18 महीने तक बुलिंग, 45 मिनट तक मदद की भीख… CBSE रिपोर्ट में खुला मासूम अमायरा की मौत का काला सच
जयपुर के एक नामी स्कूल में 9 साल की अमायरा की मौत ने पूरे सिस्टम की लापरवाही को सामने लाया. सीबीएसई की जांच रिपोर्ट बताती है कि अमायरा डेढ़ साल तक लगातार बुलिंग झेलती रही, कई बच्चों की गलत हरकतें सहती रही, लेकिन उसका दर्द किसी ने नहीं सुना.;
जयपुर के एक नामी निजी स्कूल में 9 साल की बच्ची अमायरा की मौत ने पूरे देश को हिला दिया है. यह सिर्फ एक ट्रैजेडी नहीं, बल्कि स्कूल सिस्टम, टीचर्स की संवेदनहीनता और बुलिंग को हल्के में लेने का बेरहम उदाहरण बन चुकी है. कई महीनों तक मदद की पुकार अनसुनी रहने के बाद, बच्ची ने ऐसी राह चुन ली, जिसकी कल्पना भी किसी को नहीं थी. यह दर्दनाक घटना बताती है कि एक छोटी-सी उम्र में भी बच्चे किस तरह भीतर-ही-भीतर टूट जाते हैं, जब उन्हें भरोसा करने वाला कोई नहीं मिलता.
अब CBSE की रिपोर्ट में मासूम अमायरा के मौत का कारण बताया गया है. सबसे बड़ा दिल तोड़ने वाला सच यह है कि मौत से कुछ घंटों पहले अमायरा अपनी क्लास टीचर के पास पांच बार गई, 45 मिनट तक मदद की गुहार लगाती रही, लेकिन हर बार उसे डांटकर टाल दिया गया. आखिरकार, तंग आकर वह चौथी मंज़िल पर गई और हमेशा के लिए दुनिया छोड़ दी.
18 महीनों की चुप दर्द की कहानी
अमायरा नीरजा मोदी स्कूल की चौथी क्लास की होनहार छात्रा थी. देखने में खुश, बातों में मासूम और हर गतिविधि में आगे. लेकिन उसकी हंसी के पीछे महीनों तक चल रहा दर्द कोई नहीं देख पाया. वह धीरे-धीरे बुलिंग, गंदी बातों और क्लासमेट्स की चुभती हरकतों का बोझ अकेले ढो रही थी. उसके माता-पिता कई बार स्कूल से शिकायत कर चुके थे, लेकिन हर बार जवाब मिला कि 'बच्चों को अपने साथ एडजस्ट करना सीखना चाहिए.'
लड़के ने किया परेशान
इस बीच, क्लास में एक लड़का बार-बार उसे शर्मिंदा करता रहा. कभी उसकी ‘हैलो’ को ‘आई लव यू’ बताकर दोस्तों के सामने मज़ाक उड़ाया, तो कभी बीच क्लास में खराब शब्द कहे. एक बार एक बच्चे ने उसे बीच उंगली दिखा दी, मां ने टीचर को मैसेज किया, पर कोई जवाब नहीं मिला. जुलाई में उसे एक लड़के ने मारा भी, पर एक्शन फिर जीरो. धीरे-धीरे बच्ची का आत्मविश्वास टूट रहा था. एक दिन वह रोते हुए घर लौटी और बोली“मम्मी, मैं स्कूल नहीं जाना चाहती. सब मुझे परेशान करते हैं. प्लीज मुझे किसी और स्कूल में डाल दो…”
अमायरा ने किया सुसाइड
1 नवंबर की सुबह अमायरा नॉर्मल दिख रही थी. CCTV में वह दोस्तों से बात करती, गोलगप्पे और चॉकलेट खाती, खुशी से हंसती दिखी. 11 बजे के बाद उसके चेहरे का रंग बदल गया. एक डिजिटल स्लेट पर उसके सहपाठियों ने कुछ ऐसा लिख दिया, जो उसे बहुत बुरा लगा. वह कई बार बोली, “इसे मिटा दो… प्लीज हटाओ…”
लेकिन बात यहीं नहीं रुकी. वह पाँच बार अपनी क्लास टीचर के पास गई. वह 45 मिनट तक मदद मांगती रही, पर टीचर ने ना केवल उसे डांट दिया, बल्कि ऐसी बातें कह दीं, जिनसे पूरी क्लास हैरान रह गई. टीचर की बेरुखी ने उसे पूरी तरह अकेला और असुरक्षित महसूस करवाया. उसने उस दिन खाना भी नहीं खाया.
टीचर की चुप्पी, स्कूल की लापरवाही और बच्ची का कदम
CCTV फुटेज में साफ नजर आ रहा है कि बहस के बाद बच्ची बेहद बेचैन हो गई थी. क्लास ग्राउंड फ्लोर पर थी, लेकिन कोई नहीं जान पाया कि वह ऊपर कैसे गई. स्कूल में कोई फ्लोर अटेंडेंट मौजूद नहीं था, ना ही किसी स्टाफ ने उसकी मूवमेंट पर ध्यान दिया. चौथी मंज़िल की रेलिंग बिना किसी सुरक्षा जाल के थी. कुछ मिनट बाद, वही बच्ची जिसने थोड़ी देर पहले तक मुस्कुराकर बातें की थीं, स्कूल की इमारत के नीचे निर्जीव मिली. सब कुछ पलभर में खत्म हो गया.
CBSE जांच: सिस्टम ने बच्ची को अकेला छोड़ा
CBSE की दो सदस्यीय टीम ने पूरे मामले की जांच की और स्कूल की पोल खोल दी:
- 18 महीनों तक बुलिंग जारी रही
- टीचर ने हर शिकायत को नज़रअंदाज़ किया
- क्लासमेट्स की गंदी भाषा और अपमानजनक हरकतें बढ़ती गईं
- जिस दिन घटना हुई, टीचर ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया
- बच्ची की मानसिक हालत बिगड़ती रही लेकिन कोई संवेदना नहीं दिखाई गई
- CCTV देखने वाला कोई स्टाफ नहीं
- एक बच्ची 4 मंज़िल तक गई, किसी ने नहीं रोका
- घटना वाली जगह को तुरंत धो दिया गया – फॉरेंसिक सबूत मिट गए
CBSE ने साफ लिखा कि 'अमायरा की मौत शिक्षक की संवेदनहीनता और स्कूल की लगातार लापरवाही का नतीजा है. अगर समय पर हस्तक्षेप किया जाता, यह हादसा रुक सकता था.'