साम, दाम, दंड, भेद से चुनाव जीतेंगे! आप नेता मनीष सिसोदिया का विवादित बयान वायरल

यह विवादित बयान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा और अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में दिया गया. अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या आप का शीर्ष नेतृत्व भी इस विचारधारा से सहमत है?. वीडियो सामने आते ही बीजेपी, कांग्रेस और अकाली दल ने आप और मनीष सिसोदिया पर जमकर हमला बोला.;

( Image Source:  X : @DHAKKADCONGRESS )
Edited By :  रूपाली राय
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आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और पंजाब के राज्य प्रभारी मनीष सिसोदिया एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गए हैं। गुरुवार शाम उन्होंने पार्टी की महिला स्वयंसेवकों के लिए आयोजित एक कार्यशाला में जो बातें कहीं, उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सियासी भूचाल मच गया है. दरअसल, वायरल वीडियो में सिसोदिया पार्टी कार्यकर्ताओं से कहते हुए दिखाई देते हैं- 2027 विधानसभा चुनाव जीतने के लिए साम, दाम, दंड, भेद, सच, झूठ, सवाल, जवाब, लड़ाई, झगड़ा – जो भी करना पड़ेगा, सब करना होगा बोलो तैयार हैं? जोश से बोलो.'

उनका यह बयान न केवल विपक्षी दलों को आक्रामक होने का मौका दे गया बल्कि पूरे राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर बहस छिड़ गई है. सिसोदिया द्वारा उपयोग किया गया यह वाक्यांश कोई सामान्य जुमला नहीं है. यह सीधे-सीधे चाणक्य के अर्थशास्त्र से लिया गया है, जहां राजनीति और युद्ध की रणनीतियों में चार उपाय बताए गए हैं अनुनय, प्रलोभन, दंड और विभाजन यानी हर वह साधन, जो लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपनाया जा सकता है. विपक्ष का कहना है कि सिसोदिया का यह बयान लोकतांत्रिक और नैतिक सीमाओं को लांघने वाला है.

भड़के बीजेपी, कांग्रेस और अकाली दल के नेता 

यह विवादित बयान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा और अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में दिया गया. अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या आप का शीर्ष नेतृत्व भी इस विचारधारा से सहमत है?. वीडियो सामने आते ही बीजेपी, कांग्रेस और अकाली दल ने आप और मनीष सिसोदिया पर जमकर हमला बोला. भाजपा से प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने चुनाव आयोग को पत्र लिखते हुए आरोप लगाया- वीडियो में आप नेता खुलेआम अलोकतांत्रिक और अवैध तरीकों से चुनाव जीतने की वकालत कर रहे हैं. यह बयान लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान है और चुनावी प्रक्रिया को कमजोर करने की आप की मंशा को साफ करता है.' भाजपा ने आयोग से सिसोदिया पर एफआईआर दर्ज करने और उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने की मांग की. राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने तो और भी कड़े शब्दों में हमला बोला. उन्होंने कहा, 'यह बयान साबित करता है कि आप 2027 के चुनाव के लिए पंजाब में अराजकता फैलाने की साजिश रच रही है. भ्रष्टाचार मामलों में ज़मानत पर बाहर चल रहे सिसोदिया पंजाब में गुंडागर्दी की राजनीति लाना चाहते हैं.'

दिल जीतकर धोखा दिया

विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, 'सिसोदिया का यह बयान चुनावी रणनीति नहीं बल्कि लोकतंत्र को नष्ट करने की मंशा का इकबालिया बयान है. आप सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है और अब सत्ता बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है.' प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'अगर आप को लगता है कि पंजाबियों को डराकर और झूठे हथकंडों से जीता जा सकता है, तो यह उनकी सबसे बड़ी गलतफहमी है. 2022 में आपने लोगों का दिल जीतकर धोखा दिया, लेकिन पंजाब इस बार आपको माफ नहीं करेगा.' पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने भी चुनाव आयोग से कठोर कार्रवाई की अपील की. उन्होंने कहा, 'सिसोदिया का बयान भाईचारे और शांति को भड़काने वाला है. यह उनकी जमानत रद्द करने के लिए पर्याप्त कारण है. आयोग को तुरंत दखल देना चाहिए.' 

अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं 

विवाद गहराने के बाद भी न तो मनीष सिसोदिया और न ही आम आदमी पार्टी ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया दी है. इस चुप्पी ने विपक्ष को और आक्रामक होने का मौका दे दिया है. 2027 के चुनावों में अभी समय है, लेकिन मनीष सिसोदिया के इस बयान ने पंजाब की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है. विपक्षी दल इसे “लोकतंत्र पर हमला” बता रहे हैं, जबकि आप की ओर से खामोशी सवाल खड़े कर रही है. एक तरफ सिसोदिया इसे कार्यकर्ताओं में जोश जगाने वाला नारा बता सकते हैं, वहीं विपक्ष इसे 'चुनावी साजिश का ब्लूप्रिंट' कह रहा है. अब देखना होगा कि चुनाव आयोग इस मामले में क्या रुख अपनाता है और क्या सिसोदिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होती है. 

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