'करोड़पति कांस्टेबल' केस में कहां-कहां हुई चूक, क्या है सही आंकड़ा 7.98 करोड़ या 55 लाख?

लोकायुक्त का दावा है कि 7.98 करोड़ रुपये के सामानों की जब्ती हुई है. जो अदालत के दस्तावेजों से बिल्कुल अलग है. अब इस मामले में लापरवाही या जानबूझकर गलत बयानबाजी करने के मामले में सवाल उठते हैं. अब ईडी ने भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में छापेमारी करके अपनी जांच भी शुरू कर दी है.;

Edited By :  नवनीत कुमार
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मध्यप्रदेश में परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा के घर लोकायुक्त की छापेमारी हुई थी. अब पूर्व कांस्टेबल के खिलाफ चल रही जांच में लोकायुक्त की जांच में कई गलतियां सामने आई हैं. अदालत के दस्तावेजों से पता चला कि जब्ती में 55 लाख रुपये का सामान बरामद हुआ है. जिसमें 28.5 लाख रुपये नकद, 5 लाख रुपये से अधिक के आभूषण और 21 लाख रुपये की चांदी शामिल है.

वहीं, लोकायुक्त का दावा है कि 7.98 करोड़ रुपये के सामानों की जब्ती हुई है. जो अदालत के दस्तावेजों से बिल्कुल अलग है. अब इस मामले में लापरवाही या जानबूझकर गलत बयानबाजी करने के मामले में सवाल उठते हैं. अब ईडी ने भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में छापेमारी करके अपनी जांच भी शुरू कर दी है. ईडी संभावित मनी लॉन्ड्रिंग पर ध्यान रखकर जांच कर रही है.

बगल के घर में नहीं हुई छापेमारी

अब इस जांच में कई खामियां सामने आई है. आरोप है कि लोकायुक्त के शुरुआती ऑपरेशन में उनके छापों से प्रमुख स्थानों को छोड़ दिया है. भोपाल में ई-7 अरेरा कॉलोनी में शर्मा के मुख्य घर और कार्यालय को निशाना बनाने के बावजूद लोकायुक्त की टीम उनके दूसरे घर पर नहीं छापा मार पाई जो सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर है. इसके अलावा, उनके सहयोगी शरद जायसवाल के घर की तलाशी नहीं ली गई, जबकि जायसवाल का नाम भी इस मामले में शामिल था.

कार को नहीं रोक पाई जांच टीम

दूसरी गलती ये हुई कि वह इनोवा कार को रोक नहीं पाई. जिसमें कथित तौर पर 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये नकद था. यह कार सीसीटीवी में शर्मा के आवास के पास से गुजरती हुई दिखाई दी और बाद में मेंडोरी जंगल में लावारिस पाई गई. कार के मालिक चेतन सिंह ने एक ड्राइवर को काम पर रखने का दावा किया है, ड्राइवर की पहचान अभी भी गुप्त है.

जांच में क्या हुआ खुलासा?

जांच में खुलासा हुआ कि शर्मा ने परिवहन विभाग के कांस्टेबल से रियल एस्टेट के क्षेत्र में बड़ा नाम बना लिया. 2015 में पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने वाले शर्मा ने 2023 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली. इस दौरान, उन्होंने परिवार और सहयोगियों के नाम पर स्कूल और होटलों जैसे कई संपत्तियों में निवेश किया, जो अवैध धन से खरीदी गई थीं. आयकर छापों में मिले दस्तावेजों से पता चला है कि शर्मा परिवहन विभाग में फैले एक बड़े भ्रष्टाचार नेटवर्क का हिस्सा थे. इस नेटवर्क में 52 जिलों के अधिकारियों से 100 करोड़ रुपये के लेन-देन जुड़े हैं, जो वरिष्ठ परिवहन अधिकारियों तक पहुंचते हैं.

पीएम को लिखा गया पत्र

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मामले की न्यायिक जांच की मांग की है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जांच प्रक्रिया की आलोचना की और इसे ईडी व आयकर विभाग के विशेष नियंत्रण में रखने का सुझाव दिया. वहीं, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा, "हमने चेक बैरियर बंद कर दिए थे और भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए हर स्तर पर कदम उठाए हैं."

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