थोक में पुलिसकर्मी गायब होने की बात पर खुली कानपुर पुलिस की नींद, 161 नहीं 53 के गायब होने की बात कबूली

कानपुर से बड़ी संख्‍या में गायब पुलिसकर्मियों के मामले में कानपुर पुलिस ने स्पष्ट किया कि ड्यूटी से गायब पुलिसकर्मियों की संख्या 161 नहीं, बल्कि 53 है. इन सभी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है. डीसीपी एस एम कासिम आबिदी ने कहा कि जांच में गायब रहने का कारण सही पाया गया तो उसे ध्यान में रखा जाएगा. पुलिसकर्मी कुंभ मेले के बाद से गायब बताए जा रहे हैं.;

( Image Source:  Sora AI )

स्टेट मिरर हिंदी द्वारा दो दिन पहले (22 जुलाई 2025)" पुलिस अफसर कान में तेल डालकर सोएंगे तो, दारोगा-हवलदार सिपाही ड्यूटी से 'गायब' होने में क्यों शर्माएं-पूर्व DG विक्रम सिंह" प्रकाशित खबर का कानपुर पुलिस ने जवाब दिया है. प्रकाशित खबर के परिप्रेक्ष्य में इस पर गंभीरता पूर्वक अमल करते हुए अब कानपुर पुलिस आयुक्त कार्यालय ने बाकायदा अपने अधिकृत एक्स X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर री-ट्विट किया है कि, गायब हवलदार-सिपाहियों की संख्या 161 नहीं, बल्कि 53 है. इन सभी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं. कानपुर पुलिस आयुक्त मुख्यालय की तरफ से उपायुक्त-मुख्यालय एस एम कासिम आबिदी ने इस बारे विस्तृत में स्टेट मिरर हिंदी के ट्विटर हैंडल पर जानकारी दी है.

जारी वीडियो में एस एम कासिम आबिदी खबर का हवाला देकर बताते हैं कि, 21 जुलाई 2025 से मीडिया में उनके आयुक्तालय से संबंधित खबर कि कानपुर पुलिस के 161 पुलिसकर्मी लंबे समय से गायब चल रहे हैं. यह खबर तो सही है कि इस तरह के पुलिसकर्मियों के बारे में पता चला है. इन सभी के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है. कानपुर पुलिस मुख्यालय डीसीपी के अनुसार, लेकिन इन गायब पुलिसकर्मियों की जो 161 संख्या मीडिया में दिखाई-बताई जा रही है, वह कदापि सही नहीं है. अंदर की सच्चाई कबूलते हुए कानपुर पुलिस मुख्यालय डीसीपी का दावा है कि इन गायब पुलिसकर्मियों की संख्या 53 है.

कुंभ मेले के बाद से ही गायब हैं पुलिसकर्मी

इन सभी के खिलाफ विभागीय जांच की जा रही है. जांच पूरी होने के बाद इनके खिलाफ उचित विभागीय-अनुशासनात्मक कानूनी एक्शन अमल में लाया जाएगा. डीसीपी कानपुर पुलिस मुख्यालय अपनी सफाई के लिए जारी वीडियो में आगे कहते हैं, "इन गायब पुलिसकर्मियों के बारे में मीडिया में लिखा जा रहा है कि ये पुलिसकर्मी कुंभ मेला-2025 से गायब हैं. ये गायब पुलिसकर्मी कानपुर के थानों में, पुलिस लाइन, ट्रैफिक लाइन में तैनात हैं. यह तथ्य सही है. साथ ही इन गायब पुलिसकर्मियों के बारे में यह भी पता लगाने की कोशिशें जारी हैं कि, आखिर वे किन कारणों से इतने लंबे समय से ड्यूटी से अनुपस्थित हैं."

तो क्‍या बच जाएंगे ऐसे पुलिसवाले?

