पचपदरा रिफाइनरी पर फिर छिड़ा सियासी घमासान, सोशल पर अशोक गहलोत और राजेंद्र राठौड़ के बीच वार-पलटवार
राजस्थान की पचपदरा रिफाइनरी एक बार फिर से चर्चा में आ गई है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा रिफाइनरी में उत्पादन शुरू होने की समयसीमा पर सवाल उठाए हैं. तो वहीं राजेंद्र राठौड़ ने पलटवार करते हुए पूरी देरी का जिम्मेदार गहलोत सरकार को ठहरा दिया.;
राजस्थान की पचपदरा रिफाइनरी एक बार फिर सियासी तूफान के केंद्र में आ गई है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा रिफाइनरी में उत्पादन शुरू होने की समयसीमा पर सवाल उठाए जाने के बाद प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है. गहलोत ने सोशल मीडिया पर सरकार से जवाब मांगा, जिसके तुरंत बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने पलटवार करते हुए पूरी देरी का जिम्मेदार गहलोत सरकार को ठहरा दिया.
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रिफाइनरी प्रोजेक्ट, जिसकी आधारशिला साल 2013 में रखी गई थी, जो हमेशा से राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का विषय रहा है. अब गहलोत और राठौड़ के बीच सोशल मीडिया पर हुई यह तकरार आने वाले समय में इस मुद्दे को और भी गरमाने वाली दिख रही है.
पूर्व सीएम गहलोत का सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि पचपदरा रिफाइनरी के साथ पेट्रो जोन में निवेशकों को भूखंड आवंटन की शुरुआत सकारात्मक कदम है, लेकिन उत्पादन शुरू होने की तारीख आज भी स्पष्ट नहीं है. उन्होंने कहा “कांग्रेस सरकार में 2023 में जब मैंने रिफाइनरी का दौरा किया था, तब प्रशासन ने 31 दिसंबर 2024 तक उत्पादन शुरू होने का आश्वासन दिया था. भाजपा सरकार ने बजट में अगस्त 2025 तक उत्पादन शुरू करने की घोषणा की, लेकिन अब इस समयसीमा पर भी कोई चर्चा नहीं हो रही है.”
गहलोत ने लागत को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि शुरुआत में प्रोजेक्ट की लागत 38,000 करोड़ रुपये तय की गई थी, लेकिन अब मीडिया रिपोर्ट्स में इसके 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक पहुंचने के अनुमान सामने आ रहे हैं. उन्होंने राज्य सरकार से पूछा “सरकार स्पष्ट करे कि रिफाइनरी कब शुरू होगी और इसकी कुल लागत अब कितनी हो चुकी है.”
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गहलोत पर राठौड़ का पलटवार
गहलोत की पोस्ट पर भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने कड़ा जवाब दिया. उन्होंने एक्स पर लिखा “पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत आप हर बार की तरह इस बार भी पचपदरा रिफाइनरी पर राजनीति कर रहे हैं. देरी और अव्यवस्था की असली नींव आपकी ही सरकार ने रखी थी.” राठौड़ ने आरोप लगाया कि साल 2013 में आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले गहलोत सरकार ने बिना बजट प्रावधान और पर्यावरणीय स्वीकृति के केवल चुनावी लाभ के लिए सोनिया गांधी से शिलान्यास करवाया, जो सिर्फ एक राजनीतिक ढोंग था.
उन्होंने आगे लिखा “आपकी सरकार के समय रिटेण्डरिंग, लगातार फैसले बदलने और उपकरणों की समय पर व्यवस्था न कर पाने से प्रोजेक्ट सालों पीछे चला गया.” राठौड़ ने वर्तमान प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा “भाजपा सरकार ने प्रोजेक्ट को फिर गति दी है. कुल 13 यूनिट्स में से 9 यूनिट्स में 96% से अधिक काम पूरा हो चुका है तथा शेष यूनिट्स में भी तेज़ी से कार्य चल रहा है. अब तक 90.1% से अधिक निर्माण पूरा हो चुका है और परियोजना अंतिम चरण में है.”
रिफाइनरी विवाद और राजनीति
पचपदरा रिफाइनरी न सिर्फ पेट्रो-केमिकल सेक्टर में राजस्थान के लिए एक बड़ा आर्थिक अवसर है, बल्कि यह चुनावी राजनीति का भी मजबूत मुद्दा बन चुकी है. जहां कांग्रेस देरी और बढ़ी लागत पर सरकार को घेर रही है, वहीं भाजपा पिछली कांग्रेस सरकार पर ही रुकावटों की जिम्मेदारी डाल रही है. आने वाले महीनों में यह मुद्दा प्रदेश की राजनीति को और तेज करने वाला है.