AI से वोट कैसे मिलेंगे, यह हमें बदनाम तो नहीं कर देगा? UP विधानसभा में ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ क्लास में कैसे-कैसे सवाल
लखनऊ में यूपी विधानसभा ने रविवार को विधायकों के लिए 90 मिनट की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) वर्कशॉप आयोजित की, जिसमें वोट, सड़क निर्माण और जनसमर्थन जैसे राजनीतिक सवालों की बौछार हुई. विशेषज्ञों ने AI के फायदे-नुकसान समझाए, जबकि संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा, “अगर गूगल साइकिल है, तो AI मोटरसाइकिल है.” कुछ विधायक पहले से ही ChatGPT जैसे टूल का उपयोग करते हैं. विधानसभा अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि AI उपस्थिति और भाषण रिकॉर्ड समेत कई काम आसान करेगा.;
लखनऊ में रविवार का दिन उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए कुछ अलग था. सदन में न बहस हो रही थी, न बिल पास हो रहे थे, बल्कि विधायकों के लिए एक खास क्लास चल रही थी - ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ यानी AI की वर्कशॉप. यह 90 मिनट की क्लास थी, लेकिन इसमें राजनीति, तकनीक और हंसी-मजाक का ऐसा तड़का लगा कि माहौल जीवंत हो गया.
AI विशेषज्ञों ने जब तकनीक के उपयोग और चुनौतियों पर विस्तार से समझाना शुरू किया, तो विधायकों ने सवालों की झड़ी लगा दी - “AI से वोट कैसे मिलेंगे?”, “कौन-सी सड़क बनवाने से ज्यादा वोट मिलेंगे, यह बता सकता है?”, “राज्य में किस पार्टी का जनसमर्थन ज्यादा है, यह AI बताएगा?” और “AI कहीं हमें बदनाम तो नहीं कर देगा?”
किसी ने इसे ‘ठग’ कहा, तो किसी ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाया. एक विधायक ने तो साफ कहा कि “हम NASA के इंजीनियर तो बनने से रहे, हमें तो वोट चाहिए.” स्थिति संभालने के लिए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना को बीच में आना पड़ा. खन्ना ने आसान भाषा में समझाया कि “अगर गूगल साइकिल है, तो AI मोटरसाइकिल है.” यह वर्कशॉप न केवल तकनीकी जानकारी देने का मंच बनी, बल्कि विधायकों की तकनीक को लेकर सोच, जिज्ञासा और राजनीतिक जरूरतों की झलक भी सामने लाई.
AI वर्कशॉप का उद्देश्य
यह AI जागरूकता वर्कशॉप विधानसभा सचिवालय द्वारा आयोजित की गई थी, क्योंकि अब विधानसभा के कामकाज में AI टूल्स को शामिल करने की तैयारी चल रही है. इसमें उपस्थिति दर्ज करने से लेकर सदन में दिए गए भाषणों का रिकॉर्ड रखने और पुराने अभिलेखों तक पहुंचने तक, AI का उपयोग किया जाएगा. चूंकि विधानसभा सत्र अगले दिन से शुरू होना था, इसलिए पहले ही दिन विधायकों को तकनीक से परिचित कराने का निर्णय लिया गया.
सवाल-जवाब में छा गया ‘वोट बैंक’ एंगल
हालांकि सत्र का उद्देश्य तकनीकी जानकारी देना था, लेकिन कई विधायक इसे सीधे चुनावी राजनीति से जोड़ते दिखे. एक विधायक ने पूछा - “AI से वोट मांगने का तरीका भी मिल जाएगा क्या?” दूसरे ने कहा - “हमें यह मत समझाइए कि AI कैसे चलता है, हमें तो यह बताइए कि इससे वोट कैसे बढ़ेंगे.” इन सवालों ने माहौल हल्का-फुल्का बना दिया, लेकिन विशेषज्ञों के लिए यह चुनौती भी थी कि वे चर्चा को मूल विषय पर वापस लाएं.
