हवलदार की टांगें तोड़ीं, सिर पर लगे 18 टांके… मुक्तसर जेल में तीन दिन तक कैदियों के बीच चला मौत का खेल

मुक्तसर जिला जेल तीन दिनों तक किसी रणभूमि से कम नहीं लगी. कैदियों के दो गुटों के बीच शुरू हुई कहासुनी इतनी खौफनाक खूनी झड़प में बदल गई कि जेल का पूरा सिस्टम हिल गया. हालात इतने बिगड़े कि बचाव में आए जेल अधिकारी और कर्मचारी भी कैदियों की बेरहमी का शिकार हो गए.;

( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 20 Sept 2025 6:55 PM IST

जेल की चारदीवारी अक्सर कैदियों की दुनिया को कानून और अनुशासन की बेड़ियों में बांधकर रखती है. लेकिन जब यही कैदी नियम-कायदों को ताक पर रखकर हथियार उठा लें तो जेल खुद एक रणभूमि में तब्दील हो जाती है.

पंजाब के मुक्तसर की जिला जेल में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. तीन दिनों तक चली खूनी झड़प ने न केवल कैदियों को लहूलुहान किया बल्कि जेल प्रशासन को भी खून-पसीना एक करने पर मजबूर कर दिया. इस संघर्ष में जेल कर्मचारी तक बेरहमी से पीटे गए और कानून-व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया.

झगड़े की चिंगारी और पहली भिड़ंत

18 सितंबर की शाम करीब 6:30 बजे जेल की बैरकों में अचानक अफरा-तफरी मच गई. कैदी गुरमीत सिंह उर्फ मीता, बलजिंदर सिंह उर्फ गांधी, गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी शूटर, सुरिंदर सिंह उर्फ गांधी और उनके साथी अचानक भड़क उठे. इन कैदियों ने ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी राणा सिंह को धक्का-मुक्की कर बंद बैरक की चाबियां छीन लीं और उसे अंदर बंद कर दिया. जैसे ही राणा सिंह ने सीटी बजाकर अलर्ट किया, जेल कर्मचारी मौके पर पहुंचे.

हवलदार पर किया हमला

लेकिन यह तो बस शुरुआत थी. कैदी हथियारों से लैस थे. लोहे की राड और तेजधार हथियारों से उन्होंने जेल का ताला तोड़ा और डी-एडिक्शन ब्लॉक में घुस गए. जब कर्मचारी राजवीर सिंह ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उस पर भी हमला कर दिया गया और उसकी वर्दी तक फाड़ दी गई.

कई कैदी हुए घायल

हमलावर कैदियों ने अपने गुट के समर्थन में साथी कैदियों को भी उकसाया. अचानक जेल की बैरकों से दर्जनों कैदी बाहर निकल पड़े. दोनों पक्ष आमने-सामने थे. चीख-पुकार, लाठी-डंडे, लोहे की राड और हथियारों की खनक ने जेल की शांति को चकनाचूर कर दिया. सहायक अधीक्षक सुखमंदर सिंह और अन्य अधिकारियों ने स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन गुस्साए कैदियों ने किसी की एक न सुनी. इस झड़प में कई कैदी घायल हो गए. जेल प्रशासन ने आनन-फानन में कुछ घायलों को अस्पताल भेजा और बड़ी मुश्किल से हालात पर काबू पाया.

हिंसा की दूसरी लहर

पहली घटना को हुए मुश्किल से दो दिन ही बीते थे कि जेल फिर से हिंसा की चपेट में आ गई. 20 सितंबर को कैदियों के गुटों में फिर झगड़ा भड़क उठा. इस बार कैदी और ज्यादा हिंसक हो गए. बचाव में पहुंचे हवलदार मंगल सिंह पर गुस्साए कैदियों ने लोहे की राड से बेरहमी से हमला कर दिया. उनकी दोनों टांगें तोड़ दी गईं और सिर पर गहरी चोटें पहुंचाई गईं. अस्पताल में भर्ती कराने पर उनके सिर में 18 टांके लगाने पड़े. इतना ही नहीं, इस दौरान सहायक अधीक्षक सुखमंदर सिंह को भी चोटें आईं और जेल का माहौल पूरी तरह से युद्धक्षेत्र जैसा बन गया.

जेल कर्मचारी भी बने निशाना

जेल प्रशासन की कोशिश थी कि हालात बिगड़ने न पाएं, लेकिन गुटबाजी इतनी गहरी थी कि कैदी किसी को बख्शने के मूड में नहीं थे. सहायक अधीक्षक से लेकर हवलदार तक, कर्मचारियों को निशाना बनाया गया. राजवीर सिंह की वर्दी फाड़ दी गई, मंगल सिंह को लहूलुहान कर दिया गया और कई कैदियों को भी गंभीर चोटें आईं. जेल के अंदर का यह मंजर कैदियों की आपसी दुश्मनी को खुलकर सामने लाता है. यह केवल गुटबाजी नहीं बल्कि जेल प्रशासन के लिए भी एक बड़ी चुनौती है.

पुलिस की एंट्री और केस दर्ज

जेल प्रशासन ने इस पूरे मामले की सूचना तुरंत थाना सदर पुलिस को दी. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दोनों गुटों के 23 कैदियों पर केस दर्ज कर लिया. इनमें गुरमीत सिंह उर्फ मीता, बलजिंदर सिंह उर्फ गांधी, गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी शूटर, सुरिंदर सिंह उर्फ गांधी समेत कई नामचीन कैदी शामिल हैं, जो हत्या और अन्य गंभीर अपराधों में सजा काट रहे हैं. कुछ कैदियों को मौके से गिरफ्तार भी किया गया जबकि बाकी पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है.

कैदियों का बैकग्राउंड और पुरानी दुश्मनी

जांच में सामने आया कि झगड़े में शामिल ज्यादातर कैदी हत्या जैसे संगीन मामलों में सजा काट रहे हैं. इनके बीच गहरी गुटबाजी और पुरानी दुश्मनी लंबे समय से चली आ रही है. जेल की चारदीवारी ने इनकी दुश्मनी को खत्म करने के बजाय और भी भड़काने का काम किया. यही वजह है कि एक छोटी सी बहस ने तीन दिनों तक जेल को रणभूमि बना दिया.

सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

जेल के भीतर हथियारों का मिलना और कैदियों का इतना संगठित हमला कई सवाल खड़े करता है. आखिर इतनी सख्ती के बावजूद कैदियों के पास लोहे की राड और तेजधार हथियार कैसे पहुंचे? क्या सुरक्षा जांच में लापरवाही हुई या किसी ने अंदर से मदद की? यह अब जांच का विषय है.

प्रशासन का दावा और आगे की कार्रवाई

सहायक अधीक्षक नछत्तर सिंह का कहना है कि स्थिति पर नियंत्रण पा लिया गया है और अब जेल में अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए जा रहे हैं. वहीं, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि झगड़े में शामिल कैदियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी ताकि भविष्य में कोई कैदी इस तरह का दुस्साहस न कर सके.

Similar News