बिना बुर्के के घर से बाहर गई बीवी, खफा शौहर ने महिला समेत दो बेटियों को भी मार दी गोली; शौचालय के टैंक में दबा दी लाशें

उत्तर प्रदेश के शामली जिले से सामने आई यह घटना सिर्फ एक अपराध की कहानी नहीं है, बल्कि उस मानसिकता पर बड़ा सवाल है, जो गुस्से, शक और कथित “इज्जत” के नाम पर रिश्तों को बेरहमी से कुचल देती है. एक पति, एक पिता, जिसे परिवार का रक्षक माना जाता है. वही अपनी पत्नी और दो मासूम बेटियों का हत्यारा निकला. वजह इतनी छोटी और सोच इतनी खतरनाक कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दे.;

( Image Source:  x-@SachinGuptaUP )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 17 Dec 2025 1:13 PM IST

उत्तर प्रदेश के शामली जिले से सामने आई यह दिल दहला देने वाली वारदात इंसानियत को शर्मसार करने वाली है. महज इस बात से खफा होकर कि पत्नी बिना बुर्के के घर से बाहर चली गई, एक शौहर ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं. उसने अपनी बीवी के साथ-साथ दो मासूम बेटियों की भी बेरहमी से हत्या कर दी.

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इतना ही नहीं, फिर अपने जुर्म को छिपाने के लिए तीनों लाशों को घर में बने शौचालय के टैंक में दबा दिया. यह घटना न सिर्फ एक परिवार के खात्मे की कहानी है, बल्कि उस जहरीली सोच पर भी बड़ा सवाल खड़ा करती है, जो गुस्से और कथित इज्जत के नाम पर रिश्तों को मौत के घाट उतार देती है.

बुर्का नहीं पहना, तो कर दी हत्या

पुलिस जांच में जो सच सामने आया, वह दिल दहला देने वाला था. पति-पत्नी के बीच झगड़ा हुआ था. आरोप था कि ताहिरा बुर्का पहने बिना घर से बाहर चली गई थी. इसी बात से फारुख इतना खफा हुआ कि उसने अपनी पत्नी और बड़ी बेटी अफरीन को गोली मार दी. छोटी बेटी सरीन को उसने गला घोंटकर मार डाला. इसके बाद तीनों शवों को शौचालय के लिए खोदे गए गड्ढे में दफन कर ऊपर पक्का फर्श बना दिया.

पांच दिनों से थी लापता

दरअसल पांच दिनों से पत्नी ताहिरा और दो बेटियां अफरीन और सरीन लापता थीं. परिवार ने खोजबीन की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. फारुख के पिता को किसी अनहोनी का शक हुआ और उन्होंने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. जांच के दौरान फारुख लगातार पुलिस को गुमराह करता रहा. लेकिन जब सख्ती से पूछताछ हुई, तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उसकी निशानदेही पर जब आंगन की खुदाई हुई, तो सच सामने आ गया.

अपराध से बड़ा सवाल: कैसी सोच है यह?

एसपी एनपी सिंह के मुताबिक आरोपी को हिरासत में लेकर आगे की कार्रवाई की जा रही है. लेकिन कानून से पहले समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या किसी महिला की आज़ादी, पहनावा या अपनी मर्जी से बाहर जाना इतनी बड़ी “गलती” है कि उसकी सजा मौत हो? यह तिहरा मर्डर सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि उस मानसिकता का आईना है, जो आज भी औरत और बच्चों को अपनी “मालिकियत” समझती है. गांव में डर का माहौल है, लेकिन उससे भी ज्यादा डरावनी है वह सोच, जो इंसान को हैवान बना देती है.

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