दो थाना प्रभारी और दो पुलिस कमिश्नर बदल गए, लेकिन इंदौर पुलिस ने बुजुर्ग की रिपोर्ट नहीं की दर्ज

वैसे तो सरकारें और पुलिस दावा करते हैं कि वे लोगों को सहायता प्रदान करेंगे. लेकिन इन दावों के बावजूद, रियलिटी कुछ और ही है. हाल ही में इंदौर शहर का एक मामला सामने आया, जहां पर एक बुजुर्ग नागरिक को अपनी चोरी की शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस द्वारा अनदेखा किया गया और यह सब कुछ एक-बार नहीं दो बार नहीं, 85 बार किया गया.;

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आजकल की मॉडर्न दुनिया में सरकारें और पुलिस प्रशासन स्मार्ट पुलिसिंग और सहायता देने के दावे करते हैं. लेकिन इन दावों के बावजूद, रियलिटी कुछ और ही है. कई बार पुलिस का रवैया और गंभीर मामलों की अनदेखी लोगों को न्याय पाने के लिए बार-बार थाने के चक्कर लगाने पर मजबूर कर देती है. ऐसा ही एक मामला इंदौर शहर का है, जिसमें 76 साल के बुजुर्ग नागरिक को अपनी चोरी की शिकायत दर्ज कराने के लिए न केवल पुलिस द्वारा नजरअंदाज किया गया, बल्कि उन्हें एक साल तक कोई न्याय नहीं मिला.

पुलिस की अनदेखी बुजुर्ग का संघर्ष

यह मामला इंदौर के तिलकनगर थाना क्षेत्र का है, जहां 76 साल के राजेंद्र महाजन नामक एक बुजुर्ग ने अपनी चुराई गई संपत्ति को वापस पाने के लिए थाने गए थे. वह इंडो किड्स स्कूल के डायरेक्टर हैं और उनका आरोप है कि उनके पूर्व कर्मचारी ने पिछले साल दिसंबर में स्कूल के जरूरी दस्तावेजों से भरा बैग चुराकर ले लिया.

राजेंद्र महाजन ने तिलकनगर थाने में इस घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने न तो सही कार्रवाई की और न ही घटना स्थल का मुआयना किया. यहां तक कि उन्होंने सीसीटीवी फुटेज और गवाहों की जानकारी तक को अनदेखा कर दिया. एक महीने बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो राजेंद्र ने पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन किसी ने भी उनकी मदद नहीं की.

पुलिस अधिकारी बदलते रहे, लेकिन नतीजा वही रहा

गांधीजी के बंदरों की तरह पुलिस ने भी आंखें मूंद लीं और कानों में रुई डाल ली. लगभग एक साल में मामले के दो थाना प्रभारी और दो पुलिस कमिश्नर बदल चुके थे, लेकिन इस दौरान न तो किसी ने पुलिस जांच में दिलचस्पी दिखाई और न ही राजेंद्र महाजन की कोई मदद की. उन्होंने 85 बार आवेदन दिए, लेकिन फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई.

राजेंद्र महाजन ने थक हार कर पुलिस आयुक्त संतोष कुमार सिंह के पास जाकर अपनी समस्या रखी. उन्होंने आयुक्त से कहा, "मैं एक साल से थाने और अफसरों के पास चक्कर लगा रहा हूं. दो थाना प्रभारी और दो पुलिस कमिश्नर बदल चुके हैं, लेकिन फिर भी किसी ने मेरी मदद नहीं की." इस पर आयुक्त ने सख्त कदम उठाते हुए एसीपी कुंदन मंडलोई को तलब किया और सात दिन में रिपोर्ट देने का आदेश दिया.

37 लाख रुपये की एफडी और सख्त कदमों की पेशकश

राजेंद्र महाजन ने अपनी तरफ से और भी गंभीर पहल की. उन्होंने पुलिस अधिकारियों के सामने 37 लाख रुपये की एफडी पेश की और कहा, "अगर मेरी गलती है तो मुझे उस पर जुर्माना लगा दीजिए, लेकिन कृपया मामले की जांच कीजिए." यह राशि उन्होंने इस उम्मीद से पेश की कि जांच पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की जाएगी.

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