सत्ता के हसीन ख्वाब के चक्कर में कांग्रेस में मचा बवंडर! RSS-BJP की तारीफ पर दिग्विजय सिंह को देनी पड़ी सफाई- देखें VIDEO
कांग्रेस में सियासी हलचल तेज़, दिग्विजय सिंह ने RSS-BJP की संगठनात्मक क्षमता की तारीफ की. वरिष्ठ नेता के इस बयान के बाद पार्टी को सार्वजनिक रूप से सफाई देनी पड़ी. वीडियो में दिखाया गया है कि सिंह ने स्पष्ट किया कि वे केवल संगठनात्मक क्षमता की प्रशंसा कर रहे हैं, विचारधारा का समर्थन नहीं.;
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के संगठनात्मक पुनर्गठन को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि जब भी नियुक्तियां होती हैं तो 25-30 प्रतिशत लोगों में नाराजगी होना स्वाभाविक है, क्योंकि हर किसी की अपनी महत्वाकांक्षाएं होती हैं. लेकिन ऐसा कुछ नहीं है जिससे कोई बड़ा फर्क पड़ा हो. यह प्रक्रिया सही तरीके से की गई है. जब तक हमारा संगठन बूथ स्तर और गांव स्तर तक नहीं पहुंचता, तब तक हम संतुष्ट नहीं होंगे.”
आज हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक को लेकर दिग्विजय सिंह ने कहा कि “जो मुझे कहना था, मैं कह चुका हूं.” एलके आडवाणी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पुरानी तस्वीर साझा करने वाले अपने ट्वीट पर सफाई देते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि “मैं शुरू से कहता आया हूं कि मैं RSS की विचारधारा का विरोधी हूं. वे न तो संविधान का सम्मान करते हैं और न ही देश के कानूनों का, और यह एक अपंजीकृत संगठन है. लेकिन मैं उनकी संगठनात्मक क्षमता की प्रशंसा करता हूं, क्योंकि एक ऐसा संगठन जो रजिस्टर्ड भी नहीं है, वह इतना ताकतवर बन गया है कि प्रधानमंत्री लाल किले से कहता है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी NGO है. अगर यह NGO है, तो फिर आपके नियम-कानून कहां गए? लेकिन मैं उनकी संगठन क्षमता की तारीफ करता हूं.”
कांग्रेस की संगठनात्मक क्षमता पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि 'मैं इतना ही कह सकता हूं कि सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है और हर संगठन में सुधार की गुंजाइश होनी चाहिए. कांग्रेस पार्टी मूल रूप से एक आंदोलन की पार्टी है. मैंने कई बार कहा है कि कांग्रेस पार्टी एक आंदोलन की पार्टी है और उसे वैसी ही रहनी चाहिए. लेकिन उस आंदोलन को वोटों में बदलने में हम पीछे रह जाते हैं.'
उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि "राहुल गांधी जी, आप सामाजिक और आर्थिक मामलों में बिल्कुल 'बंग ऑन' हैं. पूरे अंक. लेकिन अब कृपया @INCIndia की भी तरफ देखें... केवल समस्या यह है कि आपको 'मनाना' आसान नहीं है. उनका यह बयान कांग्रेस के लिए असहज करने वाला साबित हुआ, क्योंकि इससे पहले भी पार्टी के कई नेता संगठनात्मक फैसलों को लेकर असंतोष जता चुके हैं.
बीजेपी को मिला हमला बोलने का मौका
दिग्विजय सिंह की टिप्पणी के बाद भाजपा ने कांग्रेस नेतृत्व पर जमकर निशाना साधा. भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस देश में लोकतंत्र की बात करती है, लेकिन खुद पार्टी के भीतर लोकतंत्र की हालत क्या है, यह अब सबके सामने है. विवाद तब और गहरा गया जब दिग्विजय सिंह ने एक और पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 1990 के दशक की एक पुरानी तस्वीर साझा की. तस्वीर में पीएम मोदी, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के पास जमीन पर बैठे नजर आ रहे हैं. इस पोस्ट में दिग्विजय सिंह ने लिखा कि "यह संगठन की ताकत है… RSS और जनसंघ के जमीनी कार्यकर्ता मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनते हैं." हालांकि, बाद में सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने सिर्फ संगठनात्मक ढांचे की तारीफ की है और वे आज भी भाजपा और RSS के कट्टर विरोधी हैं.
कांग्रेस के भीतर असंतोष की असली वजह क्या?
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि दिग्विजय सिंह की नाराजगी सिर्फ वैचारिक नहीं, बल्कि संगठनात्मक भी है. सूत्रों के मुताबिक, राज्य अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद भी प्रदेश स्तर पर कमेटियों का गठन नहीं हो पा रहा, जिससे सत्ता का केंद्रीकरण बना हुआ है. इसके अलावा, मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार को दिग्विजय खेमे के खिलाफ माना जाता है, जिससे अंदरूनी खींचतान और बढ़ गई है. सूत्रों का कहना है कि दिग्विजय सिंह का राज्यसभा कार्यकाल अगले साल खत्म हो रहा है और तीसरी बार राज्यसभा भेजे जाने की संभावना कम है. उनकी सीट के लिए कमलनाथ और मीनाक्षी नटराजन जैसे नाम चर्चा में हैं.
हालांकि, कई नेताओं का मानना है कि दिग्विजय सिंह अपनी राजनीति से ज्यादा अपने बेटे जयवर्धन सिंह के राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं, जो फिलहाल मध्य प्रदेश में विधायक हैं और हाल ही में जिला अध्यक्ष बनाए गए हैं. दिग्विजय सिंह के बयान के बाद पार्टी में केसी वेणुगोपाल की संगठन महासचिव के रूप में भूमिका और प्रियंका गांधी वाड्रा को बड़ी जिम्मेदारी देने की मांग भी तेज हो गई है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस अब आत्ममंथन करेगी या असंतोष की ये आवाजें और तेज होंगी.