मिराज की लैंडिंग से लेकर राफेल की गूंज तक... UP का 'रणवे' बना गंगा-यमुना एक्सप्रेसवे, फाइटर जेट्स की गड़गड़ाहट से कांपा पाकिस्तान!
उत्तर प्रदेश का गंगा और यमुना एक्सप्रेसवे अब केवल ट्रैफिक का रास्ता नहीं, बल्कि भारत की सैन्य ताकत का प्रतीक बन गया है. हाल ही में गंगा एक्सप्रेसवे पर भारतीय वायुसेना ने राफेल, मिराज और सुखोई जैसे लड़ाकू विमानों के साथ रात में 'टच एंड गो' एक्सरसाइज कर पूरी दुनिया को भारत की रणनीतिक तैयारी का संदेश दिया. यह पहला एक्सप्रेसवे है, जो नाइट लैंडिंग के लिए पूरी तरह सक्षम है. यमुना एक्सप्रेसवे पर पहले ही मिराज की सफल इमरजेंसी लैंडिंग हो चुकी है, जिससे यह साफ है कि भारत किसी भी स्थिति में जवाब देने को तैयार है. पाकिस्तान की हालिया मिसाइल गतिविधियों के बीच यह सैन्य अभ्यास एक सख्त चेतावनी भी है कि भारत अब हर मोर्चे पर पूरी तरह सतर्क और सक्षम है.;
IAF Touch and Go operation Ganga Expressway: गंगा एक्सप्रेसवे इन दिनों चर्चा में है, क्योंकि 2 मई को भारतीय वायुसेना (IAF) ने इस पर एक 'लैंड एंड गो' ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया. इस ऑपरेशन में भारतीय लड़ाकू विमानों ने एक्सप्रेसवे पर उतरने और उड़ान भरने का अभ्यास किया, जो देश की सैन्य तैयारी और बुनियादी ढांचे की ताकत को दर्शाता है. इन लड़ाकू विमानों में राफेल, सुखोई, मिराज-2000, मिग-29, जगुआर, C-130J सुपर हरक्यूलिस, AN-32 और MI-17 V5 हेलीकॉप्टर जैसे विमान शामिल थे. यह भारत का पहला एक्सप्रेसवे बन गया है, जहां रात में लड़ाकू विमानों की लैंडिंग संभव है.
IAF के राफेल और अन्य लड़ाकू विमानों ने उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में गंगा एक्सप्रेसवे के 3.5 किमी लंबे एयरस्ट्रिप पर लैंडिंग और टेक-ऑफ किया. यह एक्सप्रेसवे भविष्य में किसी भी आपातकाल या युद्ध की स्थिति में एयरस्ट्रिप के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. यह अभ्यास भारत की 'ऑपरेशनल रेडीनेस' को दर्शाता है, खासकर पाकिस्तान के हालिया मिसाइल परीक्षण और सीमा पर तनाव के बीच...
गंगा एक्सप्रेसवे की मजबूती और डिजाइन अब एक सैन्य जरूरत के अनुरूप साबित हुई है, जिससे इसकी इंजीनियरिंग की तारीफ हो रही है. यह परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख विकास कार्यों में से एक है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी दोनों से जोड़ा जा रहा है.
गंगा एक्सप्रेसवे के बारे में जरूरी बातें
- गंगा एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी सड़क परियोजना है, जो राज्य के पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों को जोड़ने के लिए बनाई जा रही है. इसका उद्देश्य तेज़, सुरक्षित और निर्बाध परिवहन सुविधा प्रदान करना है. साथ ही यह रणनीतिक और सैन्य दृष्टि से भी बेहद महत्त्वपूर्ण हो गया है.
- गंगा एक्सप्रेसवे की मेरठ के निकट NH-334 (Bijauli village) से प्रयागराज के नजदीक Judapur Dandu village तक जाती है. यह एक्सप्रेसवे प्रदेश के 12 जिलों से होकर गुजरेगा. ये जिले हैं- मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज.
- एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई लगभग 594 किलोमीटर है. शुरू में इसे 6 लेन बनाया जा रहा है, लेकिन भविष्य में इसे 8 लेन तक विस्तारित किया जा सकेगा. इस पर वाहन 120 किमी/घंटा तक की स्पीड से दौड़ सकते हैं. उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) इस परियोजना का क्रियान्वयन कर रहा है.
- शाहजहांपुर में एक्सप्रेसवे के एक हिस्से को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वहां भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान लैंड और टेकऑफ कर सकें. हाल ही में IAF ने राफेल, सुखोई, तेजस जैसे विमानों से यहां सफलतापूर्वक 'लैंड एंड गो' अभ्यास किया.
