Murder at Police Station Gate: बदमाश की दोस्त पुलिस, कानून से बदमाश बेखौफ, तो थाना गेट पर ही कत्ल होंगे न !

गाजियाबाद के मुराद नगर थाने के गेट पर हुई युवक की हत्या ने यूपी की कानून-व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. नई DGP नियुक्ति के बाद हुई इस घटना से पुलिस की ‘दबंग छवि’ पर दाग लगा है. थाने की देहरी पर कत्ल और आरोपी का खुलेआम फरार हो जाना दिखाता है कि अपराधियों में पुलिस का खौफ घटा है. घटना के बाद पीड़ितों ने थाने को घेरा, और वरिष्ठ अफसरों ने इसे गंभीर बताते हुए पुलिस लापरवाही का संकेत दिया है.;

By :  संजीव चौहान
Updated On : 19 Jun 2025 2:06 PM IST

उत्तर प्रदेश कैडर के कई वरिष्ठ आईपीएस को ‘किनारे’ लगाकर 1991 बैच के IPS राजीव कृष्ण की, ‘कामयाब-प्रैक्टिकल पुलिस-प्रणाली’ जैसी काबिलियत के चलते ही उन्हें सूबे की सरकार ने, काम-चलाऊ कहिए या फिर जुगाड़ू पुलिस-चीफ बनाया है. ताकि सूबे में कानून का खौफ अपराधियों के दिल-ओ-दिमाग में बरकरार रह सके. शुरूआत मगर इसके मगर एकदम उल्टी हुई है.

कानून और पुलिस के खौफ से बेखौफ बदमाशों ने दिल्ली से सटे यूपी के गाजियाबाद जिले के थाना मुराद नगर के गेट पर ही एक शख्स को गोलियों से भून डाला. कत्ल हो गया यह अलग बात है. शर्मनाक तो यह है कि कानून और खाकी से बेखौफ बदमाश थाने की देहरी पर कत्ल करने के बाद सुरक्षित भाग भी गए. आखिर कानून और पुलिस का खौफ इस कदर क्यों सिसक रहा है?

आरोपी कहां छिपे हैं, चल गया पता

स्टेट मिरर हिंदी ने इसी सवाल के जवाब के लिए सबसे पहले खटखटाया गाजियाबाद के पुलिस आयुक्त आईपीएस जे. रविंद्र गौड़ को. जिन्हें सूबे की सरकार ने सबसे ज्यादा कामयाब आईपीएस अफसर समझकर गाजियाबाद जैसे अति-संवेदनशील जिले का पुलिस कमिश्नर बनाया है. फोन करने पर पुलिस आयुक्त तो नहीं मिल सके. उनके जिला पुलिस प्रवक्ता ने कहा, “हां, थाना मुरादनगर के मुख्य द्वार पर कत्ल तो हुआ है. कत्ल करने का आरोपी मौके से भाग भी गया. उसके कुछ संदिग्ध-संभावित हाइडआउट पता चल गए हैं. जल्दी ही पकड़ लिया जाएगा.”

पुलिस प्रवक्‍ता ने नहीं दिए अहम सवालों के जवाब

स्टेट मिरर हिंदी ने जब गाजियाबाद जिला पुलिस प्रवक्ता से सवाल किया कि, “थाने की देहरी पर कत्ल जैसी अपराध की दुनिया में सबसे जघन्य घटना घट ही कैसे गई? अगर मुराद नगर थाने के गेट पर कत्ल हो भी गया तो फिर हत्यारोपी पुलिस के सामने से बेखौफ भागने में कामयाब कैसे हो गया? क्या पुलिस वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई है?” इन अहम सवालों के जवाब के देने की बजाए या सवालों को अनसुना करते हुए, पुलिस प्रवक्ता ने कहा, “जल्दी ही आरोपी पकड़ में आ जाएगा.” और इसी के साथ मोबाइल फोन डिस्कनेक्ट कर दिया.

आरोपी के एनकाउंटर की मांग

जिक्र जब उत्तर प्रदेश जैसे बड़े सूबे के थाना मुराद नगर के मुख्य द्वार पर हुए कत्ल का हो तो यहां बताना जरूरी है कि, बुधवार-गुरुवार रात (18-19 जून 2025) के वक्त कत्ल की यह सनसनीखेज घटना अंजाम दी गई. गोलियों से भूनकर कत्ल किये गए युवक की पहचान मिल्क रावली गांव के रवि शर्मा के रूप में हुई है. गुस्साए लोगों ने थाने के सामने शव रखकर पुलिस को थाने के भीतर ही घेर लिया. भीड़, हत्यारोपी के एनकाउंटर की मांग पर अड़ी थी. घटनाक्रम के मुताबिक रवि शर्मा (अब कत्ल किया जा चुका) का झगड़ा अजय व मोंटी से रात करीब 9-10 बजे हुआ था. झगड़े की जड़ में कार को निकालने के लिए रास्ता देना-न देना था.