इस खबर के बाहर आने के बाद कानपुर पुलिस और राज्य पुलिस की हो रही बदनामी से बेहाल कानपुर पुलिस आयुक्त मुख्यालय डीसीपी आगे कहते हैं, "विभागीय जांच में अगर यह सामने आएगा कि अनुपस्थित चल रहे पुलिसकर्मी किसी हादसे या गंभीर जायज पारिवारिक समस्या के चलते ड्यूटी नहीं ज्वाइन कर सके हैं. तो इनकी इस बात को भी जांच के दौरान ध्यान में रखा जाएगा." ऐसे में डीसीपी मुख्यालय यह नहीं बता रहे हैं कि, "बीते 3 से लेकर 6 महीने तक की लंबी अवधि से अब तक ड्यूटी से बिना बताए गायब रहना क्या पुलिस महकमे की रूल बुक के हिसाब से सही है. क्या यह कदाचार किसी भी पुलिसकर्मी के लिए घोर कानूनी-उल्लंघन का कारण नहीं है कि, वे इतने लंबे तक बिना कारण बताए ही ड्यूटी से गायब रहे हैं. क्या अब अगर इतने लंबे समय से गायब रहने वाले पुलिसकर्मी विभागीय जांच के दौरान यह कहकर अपने खिलाफ होने वाले संभावित एक्शन से साफ बच जाएंगे कि, वे अब ड्यूटी पर न आने की वजह बता दे रहे हैं?"

हजम नहीं होता डीसीपी मुख्यालय का यह तर्क

कानपुर पुलिस आयुक्त मुख्यालय के डीसीपी एस एम कासिम आबिदी जारी वीडियो में आगे बताते हैं, "विभागीय जांच में अगर गायब पुलिसकर्मी के ड्यूटी से अनुपस्थित रहने की वजह सही पाई गई तो उसे भी ध्यान में रखा जाएगा." आखिर ऐसा क्यों? डीसीपी मुख्यालय का यह तर्क आसानी से किसी के भी गले नहीं उतरेगा. जो पुलिसकर्मी बिना बताए ही बीते कई महीनों से गायब हैं. ऐसे पुलिसकर्मी द्वारा अब अगर इतने महीने तक ड्यूटी से गायब रहने के बाद, विभागीय जांच में सही कारण बता दिया जाएगा. तब क्या इतने लंबे समय तक बिना सूचना दिए गायब रहने के अपराध को माफ कर डाला जाएगा?

कानपुर पुलिस का डैमेज कंट्रोल

मतलब, साफ है कि गायब रहने वाले और अब इस कदर मीडिया में इस खबर को लेकर हो रही थू-थू से आजिज कानपुर पुलिस डैमेज कंट्रोल में उतर आई है. डैमेज कंट्रोल में ही नहीं उतरी है अपितु गायब पुलिसकर्मियों को भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कथित रूप से 'सुरक्षित' करने की मुहिम में जुट गई दिखाई देती है! यह कहकर कि गायब पुलिसकर्मी अगर विभागीय जांच में ड्यूटी से इतने लंबे समय तक बिना बताए अनुपस्थित रहने की सही वजह बताता है तो उसे भी पुलिस महकमा ध्यान में रखेगा. 'ध्यान में रखेगा' मतलब आरोपी पुलिसकर्मी की गायब रहने की सही वजह मालूम पड़ने पर विभाग उसके ऊपर रहम खाकर उसे, इतने महीनों तक बिना बताए पुलिस-ड्यूटी से गायब रहने के चलते भी 'माफ' करने की सोच सकता है. अन्यथा होना तो यह चाहिए था कि जो पुलिसकर्मी बिना बताए इतने महीने तक गायब रहा हो. जिसे खुद अपनी नौकरी और महकमे की इज्जत की चिंता न रही हो. उस पर 'रहम की रुई' का लेप आखिर क्यों? जो भी कठोरतम विभागीय-कानूनी कार्यवाही बनती हो, वह अमल में लाई जानी चाहिए.

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