गंभीरता समझने के लिए लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी भेजे जा रहे हैं. साथ ही, जिला अस्पताल की डॉक्टरों की टीम भी गांव में आ रही है ताकि बीमारों का बेहतर इलाज और ध्यान रखा जा सके.
आगे की चुनौती: संक्रमण की लहर पर काबू पाना
अब स्वास्थ्य विभाग हर व्यक्ति की पूरी बीमारी की जानकारी इकट्ठा करके यह समझने की कोशिश कर रहा है कि बीमारी कैसे फैल रही है. गांव में यह लड़ाई सिर्फ़ बीमारी से नहीं, बल्कि लोगों की समझदारी और जागरूकता से भी जुड़ी है. प्रधान शैलेंद्र मिश्रा ने गांव वालों से कहा है कि वे अपनी सुरक्षा खुद करें और शेविंग या बाल कटवाने के लिए अपने पर्सनल चीजों का ही इस्तेमाल करें.