Mumbai: 'समोसे' के सवाल पर भड़का बॉम्बे हाईकोर्ट, कहा- 'सरकारी दामाद ढूंढने के लिए न करें RTI का इस्तेमाल'

Mumbai News: महाराष्ट्र स्टेट सूचना आयोग ने 11 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट को एक अन्य मसले पर सुनवाई के दौरान बताया कि उन्हें ऐसे आरटीआई (RTI) आवेदन मिलते हैं, जिनका जन सूचना कार्यालय की जिम्मेदारियों से कोई लेना देना नहीं होता. लोग अब यह पूछने लगे है कि सरकारी दफ्तरों में कितने समोसे परोसे जाते हैं?;

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Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 12 Jun 2025 12:27 PM IST

Bombay High Court On Samosa: भारत में सूचना अधिकार कानून केंद्र सरकार ने साल 2005 में इसलिए बनाया था कि लोगों को सरकारी दफ्तरों की फाइलों में बंद जरूरी सूचनाएं आसानी मिले, लेकिन 20 साल के अंदर इस कानून का दुरुपयोग इतने बड़े पैमाने पर होगा, इसके बारे में नीति नियंताओं ने शायद ही सोचा हो. चौंकाने वाली बात यह है कि अब लोग आरटीआई अधिकार के तहत जन सूचना कार्यालय से यह भी पूछने लगे हैं कि सरकारी दफ्तरों में रोज कितने 'समोसे' परोसे जाते हैं.

बॉम्बे हाईकोर्ट के सामने भी हाल ही में सूचना आयुक्तों के खाली पदों से जुड़े एक याचिका पर पर सुनवाई के दौरान ऐसा ही एक मामला सामने आया था. इस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने गंभीर नाराजगी जाहिर की है. हाईकोर्ट ने कहा, 'RTI कानून का जिस तरह दुरुपयोग हो रहा है वो बेहद चिंताजनक है.'

RTI के दुरुपयोग पर हाईकोर्ट गंभीर

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि सूचना के अधिकार जैसे कानूनों का मकसद लोगों की भलाई करना है. लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं. इससे आरटीआई की प्रासंगिकता धूमिल होगी. अफसर आवेदन को हल्के में लेने लग जाएंगे. इसका सीधा नुकसान आम लोगों को ही उठाना होगा.

SIC ने अदालत को दी ये जानकारी

दरअसल, महाराष्ट्र सूचना आयोग ने 11 जून को हाईकोर्ट को एक अन्य मामले पर सुनवाई के दौरान बताया था कि उन्हें ऐसे आरटीआई आवेदन मिलते हैं, जिनका कोई मतलब नहीं होता है. जैसे लोग अब यह पूछने लगे है कि सरकारी दफ्तरों में कितने समोसे परोसे जाते हैं? फिलहाल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है.

बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस संदीप मार्ने की बेंच ने कहा, 'कानून भलाई के मकसद से बनाए जाते हैं, लेकिन लोग इसका गलत इस्तेमाल करने लगे हैं. इसके जरिए सरकारी दामादों को ढूंढ रहे हैं.'

एसआईसी में 1 लाख से ज्यादा मामले पेंडिंग

यह मामला उस समय सामने आया जब राज्य सूचना आयोग कार्यालय में खाली पड़े पदों को लेकर दायर एक याचिका पर हाईकोर्ट के जज सुनवाई कर रहे थे. सुनवाई के दौरान राज्य सूचना आयोग के वकील ने अदालत को बताया कि एसआईसी में 7 और सीआईसी में 1 पद खाली हैं. चार पदों को अप्रैल 2025 में भरा गया था. याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से एसआईसी के लिए तीन अतिरिक्त पद सृजित करने की मांग की है. याची का कहना है कि आरटीआई से संबंधित एक लाख से ज्यादा आवेदन पेंडिंग हैं. इसका निपटारा करने के लिए अतिरिक्त स्टाफ की जरूरत है. 

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