- गंगा एक्सप्रेसवे की अनुमानित लागत 36,230 करोड़ रुपये से अधिक है. इसका निर्माण पीपीपी मॉडल (Public-Private Partnership) के तहत हो रहा है.
गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना के उद्देश्य
- पश्चिम से पूर्व उत्तर प्रदेश को तेज़ी से जोड़ना
- यातायात दबाव कम करना
- औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना
- सैन्य आपातकालीन परिस्थितियों में उपयोग
- पर्यटन और आर्थिक विकास में तेजी
यमुना एक्सप्रेसवे: आपातकालीन लैंडिंग के लिए तैयार
21 मई 2015 को, भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 लड़ाकू विमान ने मथुरा के पास यमुना एक्सप्रेसवे पर सफलतापूर्वक परीक्षण लैंडिंग की, यह अभ्यास आपातकालीन स्थितियों में हाईवे का उपयोग करने की क्षमता का परीक्षण था. विमान ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर से सुबह 6.40 बजे उड़ान भरी थी. स्थानीय लोग यह नजारा देखकर दंग रह गए थे.
लैंडिंग से पहले, आईएएफ के एक हेलीकॉप्टर ने हवा में कई चक्कर लगाए. मौके पर वायुसेना के कई जवान मौजूद थे. इलाके की घेराबंदी कर दी गई थी. एक अस्थायी एयर ट्रैफिक कंट्रोल स्थापित किया गया था.
यमुना एक्सप्रेसवे के बारे में जरूरी बातें
- यमुना एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश की एक प्रमुख और महत्त्वाकांक्षी सड़क परियोजना है, जो ग्रेटर नोएडा को आगरा से जोड़ती है. यह एक्सप्रेसवे न केवल तेज़ और सुरक्षित यात्रा का माध्यम है, बल्कि इसके आसपास के क्षेत्रों में औद्योगिक, आवासीय और वाणिज्यिक विकास को भी बढ़ावा देता है.
- इस एक्सप्रेसवे की शुरुआत ग्रेटर नोएडा के परी चौक से होता है, जिसका अंत आगरा के कुबेरपुर में होता है. इसकी कुल लंबाई 165.5 किलोमीटर है. यह अभी 6 लेन हैं, लेकिन भविष्य में इसे 8 लेन भी बनाया जा सकता है.
- एक्सप्रेस का निर्माण जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड, जबकि प्रबंधन यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) कर रहा है.
- इस एक्सप्रेसवे पर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ियां चल सकती हैं. कारों के लिए स्पीड लिमिट 80 किमी/घंटा, भारी वाहनों के लिए 60 किमी/घंटा है.
- इस एक्सप्रेसवे के जरिए दिल्ली से आगरा तक का सफर महज 2.5 घंटे में पूरा किया जा सकता है.
- भविष्य में यमुना एक्सप्रेसवे को गंगा एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाएगा. इसके अलावा, इसे 15 किमी लंबी सड़क के माध्यम से दिल्ली-आगरा नेशनल हाईवे से भी जोड़ा जाएगा.
यमुना एक्सप्रेसवे: एक नजर
- इंटरचेंज: 7
- टोल प्लाज़ा: 5 मुख्य टोल प्लाज़ा और 7 इंटरचेंज लूप पर टोल प्लाज़ा
- अंडरपास: 35
- रेल ओवर ब्रिज: 1
- पुल: 1 बड़ा पुल और 42 छोटे पुल
- पुलिया: 180
- कार ट्रैक क्रॉसिंग: 68
सुरक्षा और निगरानी
- पूरे एक्सप्रेसवे की सीसीटीवी से निगरानी की जाएगी.
- इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम के जरिए दुर्घटना सहायता और ट्रैफिक प्रबंधन किया जाएगा.
- गति सीमा निगरानी के लिए मोबाइल रडार होगा
- हर 25 किलोमीटर पर एक गश्ती दल नजर आएगा
अपनी रक्षा तैयारियों को नए आयाम दे रहा है भारत
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि सड़कों पर लड़ाकू विमानों को उतारना दुनिया भर में आम बात है. यह एक मानक अभ्यास है जो युद्ध के समय में लागू होता है, जब एयरबेस पर सबसे पहले बमबारी होती है या मिसाइलों से हमला होता है. भारत में, यातायात, पैदल यात्रियों और जानवरों की वजह से ऐसी लैंडिंग के लिए बहुत कम सड़कें उपलब्ध हैं. कुल मिलाकर, गंगा और यमुना एक्सप्रेसवे अब केवल यातायात के मार्ग नहीं रहे; वे राष्ट्रीय सुरक्षा और आपातकालीन स्थितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. इन एक्सप्रेसवे पर वायुसेना के अभ्यास से यह स्पष्ट है कि भारत अपनी रक्षा तैयारियों को नए आयाम दे रहा है.