MP News: टूरिस्टों का था इस सफेद बाघिन रिद्धी से लगाव, 15 साल की उम्र में हुई मौत

15 वर्षीय सफेद बाघ 'रिद्धि' की गुरुवार को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते मौत हो गई. यह बाघ 'रिद्धि' को कई सालों से भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में आगंतुकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण थी. बताया गया कि बुढ़ापे में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण मौत हुई है.;

14 वर्षीय सफेद बाघिन रिद्धी की हुई मौतः फाइल फोटोः ANI

भोपाल (मध्य-प्रदेश): 15 वर्षीय सफेद बाघ 'रिद्धि' की गुरुवार को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते मौत हो गई. यह बाघ 'रिद्धि' को कई सालों से भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में आगंतुकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण थी. बताया गया कि बुढ़ापे में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण मौत हुई है.

आपको बता दें कि रिद्धी जब 4 साल की थीं. उसे पशु विनिमय कार्यक्रम के तहत इंदौर चिड़ियाघर से वन विहार लाया गया था. इसके बाद से ही टूरिस्ट भी सफेद बाघिन रिद्धि को देखने वन विहार आते थे. डिप्स्पे वॉर्ड में इस बाघिन को रखा गया था. जिससे सभी लोग आसानी से उसे देख पाएं.

दो दिन से नहीं खाया था खाना

वहीं बाघिन की मौत पर वन्यजीव पशुचिकित्सक अतुल गुप्ता ने जानकारी देते हुए कहा कि 'रिद्धि' ने पिछले दो दिनों से समयानुसार भोजन नहीं किया था. हालांकि यह बहुत ही समान्य था. बुधवार तक भी बाघिन की तबियत एक दम दुरुस्त थी. लेकिन गुरुवार सुबह अचानक उसे बेहोश पाया गया.

जांच के दौरान किया मृत घोषित

वहीं डॉक्टरों ने जांच के दौरान ही 'रिद्धि'को मृत घोषित कर दिया था.वहीं शव परीक्षण के बाद मानदंडों के अनुसार शव का निपटान कर दिया गया. गुप्ता ने बताया कि प्रथम दृष्टया जंगली जानवर की मौत का कारण अधिक उम्र के कारण आंतरिक अंगों की विफलता है.

कितने साल जीतें है बाघ

वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि बाघों का जीवनकाल आमतौर पर 15 या फिर 16 साल तक का ही होता है. हालांकि वन में या फिर अन्य जगह पर कैद और सुरक्षित वातावरण में उनकी देखभाल से आयु अवधि लंबी हो सकती है.

15 बाघ जीवित

वहीं मिली जानकारी के अनुसार वन विहार के उपसंचालक SK सिन्हा ने कहा कि वन विहार में अब बस 15 बाघ बचे हैं. उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि आमतौर पर जंगल में रहने वाले एक स्वस्थ बाघ की आयु केवल और केवल 12 से 13 साल तक की होती है. लेकिन इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि आमतौर पर सफेद बाघ बहुत स्वस्थ नहीं पाए जाते. वे अपने जीन में बदलाव के कारण सफेद होते हैं.

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