पंजाब में पाउच में बिक रही जहरीली शराब! तमाम कोशिशों के बाद भी पुलिस नहीं लगा पा रही रोक

Punjab Liquor Tagedy: पंजाब में जहरीली शराब के चलते 27 लोगों की जान चली गई. हरीली शराब की बिक्री अब पाउच में हो रही है. अलग-अलग क्षेत्रों में इसे बेचा जा रहा है. कई लोगों इस इसकी बिक्री के वीडियो भी वायरल किए हैं. पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है. अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. बाकी की तलाश की जा रही है.;

( Image Source:  canava )
Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 17 May 2025 3:42 PM IST

Punjab Liquor Tagedy: शराब पीना सेहत के लिए हानिकारक है, इसके बाद भी लोग इसका सेवन करना नहीं छोड़ते. पंजाब के अमृतसर में जहरीली शराब पीने से करीब 27 लोगों की मौत हो हई. अवैध शराब की बिक्री की वजह से यह सब हुआ और यह धंधा कई राज्यों में बढ़ता ही जा रहा है. लोग मौते के आंकड़े देखकर भी इसका सेवन लगातार कर रहे हैं.

पंजाब में जहरीली शराब के चलते मौत का मामला पहला नहीं है. ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं, जिसमें कई बार तो आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी नहीं की जाती है. अपने गम और परेशानी से कुछ पल राहत पाने के नाम पर मजदूर, गरीब सभी इसका सेवन कर रहे हैं. इसी का फायदा उठाते हुए अवैध शराब बेचने वाले जहरीली शराब बेचने लगे हैं.

पंजाब सरकार का एक्शन

जहरीली शराब की बिक्री अब पाउच में हो रही है. अलग-अलग क्षेत्रों में इसे बेचा जा रहा है. कई लोगों इस इसकी बिक्री के वीडियो भी वायरल किए हैं. मामले का खुलासा होते ही पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया है. वहीं पंजाब में पुलिस छापेमारी के दौरान चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. अब अवैध खराब माफियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. रिपोर्ट में बताया गया कि अधिकारियों को निलंबित भी किया गया. हालांकि असली वजह तो मेथनॉल चोरी का संगठित नेटवर्क.

मेथनॉल कोई शराब नहीं है बल्कि यह एक इंडस्ट्रियल केमिकल है, जो पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री में इस्तेमाल होता है. कई राज्यों में इसे 'क्लास बी जहर' माना गया है, लेकिन यह फिर भी गन्ने की शीरे से बनी असली शराब से सस्ता पड़ता है. डीलरों से मेथनॉल चुराकर भी तस्कर मोटा मुनाफा कमाते हैं.

नहीं मिलती सजा?

अवैध शराब के मामलों में हत्या और हत्या की कोशिश जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमे चलते हैं. लेकिन सजा मिलना बहुत मुश्किल होता है. बता दें कि साल 2015 के मालवणी केस में नौ साल बाद कोर्ट ने 14 में से 10 आरोपियों को बरी कर दिया. किसी को भी जहर अधिनियम (Poison Act) के तहत दोषी नहीं ठहराया गया. कानून बनाने वाले और उसे लागू करने वाले ईमानदार हों, जिससे अवैध मेथनॉल सप्लाई की कोई संभावना ही न बचे.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, जहरीली शराबों में अक्सर मरे हुए बिच्छू, इंडस्ट्रियल मेथनॉल जैसे कैमिकल, जो पीने योग्य इथनॉल से देखने में मिलते-जुलते होते हैं मिलाए जाते हैं, जो कि सेहत के लिए जानलेवा होते हैं. मेथनॉल आसानी से चुराया जा सकता है और सस्ता भी होता है इसलिए इसे मिलाकर जहरीली शराब बनाना माफियाओं के लिए फायदेमंद सौदा बन जाता है. कई बार तो इन मामलों में अक्सर शराब माफिया, पुलिस और स्थानीय नेताओं की मिलीभगत सामने आती है.

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