जाइए, भगवान से कहिए कि वे खुद कुछ करें, खजुराहो में भगवान विष्णु की मूर्ति से जुड़ी PIL खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की 7 फीट ऊंची खंडित प्रतिमा के पुनर्निर्माण की याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने इसे ‘पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन’ बताते हुए कहा कि यह मामला ASI के अधिकार क्षेत्र में आता है. CJI ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा- “अगर आप भगवान विष्णु के भक्त हैं तो प्रार्थना और ध्यान कीजिए, अदालत से ऐसी उम्मीद न करें.”;
भारत की सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक माने जाने वाले खजुराहो मंदिर समूह का नाम आते ही भव्य स्थापत्य और पुरातात्विक धरोहर की तस्वीर सामने आ जाती है. लेकिन इन्हीं मंदिरों में स्थित जवारी मंदिर की भगवान विष्णु की सात फीट ऊंची खंडित प्रतिमा को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने साफ किया कि यह मामला न्यायालय का नहीं बल्कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का अधिकार क्षेत्र है.
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान याचिका को “पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन” करार दिया. CJI ने तंज कसते हुए कहा, “अगर आप भगवान विष्णु के सच्चे भक्त हैं तो प्रार्थना और ध्यान कीजिए, अदालत से इस तरह की मांगें न करें. जाइए और भगवान से कहिए कि वे खुद कुछ करें.”
याचिकाकर्ता की दलीलें
हरियाणा निवासी राकेश दलाल ने याचिका में कहा था कि मुगल आक्रमण के दौरान विष्णु प्रतिमा का सिर खंडित हुआ था और अब उसका पुनर्निर्माण कर मंदिर में दोबारा प्रतिष्ठित किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी दावा किया कि इस संबंध में गृह मंत्रालय और ASI को ज्ञापन दिए गए, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला.
ASI के अधिकार क्षेत्र का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि खजुराहो का मंदिर समूह पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है. खंडित मूर्ति को बदलकर नई प्रतिमा स्थापित करना ASI के नियमों के खिलाफ है. अदालत ने कहा कि केवल ASI ही यह निर्णय ले सकती है कि किसी खंडित प्रतिमा का पुनर्निर्माण किया जाए या नहीं.
खजुराहो के अन्य धार्मिक प्रतीक
सुनवाई के दौरान CJI ने यह भी कहा कि अगर याचिकाकर्ता शैव परंपरा से परहेज़ नहीं करते, तो वे खजुराहो स्थित विशाल शिवलिंग की पूजा कर सकते हैं. खजुराहो का यह शिवलिंग सबसे बड़ा माना जाता है और श्रद्धालुओं के लिए पूजा-अर्चना का प्रमुख केंद्र है.
ऐतिहासिक धरोहर का महत्व
खजुराहो का जवारी मंदिर 11वीं सदी के आसपास चंदेल राजाओं द्वारा बनवाया गया था. यहां भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की झलक मिलती है. मंदिर के गर्भगृह में स्थापित सात फीट ऊंची प्रतिमा का सिर खंडित है, जिसके कारण पूजा नहीं होती. सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया कि धार्मिक आस्था से जुड़े ऐसे मुद्दों का समाधान पुरातत्व विभाग ही करेगा, न कि अदालत.