आत्मनिर्भर बनेंगे पंजाब के किसान! केंद्र सरकार ने फसल विविधीकरण को दी मंजूरी
Punjab Government: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट में पंजाब के किसानों को फसल विविधीकरण की मंजूरी दी. केंद्र ने स्पेशल पैकेज तो नहीं दिया, लेकिन दालों की पैदावार को बढ़ावा देने के लिए पंजाब पर फोकस रखते हुए नई स्कीम का एलान किया है. इस बार 185 लाख मीट्रिक टन धान की पैदावार का लक्ष्य रखा गया था.;
Punjab Government On MSP: पंजाब सरकार किसानों के कल्याण के लिए बहुत से लाभकारी योजनाएं चला रही हैं. उनके लिए फ्री बिजली, सिंचाई के लिए पानी समेत कई कार्य किए जा रहे हैं. अब केंद्र सरकार ने बजट में पंजाब के किसानों के लिए दालों की पैदावार में आत्मनिर्भर बनाने के लिए फैसला लिया है.
जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार गारंटी की मांग कर रहे किसानों के लिए फरवरी 2024 में शर्तों पर मसूर, उड़द, अरहर दाल, मक्का और कपास पर एमएसपी देने की पेशकश की थी. बजट में फसल विविधीकरण की उनकी मांग को पूरा करने का एलान किया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दालों में आत्मनिर्भर के लिए बजट में 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिससे सरकार ने 2029 तक आयात खत्म करने का टार्गेट रखा है.
पंजाब में दालों की पैदावार
पंजाब में 1960 के दशक में 9.17 लाख हेक्टेयर जमीन पर रबी और खरीफ सजीन में अलग-अलग दालों के पैदावार की जाती थी. इस जमीन पर 7.26 लाख टन दाल की खेती की जाती है. आज यह कम होकर 23 हजार हेक्टेयर जमीन पर सिमट कर रह गई है. प्रदेश अपनी 6 लाख टन खपत की जरूरत तो पूरा कर सकती है. आंकड़ों के आधार पर देखें तो पंजाब में दालों की पैदावार राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है, लेकिन वह प्रदेश की कुल खपत को भी पूरा नहीं कर पा रही है.
खरीफ सीजन में दालों का उत्पादन
जानकारी के अनुसार, खरीफ सीजन में अरहर, उड़द, मूंग की पैदावार 4 दशक पहले 99 हजार हेक्टेयर थी, वह अब सिमट कर 9 से 10 हजार हेक्टेयर रह गई है. रबी सीजन में यह आंकड़ा 8.81 लाख हेक्टेयर से 8 से 10 हेक्टेयर हो गया है.
धान और गेहूं की सबसे ज्यादा पैदावार
पंजाब में धान और गेहूं की सबसे ज्यादा खेती होती है. ग्राउंड वाटर फ्लो तेज होने की वजह से चावल की अच्छी खेती हो रही है. इस बार प्रदेश सरकार ने केंद्र से फसल विविधीकरण के लिए स्पेशल पैकेज की मांग की थी. केंद्र ने स्पेशल पैकेज तो नहीं दिया, लेकिन दालों की पैदावार को बढ़ावा देने के लिए पंजाब पर फोकस रखते हुए नई स्कीम का एलान किया है. इस बार 185 लाख मीट्रिक टन धान की पैदावार का लक्ष्य रखा गया था.