पंजाब में बदमाशों का बचना नामुमकिन! मान सरकार की नई जेल पॉलिसी में बड़ा एक्शन प्लान
Punjab New Prison Policy: पंजाब सरकार ने नई जेल पॉलिसी का एलान किया है. जिसके तहत अपराधियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. नई जेल नीति के तहत दूसरे राज्यों के अपराधों में शामिल कैदियों को वहां भेजने का भी प्रावधान है. इस नीति के तहत उन गैंगस्टरों की सूची भी तैयार की गई है, जो दूसरे राज्यों की जेलों में छिपे हुए हैं और पंजाब से बचने के लिए वहां छुपे हुए हैं.;
Punjab New Prison Policy: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान प्रदेश के अपराध मुक्त बनाने के लिए कई बड़े फैसले ले रहे हैं. पुलिस प्रशासन को बदमाशों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. एक ओर पंजाब ड्रग माफिया के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. वहीं अब मान सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है.
पंजाब सरकार ने हाल ही में एक नई जेल नीति का ऐलान किया है, जिसका उद्देश्य राज्य में बंद कुख्यात आतंकवादियों और अपराधियों को प्रभावी रूप से नियंत्रित करना है. इस नीति के तहत अब पंजाब सरकार दूसरे राज्यों की जेलों में बंद अपराधियों और आतंकवादियों को अपनी जेलों में लाकर उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकेगी.
क्या है सरकार का नया प्लान?
राज्य के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि पंजाब की नई जेल नीति के तहत दूसरे राज्यों के अपराधों में शामिल कैदियों को वहां भेजने का भी प्रावधान है. यह फैसला पंजाब सरकार की कैबिनेट बैठक में लिया गया. पंजाब की जेलों में वर्तमान में लगभग 31 हजार कैदी बंद हैं, जिनमें से 11 हजार कैदी नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थों से संबंधित अपराधों में सजा काट रहे हैं. इसके अलावा, 200 गैंगस्टर, 75 आतंकवादी और 160 बड़े तस्कर भी यहां बंद हैं.
पहले इस तरह के अपराधियों का आदान-प्रदान करने की कोई स्पष्ट नीति नहीं थी, लेकिन अब इस नई नीति से इन अपराधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा सकेगी. इस नीति के तहत उन गैंगस्टरों की सूची भी तैयार की गई है, जो दूसरे राज्यों की जेलों में छिपे हुए हैं और पंजाब से बचने के लिए वहां छुपे हुए हैं. सभी को पकड़ कर एक-एक अपराध का हिसाब लिया जाएगा.
स्कूल कमेटी को लेकर फैसला
पंजाब सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया है. जिसमें स्कूल कमेटियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया को पूरा किया गया है. अब स्कूल कमेटी के सदस्यों की संख्या 16 कर दी गई है, जिसमें 12 सदस्य अभिभावकों (पेरेंट्स) और चार सदस्य स्कूल के होंगे. इसके अलावा, स्थानीय विधायक (एमएलए) और नगर निगम (एमसी) के प्रतिनिधि भी इस कमेटी में अपना सदस्य भेज सकेंगे. इस प्रक्रिया का उद्देश्य स्कूल की जरूरतों और व्यवस्थाओं को सही तरीके से समझना और उनकी दिशा-निर्देश देना है.