घर में घुसकर भी की थी मारपीट

झगड़े के बाद आरोपी रवि के घर पहुंचे और वहां भी उसके साथ मारपीट करने लगे. एक आरोपी अजय ने रवि के घर को निशाना बनाते हो दो गोलियां भी दाग दीं. इससे रवि का परिवार दहशत में आ गया. रवि पिता के साथ घटना की सूचना देने मुराद नगर थाने गया. तो वहां पीछे से आरोपी भी पहुंच गए. इससे पहले पिता-पुत्र 112 नंबर पर डायल करके पुलिस मौके पर बुला चुके थे. पुलिस कंट्रोल रूम के स्टाफ की सलाह पर ही पिता-पुत्र शिकायत करने थाना मुराद नगर पहुंचे. जहां विरोधी पक्ष के एक बेखौफ बदमाश ने रवि को उसके बदन में 4 गोलियों झोंककर कत्ल कर डाला, और पुलिस व कानून के खौफ को ठेंगा दिखाते हुए मौके से भागने में भी कामयाब रहा.

 

जिला पुलिस प्रमुख की पुलिसिंग पर सवालिया निशान

आखिर योगी आदित्यनाथ जैसे कड़क मिजाज और सूबे की जनता द्वारा ‘बुलडोजर-सीएम’ की उपाधि से विभूषित किए जा चुके, ऐसे सख्तमिजाज मुख्यमंत्री जिनकी सल्तनत में पुलिस और कानून के खौफ से अपराधियों के छक्के छूटते हैं, थाना मुराद नगर के गेट पर कैसे कत्ल करके अपराधी साफ बच निकले? स्टेट मिरर हिंदी के सवाल के जवाब में 1959 बैच यूपी कैडर के आईपीएस और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह बोले, “देखिए किसी एक घटना से पूरे सूबे की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा देना सही नहीं समझता हूं. हां, थाने के गेट पर इस तरह से कत्ल कर दिया जाना गंभीर है. इसमें यह देखना चाहिए की जिला पुलिस प्रमुख की पुलिसिंग कैसी है? बात अगर रामराज की करूं तो अपराध तो तब भी होते थे. हां, थाने के गेट पर कत्ल हो जाना अपने आप में गंभीर घटना है. मगर थाने के गेट पर कत्ल की एक घटना में सूबे के चीफ मिनिस्टर सहित पूरी पुलिस को ही लपेट दिया जाना मुझे उचित नहीं लगता है. वह भी तब जब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की हुकूमत में ही अपराधी सबसे ज्यादा खौफ खा रहे हों.”

 

थाने के गेट पर कत्‍ल करने की हिम्‍मत कहां से आई?

इस बारे में 1974 बैच के पूर्व आईपीएस और उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह बोले, “पूरे सूबे की पुलिस को कटघरे में तो खड़ा नहीं करूंगा. हां, मुराद नगर थाने के गेट पर हुई कत्ल की इस घटना के आरोपी, गाजियाबाद पुलिस और वहां की कानून व्यवस्था से तो बेखौफ थे ही. इसमें भी कोई शक नहीं है. मगर अपराधियों का कत्ल की घटना को अंजाम देकर थाने के गेट से साफ बच निकला, जरूर थाना और गाजियाबाद पुलिस की सुस्त कार्य-प्रणाली का द्योतक जरूर नजर आता है. पहले तो यह कि थाने के गेट पर कत्ल करने की हिम्मत कैसे हो गई अपराधियों की? अगर वे बेखौफ होकर कत्ल की घटना को अंजाम दे भी गए तो, फिर थाना पुलिस इसलिए कटघरे में खड़ी होती है कि अपराधी कत्ल करके सुरक्षित भाग कैसे गए? जरूर इसमें थाना मुराद नगर के पुलिसकर्मियों की लापरवाही रही होगी. सुना है कि कत्ल करके भाग रहे अपराधियों का थाना मुराद नगर ने पीछा तक करना मुनासिब नहीं किया. जब तक पुलिस दौड़ी तब तक अपराधी उसकी पहुंच से काफी दूर निकल चुके थे.”

 

जब बदमाश और पुलिस की मिलिभगत होगी तो ऐसे कत्‍ल तो होंगे...

इस बारे में उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड पुलिस उपाधीक्षक सुरेंद्र सिंह लौर स्टेट मिरर हिंदी से कहते हैं, “जब पुलिस और अपराधी मिल बांटकर काम-कारोबार चलाएंगे तब फिर थाने के गेट पर क्या थाने के भीतर भी कत्ल होने पर ताज्जुब नहीं होना चाहिए. बेशक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने क्यों न पुलिस की लगाम कस रखी हो. और पुलिस ने अपराधियों की लगाम टाइट करके रखी हो. मगर जब थाना-लोकल पुलिस अपराधियों से मिल-बांटकर आगे बढ़ेगी तो कानून और पीड़ित ही सिसकेगा न. अपराधी तो अपना इकबाल बुलंद ही रखेंगे न. मेरे हिसाब से तो घटना के वक्त थाने में मौजूद सभी पुलिस वालों को सस्पेंड कर दिया जाना चाहिए. अगर एसएचओ या कोतवाल थाने में घटना के वक्त मौजूद न भी रहा हो, तब भी उसे दंडित किया जाना चाहिए. ताकि एक थाने के ऐसी दुस्साहसिक घटना के लिए दंडित कर दिया जाएगा, तो आइंदा के लिए बाकी सभी थानों की पुलिस को सबक मिल जाएगा.”

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