16 सालों से खा रही थी अपने ही बाल! जब डॉक्टरों ने खोला पेट तो हो गए हैरान
BAREILLY: बरेली से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां एक लड़की के पेट से 2 किलो बाल निकाले गए. मामला जब सामने आया तो पता चला कि लड़की पिछले 16 सालों से लगातार अपने ही बाल खा रही है. ये सुन डॉक्टर भी हैरान हो गए.;
BAREILLY: इंसान का खाना खाना आम बात है, लेकिन अगर वह अपने ही शरीर के अंग को खाने लगे तो ये बेहद हैरान करने वाली बात है. एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला तब सामने आया, जब डॉक्टरों की टीम ने एक 21 साल की लड़की के पेट की सर्जरी की. सर्जरी के बाद जो डॉक्टर के आंखों के सामने था, उसे देख वहां मौजूद हर शख्स की आंखें फटी की फटी रह गई. लड़की के पेट से डॉक्टरों को दो किलो के बाल का गुच्छा मिला. ये मामला बरेली का बताया जा रहा है.
बरेली के जिला अस्पताल में 21 साल की एक युवती के पेट से सर्जरी के बाद बालों का एक ऐसा गुच्छा निकाला गया, जिसका वजन थोड़ा नहीं बल्कि पूरे दो किलो था. शुक्रवार को जब युवती को अस्पताल से छुट्टी मिली तो डॉक्टरों ने यह जानकारी दी. फिलहाल, युवती पूरी तरह स्वस्थ बताई जा रही है और घर पर आराम कर रही है. सुभाष नगर के करगैना की रहने वाली 21 साल की युवती को करीब पांच साल से पेट में दर्द की शिकायत थी.
सीटी स्कैन से चला पता
युवती ने यहां इलाज से पहले कई निजी डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन उनकी बीमारी के कारण का पता नहीं चला. अंत में उसके परिवार वाले उसे जिला अस्पताल ले गए, जहां सीटी स्कैन से पता चला कि उसके पेट में बाल जैसा कुछ है. उसे 22 सितंबर को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था और लगभग एक सप्ताह पहले ही उसके पेट से लगभग दो किलोग्राम बाल निकालने के लिए सर्जरी की गई थी.
16 सालों से खा रही थी अपने ही बाल
डॉ. आशीष कुमार ने बताया कि ऑपरेशन के बाद लड़की की काउंसलिंग की गई. जब उसके परिवार से पूछताछ की गई तो उन्हें पता ही नहीं चला कि उसके पेट में इतनी बड़ी मात्रा में बाल कैसे आ गए. लड़की से बात करने पर पता चला कि वह पिछले 16 सालों से चुपके से अपने ही बाल खा रही थी. भविष्य में वह ऐसा न करे, इसके लिए काउंसलिंग सेशन कुछ महीनों तक जारी रहेगा.
डॉक्टरों के मुताबिक, बच्ची बाल खाने की बीमारी से पीड़ित थी, जिसके कारण उसके पेट में इतने बाल जमा हो गए थे कि वह खाना नहीं खा पा रही थी. उसके पेट के सीटी स्कैन से पता चला कि उसमें ट्राइकोबेज़ोअर नामक बीमारी है, जो मेंटल डिसऑर्डर ट्राइकोटिलोमेनिया से जुड़ी बीमारी है. जिला अस्पताल में वरिष्ठ सर्जन डॉ. एमपी सिंह, डॉ. अंजलि सोनी, डॉ. मुग्धा शर्मा, स्टाफ नर्स भावना के साथ मनोचिकित्सक डॉ. आशीष कुमार और डॉ. प्रज्ञा माहेश्वरी ने सफल ऑपरेशन किया.