डंकी रूट से अमेरिका भेजने वाले घोस्ट ट्रैवेल एजेंट्स कैसे करते हैं काम? US से लौटे शख्स ने खोला राज
Travel Agents: भारत में कुछ लोग विदेश में नौकरी और पढ़ाई के लिए ट्रैवल एजेंट की मदद लेते हैं. लेकिन अब ये लोग भोले भाले लोगों को लूट रहे हैं. लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर ये एजेंट उनसे पैसा ऐंठते हैं और अवैध तरीके से अमेरिका में एंट्री दिला देते हैं. बाद में पता चलता है कि उनके साथ धोखा किया गया है.;
Indian Deportees From America: अमेरिका ने बुधवार को 104 अप्रवासियों को वापस भारत में भेज दिया है. वह यूएस में अवैध रूप से रह रहे थे. अमेरिका के राष्ट्रपति ने हाल ही में अपने देश में शरणार्थियों और अवैध रूप से रहने वाले लोगों को वहां से निकालने का एलान किया था. इसी के तहत भारतीयों पर यह कार्रवाई की गई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में मुताबिक, पंजाब और बिहार जैसे कई राज्यों से लोग अपने बच्चों को पढ़ने के लिए विदेश भेजते हैं. कुछ तो अच्छी कमाई के लिए दुबई- सऊदी अरब जाते हैं. उनकी इस यात्रा को सफल बनाने के लिए कुछ ट्रैवल एजेंट उनकी मदद करते हैं लाखों रुपये लेकर विदेश भेजने का काम किया जाता है.
ट्रैवल एजेंट के जाल में फंस रहे लोग
रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिका जाने के लिए बहुत से भारतीय एजेंट की मदद लेते हैं. लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर ये एजेंट उनसे पैसा ऐंठते हैं और अवैध तरीके से अमेरिका में एंट्री दिला देते हैं. बाद में पता चलता है कि उनके साथ धोखा किया गया है. अमेरिका से भारत आए अप्रवासियों में से ज्यादातर लोग एजेंट द्वारा की यूएस भेजे गए थे. अब एक व्यक्ति ने इंडियन एक्सप्रेस को अपने साथ हुए धोखे के बारे में बताया.
रकिंदर सिंह ने खोली ट्रैवल एजेंट की पोल
पंजाब के होशियारपुर जिले के ठकरवाल गांव के रकिंदर सिंह ने अपने साथ हुए धोखे के बारे में बताया है. सिंह ने अमेरिका जाने के लिए एक ट्रैवल एजेंट से संपर्क किया था, जिसने मदद के नाम पर उनसे लाखों लूट लिए. ट्रैवल एजेंट साबू ने रकिंदर सिंह से 45 लाख रुपये लिए थे और उन्हें "कानूनी रूप से" अमेरिका ले जाने का "वादा" किया था. दुबई जाने के 6 महीने बाद, रकींदर पंजाब वापस आ गए हैं. वह बुधवार को अमृतसर में उतरे अमेरिकी सैन्य विमान में सवार पंजाब के 30 सहित 104 निर्वासित भारतीयों में से एक थे.
रकिंदर ने बताया सच
रकिंदर सिंह ने कहा कि एक बार जब आप इस यात्रा को शुरू कर देते हैं, तो पीछे मुड़कर नहीं देखते हैं. रकिन्दर कहा, उनका एजेंट साबू पर विश्वास धीरे-धीरे सच्चाई सामने आने के साथ डगमगाने लगा था. वह कभी साबू से नहीं मिले, न उसकी तस्वीर देखी, न उसका पता जानता था. उनकी सिर्फ फोन पर बात होती थी. जैसे ही "अमेरिका के रास्ते में" रकिन्दर के साथ और भी लोग शामिल हुए, उसे एहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी की गई है. उन्हें अपने एजेंटों से भी उसी व्हाट्सएप नंबर से कॉल आ रही थीं, लेकिन एजेंट ने खुद को राजा, लियो और न जाने क्या-क्या बताया. वह अलग-अलग लोगों के साथ अलग-अलग नाम बताता था.
कभी नहीं देखी एजेंट की फोटो
रकिंदर ने कहा, साबू केवल व्हाट्सएप पर कॉल करता था. उसने कभी भी व्हाट्सएप पर कोई प्रोफाइल पिक्चर नहीं लगाई. वह पंजाबी बोलता था. जैसे-जैसे अमेरिका की यात्रा आगे बढ़ती, वह पंजाब में मेरे परिवार से किश्तों में पैसे इकट्ठा करने के लिए आदमी भेजते. हम जिस भी देश से गुजरे वहां उसके आदमी थे. हमारे यूएस-मेक्सिको सीमा पर पहुंचने से पहले उसने पूरे 45 लाख रुपये ले लिए.
बिचौलियों ने पासपोर्ट छीन लिए
रकींदर का कहना है कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से 45 लाख रुपये जमा करने के लिए अपनी सारी बचत खर्च कर दी और अमेरिका यात्रा के लिए परिवार और दोस्तों से कुछ कर्जा लिया. लेकिन एक बार जब वे ब्राजील पहुंचे, तो एजेंट के बिचौलियों ने उनके पासपोर्ट छीन लिए, और फिर कभी वापस नहीं लौटे. अमृतसर से अमेरिका-मेक्सिको सीमा तक उनकी यात्रा 6 महीने तक चली, लेकिन निर्वासन में समाप्त हुई.
छह महीने बाद खाया भारतीय खाना
उन्होंने बताया कि कल जब हम अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरे, तो मुझे छह महीने बाद गर्म, भारतीय भोजन मिला. मैं रोया और यह घर जैसा महसूस हुआ, हालांकि विमान में हमारे हाथ-पैर बंधे हुए थे, फिर भी अमेरिकी सेना ने हमारे साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार नहीं किया. मैं हर पंजाबी को सलाह दूंगा कि वह इस गैरकानूनी तरीके को कभी न आजमाएं. अब मेरे पास अपना पासपोर्ट भी नहीं है और मुझे नहीं पता कि आगे क्या होगा.