आखिर क्यों कोटा बन रहा छात्रों के मौत का अड्डा! एक और छात्रा ने किया सुसाइड, जानें वजह
राजस्थान के कोटा में एक और सुसाइड की घटना सामने आई है जहां एक एक 19 साल की छात्रा ने सातवीं मंजिल से कूद कर जान से दी है. मंगलवार की देर रात को राजीव गांधी नगर में एक इमारत से उन्होंने छलांग लगा दी. फिलहाल जवाहर नगर पुलिस मामले की जांच कर रही है.;
राजस्थान के कोटा में एक और सुसाइड की घटना सामने आई है जहां एक एक 19 साल की छात्रा ने सातवीं मंजिल से कूद कर जान से दी है. मंगलवार की देर रात को राजीव गांधी नगर में एक इमारत से उन्होंने छलांग लगा दी. फिलहाल जवाहर नगर पुलिस मामले की जांच कर रही है. मिली जानकारी के मुताबिक, छात्रा को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ले जाया गया है. जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
जवाहर नगर थाना अधिकारी हरिनारायण शर्मा ने बताया कि 19 साल की छात्रा खंदेलवाल गुमानपुरा छावनी की रहने वाली थी. यहां वह अपने मौसी के घर रहने आई थी. छात्रा ने वहीं पर एक बिल्डिंग से नीचे कूदकर आत्महत्या कर ली. छात्रा के पास से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है.
जैसा की आपको मालूम हो की छात्रों के खुदकुशी की खबरें लगातार पढ़ने को मिलती रही है. जिसके बाद लोगों के बीच एक सवाल चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर क्यों राजस्थान के कोटा में छात्र आए दिन कोई न कोई मौत को गले लगा रहा है. आखिर इसका जिम्मेदार कौन है?
छात्रों की ख़ुदकुशी का ज़िम्मेदार कौन?
BBC के रिपोर्ट के मुताबिक, छात्रों के बीच स्टडी ग्रुप का प्रेशर रहता है. सब कुछ दाँव पर लगा कर अपने बच्चों को कोटा में पढ़ा रहे परिजनों का दबाव रहता है. नीट और जेईई की पढ़ाई का ज़्यादा प्रेशर रहता है. इसके आगे वह कहती है कि "कोचिंग संस्थान अपना परिणाम बेहतर साबित करने के लिए पढ़ाई में तेज़ बच्चों पर ज़्यादा फ़ोकस करते हैं. अन्य बच्चे या कमज़ोर बच्चे उनकी वरीयता में नहीं होते. इन बच्चों के बीच ये भी एक तनाव का कारण होता है."