‘गूगल साइकिल, AI मोटरसाइकिल’ वाली तुलना
जब चर्चा बार-बार वोट और राजनीति पर भटकने लगी, तो संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने आसान उदाहरण देकर समझाया - “अगर गूगल साइकिल है, तो AI मोटरसाइकिल है.” उन्होंने कहा, “AI ज्ञान है… जो भी आगे बढ़ना चाहता है, उसे अपनाना चाहिए.” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि AI किसी का राजनीतिक भविष्य नहीं बताएगा, बल्कि सिर्फ एक टूल है जो काम को आसान बनाता है.
AI के फायदे और खतरे
खन्ना ने विधायकों को बताया कि AI, हर तकनीक की तरह, सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं के साथ आता है. इसका सही उपयोग कामकाज को बेहतर बना सकता है, जबकि गलत इस्तेमाल नुकसान भी पहुंचा सकता है. उन्होंने कहा कि यह केवल मदद करने वाला साधन है, जो निर्णय लेने में सहायक हो सकता है.
विधायकों की AI से मौजूदा पहचान
वर्कशॉप में यह भी सामने आया कि कुछ विधायक पहले से ही AI टूल्स का उपयोग कर रहे हैं. कई ने बताया कि वे भाषण तैयार करने और सवाल फ्रेम करने के लिए ChatGPT जैसे टूल का इस्तेमाल करते हैं. इससे विशेषज्ञ भी हैरान रह गए कि तकनीक की जानकारी रखने वाले विधायक पहले से मौजूद हैं.
AI और विधानसभा का डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम
कुछ विधायकों ने आशंका जताई कि यह नई AI पहल कहीं उनकी विधानसभा उपस्थिति पर निगरानी रखने का तरीका तो नहीं है. इस पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने स्पष्ट किया कि पहले से ही कैमरे विधानसभा के अलग-अलग हिस्सों में लगे हैं. उन्होंने कहा - “हम जान सकते हैं कि किस विधायक ने कितनी बार भाषण दिया, किस विषय पर बोला और अपने पांच साल के कार्यकाल में कितनी सक्रियता दिखाई.” AI का उपयोग केवल उपस्थिति दर्ज करने के लिए नहीं, बल्कि वक्तव्यों और कार्यप्रदर्शन का डिजिटल रिकॉर्ड रखने के लिए भी किया जाएगा.
AI विशेषज्ञों की भूमिका
वर्कशॉप में IIT-बॉम्बे से पीएचडी और क्लिम एग्रो एनालिटिक्स के सीईओ, हर्षित मिश्रा ने अन्य AI विशेषज्ञों के साथ मिलकर तकनीक के उपयोग, महत्व और चुनौतियों पर चर्चा की. उन्होंने समझाया कि AI कैसे डेटा विश्लेषण, निर्णय लेने, और प्रशासनिक कार्यों में मदद कर सकता है.
राजनीति और तकनीक का संगम
इस सत्र ने यह साफ कर दिया कि तकनीक चाहे कितनी भी उन्नत क्यों न हो, भारतीय राजनीति में उसका मूल्यांकन अक्सर चुनावी नजरिये से किया जाता है. विधायकों के लिए यह जानना ज्यादा जरूरी था कि AI उनके जनसंपर्क और प्रचार में कैसे मदद कर सकता है, बजाय इसके कि वह केवल प्रशासनिक कार्यों में दक्षता बढ़ाए.
भविष्य में विधानसभा में AI का इस्तेमाल
वर्कशॉप के बाद यह संकेत मिल गया कि भविष्य में यूपी विधानसभा में AI का उपयोग सिर्फ उपस्थिति या रिकॉर्डिंग तक सीमित नहीं रहेगा. डेटा विश्लेषण, भाषणों की स्वचालित ट्रांसक्रिप्शन, अभिलेख प्रबंधन और शायद नीतिगत शोध में भी इसका इस्तेमाल बढ़ सकता है.